Bhai Behan Hindi Sex Story 2
(बहन के साथ चुदाई – 2)
मैंने एक जीन्स का पैंट और टी-शर्ट खरीदा और दीदी ने एक गुलाबी रंग की पंजाबी ड्रेस एक गर्मी के लिए स्कर्ट और टॉप और 2-3 टी-शर्ट खरीदीं हम लोग मार्केट में और थोड़ी देर तक घूमते रहे अब करीब 7:30 बज गए थे दीदी ने मुझे सारे शॉपिंग बैग थमा दिए और बोलीं आगे जा कर मेरा इंतज़ार करो मैं अभी आती हूं bhai behan hindi sex story
वो एक दुकान में जा कर खड़ी हो गई मैंने दुकान को देखा वो महिलाओं के अंडरगार्मेन्ट की दुकान थी मैं मुस्कुरा कर आगे बढ़ गया मैं देखा कि दीदी का चेहरा शर्म के मारे लाल हो चुका है और वो मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए दुकानदार से बातें करने लगी कुछ देर के बाद दीदी दुकान पर से चल कर मेरे पास आई दीदी के हाथ में एक बैग था
मैं दीदी को देख कर मुस्कुरा दिया और कुछ बोलने ही वाला था कि दीदी बोलीं अभी कुछ मत बोल और चुपचाप चल हम लोग चुपचाप चल रहे थे मैं अभी घर नहीं जाना चाहता था और आज मैं दीदी के साथ अकेला था और मैं दीदी के साथ और कुछ समय बिताने के लिए बेचैन था मैंने दीदी से बोला चलो कुछ देर हम लोग समुंदर के किनारे पर बैठते हैं और भेलपुड़ी खाते हैं
नहीं देर हो जाएगी दीदी मुझसे बोलीं लेकिन मैंने फिर दीदी से कहा चलो भी दीदी अभी सिर्फ 7:30 बजे हैं और हम लोग थोड़ी देर बैठ कर घर चल देंगे और मां जानती हैं कि हम दोनों साथ साथ हैं इस लिए वो चिंता भी नहीं करेंगी दीदी थोड़ी सोच कर बोलीं चल समुंदर के किनारे चलते है दीदी के राजी होने से मैं बहुत खुश हुआ और हम दोनों समुंदर के किनारे जो कि मार्केट से सिर्फ 10 मिनट का पैदल रास्ता था चल दिए bhai behan hindi sex story
हमने पहले एक भेलपुड़ी वाले से भेलपुड़ी ली और एक मिनरल वाटर की बोतल ली और जाकर समुंदर के किनारे बैठ गए हम लोग समुंदर के किनारे पास पास पैर फैला कर बैठ गए अभी समुंदर का पानी पीछे था और हमारे चारों तरफ बड़े बड़े पत्थर पड़े हुए थे वहां खूब जोरों की हवा चल रहीं थी और समुंदर की लहरें भी तेज़ थी इस समय बहुत सुहाना मौसम था हम लोग भेलपुड़ी खा रहे थे और बातें कर रहे थे
दीदी मुझ से सट कर बैठी थीं और मैं कभी कभी दीदी के चेहरे को देख रहा था दीदी आज काले रंग की एक स्कर्ट और ग्रे रंग का ढीला सा टॉप पहनी हुई थी एक बार ऐसा मौका आया जब दीदी भेलपुड़ी खा रहीं थी तो एक हवा का झोंका आया और दीदी की स्कर्ट उनकी जांघ के ऊपर तक उठ गई और दीदी की जांघें नंगी हो गई
दीदी ने अपने जांघों को ढकने की कोई जल्दी नहीं की उन्होंने पहले भेलपुड़ी खाई और आराम से रूमाल से हाथ पोंछ कर फिर अपनी स्कर्ट को जांघों के नीचे किया और स्कर्ट को पैरों से दबा लिया वैसे तो हम लोग जहां बैठे थे वहां अंधेरा था फिर भी चांदनी की रोशनी में मुझे दीदी की गोरी गोरी जांघों का पूरा नजारा मिला दीदी की जांघों को देख कर मैं कुछ गर्म हो गया bhai behan hindi sex story
जब दीदी ने अपनी भेलपुड़ी खा चुकी तो मैं दीदी से पूछा दीदी क्या हम उन बड़े बड़े पत्थरों के पीछे चलें? दीदी ने फौरन मुझसे पूछा क्यों? मैंने दीदी से कहा वहां हम लोग और आराम से बैठ सकते हैं दीदी ने मुझसे मुस्कुराते हुए पूछा यहां क्या हम लोग आराम से नहीं बैठे हैं? लेकिन वहां हमें कोई नहीं देखेगा मैंने दीदी की आंखों में झांकते हुए धीरे से बोला
तब दीदी शरारत भरी मुस्कान के साथ बोलीं तुझे लोगों की नज़रों से दूर क्यों बैठना है? मैंने दीदी को आंख मारते हुए बोला तुम्हें मालूम है कि मुझे क्यों लोगों से दूर बैठना है दीदी मुस्कुरा कर बोलीं हां मालूम तो है लेकिन सिर्फ थोड़ी देर के लिए बैठेंगे हम लोग को वैसे ही काफी देर हो चुकी है और दीदी उठ कर पत्थरों के पीछे चल पड़ी
मैं भी झट से उठ कर पहले अपना बैग संभाला और दीदी के पीछे पीछे चल पड़ा वहां पर दो बड़े बड़े पत्थरों के बीच एक अच्छी सी जगह थी मुझे लगा वहां से हमें कोई देख नहीं पाएगा मैंने जा कर वहीं पहले अपने बैग को रखा और फिर बैठ गया दीदी भी आकर मेरे पास बैठ गई दीदी मुझसे करीब एक फुट की दूरी पर बैठी थीं bhai behan hindi sex story
मैंने दीदी से और पास आ कर बैठने के लिए कहा दीदी थोड़ा सा सरक कर मेरे पास आ गई और अब दीदी के कंधे मेरे कंधों से छू रहे थे मैंने दीदी के गले में बाहें डाल कर उनको और पास खींच लिया मैं थोड़ी देर चुपचाप बैठा रहा और फिर दीदी के कान के पास अपना मुंह ले जाकर धीरे से कहा आप बहुत सुंदर हो
अमित क्या तुम सही बोल रहे हो? दीदी ने मेरी आंखों में आंखें डाल कर मुझे चिढ़ाते हुए बोलीं मैंने दीदी के कानों पर अपना होंठ रगड़ते हुए बोला मैं मजाक नहीं कर रहा हूं मैं तुम्हारे लिए पागल हूं दीदी धीरे से बोलीं मेरे लिए? मैंने फिर दीदी से धीरे से पूछा मैं तुम्हें किस कर सकता हूं?
दीदी कुछ नहीं बोलीं और अपनी सर मेरे कंधों पर टिका कर आंखें बंद कर ली मैंने दीदी की ठुड्डी पकड़ कर उनका चेहरा अपनी तरफ़ घुमाया तो दीदी ने मेरी आंखों में झांका और फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं मैं अब तक दीदी को पकड़े पकड़े गर्म हो चुका था और मैंने अपने होंठ दीदी के होंठों पर रख दिए ओह भगवान दीदी के होंठ बहुत ही रसीले और गर्म थे bhai behan hindi sex story
जैसे ही मैंने अपने होंठ दीदी के होंठ पर रखे दीदी की गले से एक घुटी सी आवाज निकल गई मैं दीदी को कुछ देर तक चूमता रहा चूमने से मैं तो गर्म हो ही गया और मुझे लगा कि दीदी भी गर्मा गई हैं दीदी मेरे दाहिने तरफ बैठी थी अब मैं अपने हाथ से दीदी की एक चूची पकड़ कर दबाने लगा मैं इत्मीनान से दीदी की चूची से खेल रहा था क्योंकि यहां मां के आने का डर नहीं था
मैं थोड़ी देर तक दीदी की एक चूची कपड़ों के ऊपर से दबाने के बाद मैंने अपना दूसरा हाथ दीदी की टॉप के अंदर घुसा दिया और उनकी ब्रा के ऊपर से उनकी चूची दबाने लगा
मुझे हाथ घुसा कर दीदी की चूची दबाने में थोड़ा अटपटा सा लग रहा था और इस लिए मैंने अपने हाथों को दीदी की टॉप में से निकाल कर अपने दोनों हाथों को उनकी कमर के पास रखा और धीरे धीरे दीदी की टॉप को उठाने लगा और फिर अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से मसलने लगा bhai behan hindi sex story
दीदी मुझे रोक नहीं रही थीं और मुझे कुछ भी करने का अच्छा मौक़ा था मैं अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचियों को पकड़ कर जोर जोर से मसल रहा था दीदी बस अपने गले से घुटी घुटी मस्त सिसकारियां निकाल रही थी मैं अपने दोनों हाथों को दीदी के पीछे ले गया और उनकी ब्रा के हुक खोलने लगा जैसे ही मैंने दीदी की ब्रा का हुक खोला तो ब्रा गिर कर उनके मम्मों पर लटक गई दीदी कुछ नहीं बोली
मैं फिर से अपने हाथों को सामने लाया और दीदी की चूचियों पर से ब्रा हटा कर उनकी चूचियों को नंगा कर दिया मैंने पहली बार दीदी की नंगी चूची पर अपना हाथ रखा जैसे ही मैं दीदी की नंगी चूचियों को अपने हाथों से पकड़ा दीदी कुछ कांप सी गई और मेरे दोनों हाथों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया मैं अब तक बहुत गर्मा गया था और मेरा लौड़ा खड़ा हो चुका था। मुझे बहुत ही उत्तेजना चढ़ गई थी
मैं सोच रहा था झट से अपने पैंट में से अपना लौड़ा निकलूं और दीदी के सामने ही मुठ मार लूं लेकिन मैं अभी मुठ नहीं मार सकता था मैं अब जोर जोर से दीदी की नंगी चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रहा था मैं दीदी की चूची को दबा रहा था रगड़ रगड़ कर मसल रहा था और कभी कभी उनके निप्पलों को अपने उंगलियों में पकड़ कर मसल रहा था bhai behan hindi sex story
दीदी के निप्पल इस वक़्त अकड़ कर सख्त हो गए थे जब जब मैं निप्पलों को अपने उंगलियों में पकड़ कर दबाता था तो दीदी छटपटा उठती मैंने बहुत देर तक चूचियों को पकड़ कर मसलने के बाद अपना मुंह नीचे करके दीदी के एक निप्पल को अपने मुंह में ले लिया दीदी ने अभी भी अपनी आंखें बंद कर रखी थीं
जब दीदी की चूची पर मेरा मुंह लगा तो दीदी ने अपनी आंखें खोल दीं और देखा कि मैं उनके एक निप्पल को अपने मुंह में भर कर चूस रहा हूं वो भी गर्मा गई दीदी की सांसे जोर जोर से चलने लगीं और उनका बदन उत्तेजना से कांपने लगा दीदी ने मेरे हाथों को कस कर पकड़ लिया इस वक़्त मैं उनकी दोनों दूधों को बारी बारी से चूस रहा था
अब दीदी के गले से अजीब अजीब सी आवाजें निकलने लगीं उन्होंने मुझे कस कर अपनी छाती से लिपटा लिया और थोड़ी देर के बाद शांत हो गई मेरा चेहरा नीचे की तरफ था और दीदी की चूचियों को जोर जोर से चूस रहा था मुझे पर दीदी के पानी की खुशबू आई ओह माय गॉड मैंने अपनी दीदी की चूत की पानी सिर्फ उनकी चूची चूस चूस कर निकाल दिया था? bhai behan hindi sex story
मैं अपना हाथ दीदी की चूची पर से हटा कर उनकी चूचियों को हल्के से पकड़ते हुए उनके होंठों को चूम लिया मैंने अपना हाथ दीदी के पेट पर रख कर नीचे की तरफ ले जाने लगा और धीरे धीरे मेरा हाथ दीदी की स्कर्ट के हुक तक पहुंच गया दीदी मेरा हाथ पकड़ कर बोलीं अब और नीचे मत ले मैंने दीदी से पूछा क्यों? दीदी तब मेरे हाथों को और जोर से पकड़ते हुए बोलीं नीचे अपना हाथ मत ले जाओ अभी उधर बहुत गंदा है
मैंने झट से दीदी को चूम कर बोला गंदा क्यों हैं? क्या तुम झड़ गई दीदी ने बहुत धीमी आवाज में कहा हां मैं झड़ गई हूं मैंने फिर दीदी से पूछा दीदी मेरी वजह से तुम झड़ गई हो? हां अमित तुम्हारी वजह से ही मैं झड़ गई हूं तुम इतने उतावले थे कि मैं अपने आप को संभाल ही नहीं पाई दीदी ने मुस्कुरा कर मुझसे कहा मैंने भी मुस्कुरा कर दीदी से पूछा क्या तुम्हें अच्छा लगा?
दीदी मुझे पकड़ कर चूमते हुए बोलीं मुझे तुम्हारी चूची चुसाई बहुत अच्छी लगी और उसके बाद मुझे झाड़ना और भी अच्छा लगा दीदी ने आज पहली बार मुझे चूमा था दीदी अपने कपड़ों को ठीक करके उठ खड़ी हो गई और मुझसे बोलीं अमित आज के लिए इतना सब काफी है और हम लोगों को घर भी लौटना है मैंने दीदी को एक बार फिर से पकड़ चुम्मा लिया और सड़क की तरफ चलने लगे bhai behan hindi sex story
मैंने सारे बैग फिर से उठा लिए और दीदी के पीछे पीछे चलने लगा थोड़ी दूर चलने के बाद वे मुझसे बोलीं मुझे चलने में बहुत परेशानी हो रही है मैंने फौरन पूछा क्यों? दीदी मेरी आंखों में देखती हुई बोलीं नीचे बहुत गीला हो गया है मेरी पैंटी बुरी तरह से भीग गई है मुझे चलने में बहुत अटपटा लग रहा है मैंने मुस्कुराते हुए बोला दीदी मेरी वजह से तुम्हें परेशानी हो गई है ना?
दीदी ने मेरा एक हाथ पकड़ कर कहा अमित यह गलती सिर्फ तुम्हारी अकेले की नहीं है मैं भी उसमें शामिल हूं हम लोग चुपाचाप चलते रहे और मैं सोच रहा था कि दीदी की समस्या को कैसे दूर करूं? मेरे दिमाग में एक बात सूझी मैंने फौरन दीदी से बोला एक काम करते हैं वहां पर एक पब्लिक टॉयलेट है तुम वहां जाओ और अपने पैंटी को बदल लो अरे तुमने अभी अभी जो पैंटी खरीदी है
वहां जाकर उसको पहन लो और गन्दी हो चुकी पैंटी को निकाल दो दीदी मुझे देखते हुए बोलीं तेरा आईडिया तो बहुत अच्छा है मैं जाती हूं और अपनी पैंटी बदल कर आती हूं हम लोग टॉयलेट के पास पहुंचे और दीदी ने मुझसे अपनी ब्रा और पैंटी वाला बैग ले लिया और टॉयलेट की तरफ चल दीं जैसे ही दीदी टॉयलेट जाने लगी मैंने दीदी से धीरे से बोला तुम अपनी पैंटी चेंज कर लेना तो साथ ही अपनी ब्रा भी चेंज कर लेना bhai behan hindi sex story
इससे तुम्हें यह पता लग जाएगा कि ब्रा ठीक साइज़ की हैं या नहीं? दीदी मेरी बातों को सुन कर हंस पड़ीं और मुझसे बोलीं बहुत शैतान हो गए हो और स्मार्ट भी दीदी शर्मा कर टॉयलेट चली गई करीब 15 मिनट के बाद दीदी टॉयलेट से लौट कर आई हम लोग बस स्टॉप तक चल दिए हम लोगों को बस जल्दी ही मिल गई और बस में भीड़ भी बिल्कुल नहीं थीं
बस करीब करीब खाली थीं हमने टिकट लिया और बस के पीछे जा कर बैठ गए सीट पर बैठने के बाद मैंने दीदी से पूछा तुमने अपनी ब्रा भी चेंज कर ली ना? दीदी मेरी तरफ देख कर हंस पड़ी मैंने फिर दीदी से पूछा बताओ ना दीदी क्या तुमने अपनी ब्रा भी चेंज कर ली है? तब दीदी ने धीरे से बोलीं हां अमित मैंने अपनी ब्रा चेंज कर ली है मैं फिर दीदी से बोला मैं तुमसे एक रिक्वेस्ट कर सकता हूं?
दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा हां बोल मैं तुम्हें तुम्हारे नए पैंटी और ब्रा में देखना चाहता हूं मैंने दीदी से कहा दीदी फौरन घबरा कर बोलीं यहां? तुम मुझे यहां मुझे ब्रा और पैंटी में देखना चाहते हो? मैंने दीदी को समझाते हुए बोला नहीं यहां नहीं मैं घर पर तुम्हें ब्रा और पैंटी में देखना चाहता हूं दीदी फिर मुझसे बोलीं पर घर पर कैसे होगा मां घर पर होगी घर पर यह संभव नहीं हैं bhai behan hindi sex story
कोई समस्या नहीं हैं मां घर पर खाना बना रही होंगी और तुम रसोई में जाकर अपने कपड़े चेंज करोगी जैसे तुम रोज करती हो लेकिन जब तुम कपड़े बदलो रसोई का पर्दा थोड़ा सा खुला छोड़ देना मैं हॉल में बैठ कर तुम्हें ब्रा और पैंटी में देख लूंगा दीदी मेरी बातें सुन कर बोलीं नहीं अमित फिर भी देखते हैं फिर हम लोग चुप हो गए और अपने घर पहुंच गए हमने घर पहुंच कर देखा कि मां रसोई में खाना बना रही हैं
हम लोगों ने पहले 5 मिनट तक रेस्ट किया और फिर दीदी अपनी मैक्सी उठा कर रसोई में कपड़े बदलने चली गई मैं हॉल में ही बैठा रहा रसोई में पहुंच कर दीदी ने पर्दा खींचा और पर्दा खींचते समय उसको थोड़ा सा छोड़ दिया और मेरी तरफ़ देख कर मुस्कुरा दीं और हल्के से आंख मार दीं मैं चुपचाप अपनी जगह से उठ कर पर्दे के पास जा कर खड़ा हो गया
दीदी मुझसे सिर्फ 5 फीट की दूरी पर खड़ी थीं और मां हम लोग की तरफ पीठ करके खाना बना रही थीं मां दीदी से कुछ बातें कर रही थीं दीदी मां की तरफ मुड़ कर मां से बातें करने लगी फिर दीदी ने धीरे धीरे अपनी टी-शर्ट को उठा कर अपने सर के ऊपर ले जाकर धीरे धीरे अपनी टी-शर्ट को उतार दीं टी-शर्ट के उतरते ही मुझे आज की खरीदीं हुई ब्रा दिखने लगी वाह क्या ब्रा थीं bhai behan hindi sex story
फिर दीदी ने फौरन अपने हाथों से अपनी स्कर्ट की इलास्टिक को ढीला किया और अपनी स्कर्ट भी उतार दीं अब दीदी मेरे सामने सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में थीं दीदी ने क्या मस्त ब्रा और मैचिंग की पैंटी खरीदीं है मेरे पैसे तो पूरे वसूल हो गए दीदी ने एक बहुत सुंदर नेट की ब्रा खरीदी थीं और उसके साथ पैंटी में भी खूब लेस लगा हुआ था मुझे दीदी की ब्रा से दीदी की चूचियों के आधे आधे दर्शन भी हो रहे थे फिर मेरी आंखें दीदी के पेट और उनकी दिलकश नाभि पर जा टिकी
दीदी की पैंटी इतनी टाइट थी कि मुझे उनके पैरों के बीच उनकी चूत की दरार साफ साफ दिख रही थी उसके साथ साथ दीदी की चूत के होंठ भी दिख रहे थे मुझे पता नहीं कि मैं कितनी देर तक अपनी दीदी को ब्रा और पैंटी में अपनी आंखें फाड़ फाड़ कर देखता रहा मैंने दीदी को सिर्फ एक या दो मिनट ही देखा होगा लेकिन मुझे लगा कि मैं कई घंटो से दीदी को देख रहा हूं
दीदी को देखते देखते मेरा लौड़ा पैंट के अंदर खड़ा हो गया और उसमें से लार निकलने लगी मेरे पैर कामुकता से कांपने लगे सारे वक़्त दीदी मुझसे आंखें चुरा रही थीं शायद दीदी को अपने छोटे भाई के सामने ब्रा और पैंटी में खड़ी होना कुछ अटपटा सा लग रहा था जैसे ही दीदी ने मुझे देखा तो मैंने इशारे से दीदी पीछे घूम जाने के लिए इशारा किया दीदी धीरे धीरे पीछे मुड़ गई लेकिन अपना चेहरा मां की तरफ ही रखा bhai behan hindi sex story
मैं दीदी को अब पीछे से देख रहा था दीदी की पैंटी उनके चूतड़ों में चिपकी हुई थी मैं दीदी के मस्त चूतड़ देख रहा था और मन ही मन सोच रहा था कि अगर मैं दीदी को पूरी नंगी देखूंगा तो शायद मैं अपने पैंट के अंदर ही झड़ जाउंगा थोड़ी देर के बाद दीदी मेरी तरफ फिर मुड़ कर खड़ी हो गई और अपनी मैक्सी उठा लीं और मुझे इशारा किया कि मैं वहां से हट जाऊं
मैंने दीदी को इशारा किया कि अपनी ब्रा उतारो और मुझे नंगी चूची दिखाओ दीदी बस मुस्कुरा दीं और अपनी मैक्सी पहन लीं मैं फिर भी इशारा करता रहा लेकिन दीदी ने मेरी बातों को नहीं माना मैं समझ गया कि अब बात नहीं बनेगी और मैं पर्दे के पास से हट कर हॉल में बिस्तर पर बैठ गया दीदी भी अपने कपड़ों को लेकर हॉल में आ गई अपने कपड़ों को अल्मारी में रखने के बाद दीदी बाथरूम चली गई
मैं समझ गया कि अब बात नहीं बनेगी और मैं पर्दे के पास से हट कर हॉल में बिस्तर पर बैठ गया दीदी भी अपने कपड़ों को लेकर हॉल में आ गई अपने कपड़ों को अल्मारी में रखने के बाद दीदी बाथरूम चली गई मैं दीदी को सिर्फ ब्रा और पैंटी में देख कर इतना गर्मा गया था कि अब मुझको भी बाथरूम जाना था और मुठ मारना था मेरे दिमाग में आज शाम की हर घटना बार बार घूम रही थी bhai behan hindi sex story
पहले हम लोग शॉपिंग करने मार्केट गए फिर हम लोग समुंदर के किनारे गए फिर हम लोग एक पत्थर के पीछे बैठे थे फिर मैंने दीदी की चूचियों को पकड़ कर मसला था और दीदी चूची मसलवा कर झड़ गई फिर दीदी एक पब्लिक टॉयलेट में जाकर अपनी पैंटी और ब्रा चेंज की थी मेरे दिमाग में यह बात आई कि दीदी की उतरी हुई पैंटी अभी भी बैग में ही होगी
मैंने रसोई में झांक कर देखा कि मां अभी खाना पका रही हैं और झट से उठ कर गया और बैग में से दीदी उतरी हुई पैंटी निकाल कर अपनी जेब में रख ली मैंने जल्दी से जाकर के बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और अपना जीन्स का पैंट उतार दिया और साथ साथ अपना अंडरवियर भी उतार दिया फिर मैंने दीदी की गीली पैंटी को खोला और और उसे उल्टा किया
मैंने देखा कि जहां पर दीदी की चूत का छेद था वहां पर सफेद सफेद गाढ़ा गाढ़ा चूत का पानी लगा हुआ है जब मैंने वो जगह छुई तो मुझे चिपचिपा सा लगा मैंने पैंटी अपने नाक के पास ले जाकर उस जगह को सूंघा मैं धीरे धीरे अपने दूसरे हाथ को अपने लौड़े पर फेरने लगा दीदी की चूत से निकली पानी की महक मेरे नाक में जा रही थी और मैं पागल हुआ जा रहा था bhai behan hindi sex story
मैं दीदी की पैंटी की चूत वाली जगह को चाटने लगा वाह दीदी की चूत के पानी का क्या स्वाद है मजा आ गया मैं दीदी की पैंटी को चाटता ही रहा और यह सोच रहा था कि मैं अपनी दीदी की चूत चाट रहा हूं मैं यह सोचते सोचते झड़ गया मैं अपना लंड हिला हिला कर अपना लंड साफ किया और फिर पेशाब की और फिर दीदी की पैंटी और ब्रा अपने जेब में रख कर वापस हॉल में पहुंच गया
थोड़ी देर के बाद जब दीदी को अपनी भीगी पैंटी की याद आई तो वो उसको बैग में ढूँढने लगीं शायद दीदी को उसे साफ करना था दीदी को उनकी पैंटी और ब्रा बैग में नहीं मिली थोड़ी देर के बाद दीदी ने मुझे कुछ अकेला पाया तो मुझ से पूछा मुझे अपनी पुरानी पैंटी और ब्रा बैग में नहीं मिल रही है मैंने दीदी से कुछ नहीं कहा और मुस्कुराता रहा
तू हंस क्यों रहा हैं? इसमें हंसने की क्या बात है दीदी ने मुझसे पूछा मैंने दीदी से पूछा तुम्हें अपनी पुरानी पैंटी और ब्रा क्यों चाहिए? तुम्हें तो नई ब्रा और पैंटी मिल गई तब कुछ कुछ समझ कर मुझसे पूछा उनको तुमने लिया है? मैं भी कह दिया हां मैंने लिया है वो दोनों अपने पास रखना है तुम्हारी गिफ़्ट समझ कर तब दीदी बोलीं अमित वो गंदे हैं bhai behan hindi sex story
मैं मुस्कुरा कर दीदी से बोला मैंने उनको साफ कर लिया लेकिन दीदी ने परेशान हो कर मुझसे पूछा क्यों? मैंने दीदी से कहा मैं बाद में दे दूंगा अब मां कमरे आ गई थीं इस लिए दीदी ने और कुछ नहीं पूछा अगली सुबह मैंने दीदी से पूछा क्या वो मेरे साथ दोपहर के शो में सिनेमा जाना चाहेंगी? दीदी ने हंसते हुए पूछा कौन दिखायेगा? मैं भी हंस के बोला मैं दीदी बोलीं मुझे क्या पता तेरे को कौन सा सिनेमा देखने जाना है
मैंने दीदी से बोला हम लोग न्यू थियेटर चलें? वो सिनेमा हॉल थोड़ा सा शहर से बाहर है ठीक है चल चलें दीदी मुझसे बोलीं असल में दीदी के साथ सिनेमा देखने का सिर्फ एक बहाना था मेरे दिमाग में और कुछ घूम रहा था सिनेमा के बाद मैं दीदी को और कहीं ले जाना चाहता था पिछले कई दिनों से मैंने दीदी की मुसम्मियों को कई बार दबाया था और मसला था और दो तीन बार चूसा भी था
अब मुझे और कुछ चाहिए था और इसी लिए मैं दीदी को और कहीं ले जाना चाहता था मुझे दीदी को छूने का अच्छा मौका सिनेमा हॉल में मिल सकता था या फिर सिनेमा के बाद और कहीं ले जाने के बाद मिल सकता था जब दीदी सिनेमा जाने के लिए तैयार होने लगी तो मैं धीरे से दीदी से कहा आज तुम स्कर्ट पहन कर चलो दीदी बस थोड़ा सा मुस्कुरा दीं और स्कर्ट पहनने के लिए राजी हो गई bhai behan hindi sex story
ठंड का मौसम था इस लिए मैं और दीदी ने ऊपर से जैकेट भी ले लिया था मैंने आज यह सिनेमा हॉल जान बूझ कर चुना था क्योंकि यह हॉल शहर से थोड़ा सा बाहर था और वहाँ जो सिनेमा चल रहा था वो दो हफ्ते पुरानी हो गई थी मुझे मालूम था कि हॉल में ज्यादा भीड़ भाड़ नहीं होगी हम लोग वहां पहुंच कर टिकट ले लिए और हॉल में जब घुसे तो किसी और सिनेमा का ट्रेलर चल रहा था इस लिए हॉल के अंदर अंधेरा था
बाकी कहानी अगले भाग में