Bhai Behan Hindi Sex Story 1
(बहन के साथ चुदाई – 1)
मेरा नाम अमित है और मैं 21 साल का एक युवक हूं मेरी दीदी का नाम संगीता है उसकी उम्र करीब 26 साल है दीदी मुझसे 5 साल बड़ी हैं हम लोग एक मध्यम वर्ग परिवार से हैं और एक छोटे से फ्लैट में मुंबई में रहते हैं bhai behan hindi sex story
हमारे घर में एक छोटा सा हॉल डायनिंग रूम दो बेडरूम और एक किचन है बाथरूम एक ही था और उसको सभी लोग इस्तेमाल करते थे हमारे पिताजी और मां दोनों नौकरी करते हैं bhai behan hindi sex story
दीदी मुझको अमित कह कर पुकारती हैं और मैं उनको दीदी कह कर पुकारता हूं शुरू शुरू में मुझे सेक्स के बारे कुछ नहीं मालूम था मैं कॉलेज में पढ़ता था और हमारे बिल्डिंग में भी अच्छी मेरे उम्र की कोई लड़की नहीं थी इसलिए मैंने अभी तक सेक्स का मजा नहीं लिया था और ना ही मैंने अब तक कोई नंगी लडकी देखी थी हां मैं कभी कभी पॉर्न मैगजीन में नंगी तस्वीरें देख लिया करता था
जब मुझे लड़कियों के तरफ और सेक्स के लिए रूचि होना शुरू हुआ मेरे नज़रों के आसपास अगर कोई लड़की थी तो वो संगीता दीदी ही थीं दीदी की लंबाई करीब करीब मेरे तरह ही थी उनका रंग बहुत गोरा था और उनका चेहरा और शारीरिक बनावट हिंदी सिनेमा के जीनत अमान जैसा था हां उनकी चूचियां जीनत अमान जैसे बड़ी बड़ी नहीं थी bhai behan hindi sex story
मुझे अभी तक याद है की मैंने अपना पहला मुठ मेरी दीदी के लिए ही मारा था एक रविवार सुबह सुबह जैसे ही मेरी दीदी बाथरूम से निकलीं मैं बाथरूम में घुस गया मैंने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपने कपड़े खोलने शुरू किए मुझे जोरों की पेशाब लगी थी पेशाब करने के बाद मैं अपने लंड से खेलने लगा
मेरी नजर बाथरूम के किनारे दीदी के उतरे हुए कपड़ों पर पड़ी वहां पर दीदी अपनी नाइटगाऊन उतार कर छोड़ गई थीं जैसे ही मैंने दीदी का नाइटगाऊन उठाया तो देखा की नाइटगाऊन के नीचे दीदी की ब्रा पड़ी थी bhai behan hindi sex story
जैसे ही मैंने दीदी की काले रंग की ब्रा उठाई तो मेरा लंड अपने आप खड़ा होने लगा मैंने दीदी का नाइटगाऊन उठाया तो उसमें से दीदी के नीले रंग का पैंटी भी नीचे गिर गई मैंने पैंटी भी उठा ली अब मेरे एक हाथ में दीदी की पैंटी थी और दूसरे हाथ में दीदी की ब्रा थी
ओह भगवान दीदी के अन्दर वाले कपड़े चूमने से ही कितना मजा आ रहा है यह वही ब्रा है जिसमें कुछ देर पहले दीदी की चूचियां जकड़ी हुई थी और यह वही पैंटी है जो कुछ देर पहले तक दीदी की चूत से लिपटी थी यह सोच सोच करके मैं हैरान हो रहा था और अंदर ही अंदर गरमा रहा था मैं सोच नहीं पा रहा था कि मैं दीदी की ब्रा और पैंटी को लेकर क्या करूं bhai behan hindi sex story
मैंने दीदी की ब्रा और पैंटी को लेकर हर तरफ से छूआ सूंघा चाटा और पता नहीं क्या क्या किया मैंने उन कपड़ों को अपने लंड पर मला ब्रा को अपने छाती पर रखा मैं अपने खड़े लंड के ऊपर दीदी की पैंटी को पहना और वो लंड के ऊपर तना हुआ था फिर बाद में मैं दीदी की नाइटगाऊन को बाथरूम के दीवार के पास एक हैंगर पर टांग दिया
फिर कपड़े टांगने वाला पिन लेकर ब्रा को नाइटगाऊन के ऊपरी भाग में फंसा दिया और पैंटी को नाइटगाऊन के कमर के पास फंसा दिया अब ऐसा लग रहा था कि दीदी बाथरूम में दीवार के सहारे ख़ड़ी हैं और मुझे अपनी ब्रा और पैंटी दिखा रही हैं मैं झट से जाकर दीदी के नाइटगाऊन से चिपक गया और उनकी ब्रा को चूसने लगा और मन ही मन सोचने लगा की मैं दीदी की चूची चूस रहा हूं
मैं अपने लंड को दीदी की पैंटी पर रगड़ने लगा और सोचने लगा की मैं दीदी को चोद रहा हूं मैं इतना गरम हो गया था कि मेरा लंड फूल कर पूरा का पूरा टनटना गया था और थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मैं झड़ गया मेरे लंड ने पहली बार अपना पानी छोड़ा था और मेरे पानी से दीदी की पैंटी और नाइटगाऊन भीग गया था bhai behan hindi sex story
मुझे पता नहीं कि मेरे लंड ने कितना वीर्य निकाला था लेकिन जो कुछ निकला था वो मेरे दीदी के नाम पर निकला था मेरा पहले पहले बार झड़ना इतना तेज था कि मेरे पैर जवाब दे गए मैं पैरों पर ख़ड़ा नहीं हो पा रहा था और मैं चुपचाप बाथरूम के फर्श पर बैठ गया थोड़ी देर के बाद मुझे होश आया तो मैं उठ कर नहाने लगा
शॉवर के नीचे नहा कर मुझे कुछ ताजगी महसूस हुई और मैं फ्रेश हो गया नहाने के बाद मैं दीवार से दीदी की नाइटगाऊन ब्रा और पैंटी उतारा और उसमें से अपना वीर्य धोकर साफ किया और नीचे रख दिया उस दिन के बाद से मेरा यह मुठ मारने का तरीका मेरा सबसे पसंदीदा हो गया हां मुझे इस तरह से मुठ मारने का मौका सिर्फ रविवार को ही मिलता था क्योंकि रविवार के दिन ही मैं दीदी के नहाने के बाद नहाता था
रविवार के दिन चुपचाप अपने बिस्तर पर पड़ा देखा करता था कि कब दीदी बाथरूम में घुसे और दीदी के बाथरूम में घुसते ही मैं उठ जाया करता था और जब दीदी बाथरूम से निकलती तो मैं बाथरूम में घुस जाया करता था मेरे मां और पिता जी सुबह सुबह उठ जाया करते थे और जब मैं उठता था तो मां रसोई में नाश्ता बनाती होतीं और पिता जी बाहर बालकनी में बैठ कर अखबार पढ़ते होते या बाज़ार गए होते कुछ ना कुछ समान ख़रीदने bhai behan hindi sex story
रविवार को छोड़ कर मैं जब भी मुठ मारता तो तब यही सोचता कि मैं अपना लंड दीदी की रस भरी चूत में पेल रहा हूं शुरू शुरू में मैं यह सोचता था कि दीदी जब नंगी होंगी तो कैसी दिखेंगी? फिर मैं यह सोचने लगा कि दीदी की चूत चोदने में कैसा लगेगा मैं कभी कभी सपने में दीदी को नंगी करके चोदता था और जब मेरी आंखें खुलती तो मेरा शॉर्ट भीगा हुआ होता था
मैंने कभी भी अपनी सोच और अपने सपने के बारे में किसी को भी नहीं बताया था और न ही दीदी को भी इसके बारे में जानने दिया मैं अपनी स्कूल की पढ़ाई खत्म करके कालेज जाने लगा कॉलेज में मेरी कुछ गर्लफ्रेंड भी हो गई उन गर्लफ्रेंड में से मैंने दो चार के साथ सेक्स का भी मजा लिया
मैं जब कोई गर्लफ्रेंड के साथ चुदाई करता तो मैं उसको अपने दीदी के साथ तुलना करता और मुझे कोई भी गर्लफ्रेंड दीदी के बराबर नहीं लगती मैं बार बार यह कोशिश करता था कि मेरा दिमाग दीदी पर से हट जाए लेकिन मेरा दिमाग घूम फिर कर दीदी पर ही आ जाता मैं हमेशा 24 घंटे दीदी के बारे में और उसको चोदने के बारे में ही सोचता रहता bhai behan hindi sex story
मैं जब भी घर पर होता तो दीदी को ही देखता रहता लेकिन इसकी जानकारी दीदी को नहीं थी दीदी जब भी अपने कपड़े बदलती थीं या मां के साथ घर के काम में हाथ बटाती तो मैं चुपके चुपके उन्हें देखा करता था और कभी कभी मुझे उनकी सुडौल चूची देखने को मिल जाती थी
दीदी के साथ अपने छोटे से घर में रहने से मुझे कभी कभी बहुत फायदा हुआ करता था कभी मेरा हाथ उनके शरीर से टकरा जाता था मैं दीदी के दो भरे भरे चूची और गोल गोल चूतड़ों को छूने के लिए मरा जा रहा था
मेरा सबसे अच्छा टाइम पास था अपने बालकोनी में खड़े हो कर सड़क पर देखना और जब दीदी पास होती तो धीरे धीरे उनकी चूचियों को छूना हमारे घर की बालकोनी कुछ ऐसी थी कि उसकी लम्बाई घर के सामने गली के बराबर में थी और उसकी संकरी सी चौड़ाई के सहारे खड़े हो कर हम सड़क देख सकते थे bhai behan hindi sex story
मैं जब भी बालकोनी पर खड़े होकर सड़क को देखता तो अपने हाथों को अपने सीने पर मोड़ कर बालकोनी की रेलिंग के सहारे खड़ा रहता था कभी कभी दीदी आती तो मैं थोड़ा हट कर दीदी के लिए जगह बना देता और दीदी आकर अपने बगल खड़ी हो जाती मैं ऐसे घूम कर खड़ा होता कि दीदी को बिलकुल सट कर खड़ा होना पड़ता दीदी की भरी भरी चूची मेरे सीने से सट जाता था
मेरे हाथों की उंगलियां जो कि बालकोनी के रेलिंग के सहारे रहती वे दीदी की चूचियों से छू जाती थी मैं अपने उंगलियों को धीरे धीरे दीदी की चूचियों पर हल्के हल्के चलाता था और दीदी को यह बात नहीं मालूम थी मैं उंगलियों से दीदी की चूची को छू कर देखा कि उनकी चूची कितनी नरम और मुलायम है लेकिन फिर भी तनी तनी रहा करती है कभी कभी मैं दीदी के चूतड़ों को भी धीरे धीरे अपने हाथों से छूता था
मैं हमेशा ही दीदी की सेक्सी शरीर को इसी तरह से छूता था मैं समझता था कि दीदी मेरे हरकतों और मेरे इरादों से अनजान हैं दीदी को इस बात का पता भी नहीं था कि उनका छोटा भाई उनके नंगे शरीर को चाहता है और उनकी नंगी शरीर से खेलना चाहता है लेकिन मैं गलत था bhai behan hindi sex story
फिर एक दिन दीदी ने मुझे पकड़ लिया उस दिन दीदी किचन में जा कर अपने कपड़े बदल रही थीं हॉल और किचन के बीच का पर्दा थोड़ा खुला हुआ था दीदी दूसरी तरफ देख रही थी और अपनी कुर्ती उतार रही थीं और उनकी ब्रा में छूपी हुई चूची मेरे नज़रों के सामने था फिर रोज की तरह मैं टी वी देख रहा था और दीदी को भी देख रहा था
दीदी ने तब सामने वाले दीवार पर टंगे शीशे को देखा और मुझे आंखें फिरा फिरा कर घूरते हुए पाया दीदी ने देखा कि मैं उनकी चूचियों को घूर रहा हूं फिर मेरी और दीदी की आंखे शीशे में टकरा गई मैं शर्मा गया और अपनी आंखें टी वी की तरफ कर ली मेरा दिल क्या धड़क रहा था मैं समझ गया कि दीदी जान गई हैं कि मैं उनकी चूचियों को घूर रहा था अब दीदी क्या करेंगी?
क्या दीदी मां और पिता जी को बता देंगी? क्या दीदी मुझसे नाराज होंगी? इसी तरह से हज़ारों प्रश्न मेरे दिमाग में घूम रहे थे मैं दीदी की तरफ़ फिर से देखने का साहस जुटा नहीं पाया उस दिन सारा दिन और उसके बाद 2-3 दिनों तक मैं दीदी से दूर रहा उनके तरफ नहीं देखा इन 2-3 दिनों में कुछ नहीं हुआ मैं खुश हो गया और दीदी को फिर से घूरना चालू कर दिया bhai behan hindi sex story
दीदी ने मुझे 2-3 बार फिर घूरते हुए पकड़ लिया लेकिन फिर भी कुछ नहीं बोली मैं समझ गया कि दीदी को मालूम हो चुका है कि मैं क्या चाहता हूं खैर जब तक दीदी को कोई एतराज नहीं तो मुझे क्या लेना देना और मैं मज़े से दीदी को घूरने लगा एक दिन मैं और दीदी अपने घर के बालकोनी में पहले जैसे खड़े थे दीदी मेरे हाथों से सट कर खड़ी थीं और मैं अपने उंगलियों को दीदी के चूची पर हल्के हल्के चला रहा था
मुझे लगा कि दीदी को शायद यह बात नहीं मालूम कि मैं उनकी चूचियों पर अपनी उंगलियों को चला रहा हूं मुझे इस लिए लगा क्योंकि दीदी मुझसे फिर भी सट कर खड़ी थीं लेकिन मैं यह तो समझ रहा था क्योंकि दीदी ने पहले भी नहीं टोका था तो अब भी कुछ नहीं बोलेंगी और मैं आराम से दीदी की चूचियों को छू सकता हूं
हम लोग अपने बालकोनी में खड़े थे और आपस में बातें कर रहे थे हम लोग कॉलेज और स्पोर्टस के बारे में बातें कर रहे थे हमारे बालकोनी से सामने एक गली थी तो हम लोगों की बालकोनी में कुछ अंधेरा था बातें करते करते दीदी मेरे उंगलियों को जो उनकी चूची पर घूम रहा था अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूची से हटा दिया bhai behan hindi sex story
दीदी को अपनी चूची पर मेरे उंगली का एहसास हो गया था और वो थोड़ी देर के लिए बातें करना बंद कर दीं और उनकी शरीर कुछ अकड़ गई लेकिन दीदी अपने जगह से हिलीं नहीं और मेरे हाथों से सट कर खड़ी रहीं दीदी ने मुझसे कुछ नहीं बोलीं तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने अपना पूरा का पूरा पंजा दीदी की एक मुलायम और गोल गोल चूची पर रख दिया
मैं बहुत डर रहा था पता नहीं दीदी क्या बोलेंगी? मेरा पूरा का पूरा शरीर कांप रहा था लेकिन दीदी कुछ नहीं बोलीं दीदी सिर्फ एक बार मुझे देखीं और फिर सड़क पर देखने लगीं मैं भी दीदी की तरफ डर के मारे नहीं देख रहा था
मैं भी सड़क पर देख रहा था और अपने हाथ से दीदी की एक चूची को धीरे धीरे सहला रहा था मैं पहले धीरे धीरे दीदी की एक चूची को सहला रहा था और फिर थोड़ी देर के बाद दीदी की एक मुलायम गोल गोल नरम लेकिन तनी चूची को अपने हाथों से जोर जोर से मसलने लगा दीदी की चूची काफी बड़ी थी और मेरे पंजों में नहीं समा रही थी bhai behan hindi sex story
थोड़ी देर बाद मुझे दीदी की कुर्ती और ब्रा के उपर से लगा की चूची के निप्पल तन गई और मैं समझ गया कि मेरे चूची मसलने से दीदी गरमा गई हैं दीदी की कुर्ती और ब्रा के कपड़े बहुत ही महीन और मुलायम थी और उसके ऊपर से मुझे दीदी की निप्पल तनने के बाद दीदी की चूची छूने से मुझे जैसे स्वर्ग मिल गया था
किसी जवान लड़की के चूची छूने का मेरा यह पहला अवसर था मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब तक दीदी की चूचियों को मसलता रहा और दीदी ने भी मुझे एक बार के लिए मना नहीं किया दीदी चुपचाप खड़ी हो कर मुझसे अपनी चूची मसलवाती रही
दीदी की चूची मसलते मसलते मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा था मुझे बहुत मजा आ रहा था लेकिन एकाएक मां की आवाज़ सुनाई दी मां की आवाज़ सुनते ही दीदी ने धीरे से मेरा हाथ अपने चूची से हटा दिया और मां के पास चली गई उस रात मैं सो नहीं पाया मैं सारी रात दीदी की मुलायम मुलायम चूची के बारे में सोचता रहा bhai behan hindi sex story
दूसरे दिन शाम को मैं रोज़ की तरह अपने बालकोनी में खड़ा था थोड़ी देर के बाद दीदी बालकोनी में आई और मेरे बगल में खड़ी हो गई मै 2-3 मिनट तक चुपचाप खड़ा दीदी की तरफ देखता रहा दीदी ने मेरे तरफ देखा मैं धीरे से मुस्कुरा दिया लेकिन दीदी नहीं मुस्कुराईं और चुपचाप सड़क पर देखने लगीं
मैं दीदी से धीरे से बोला छूना है मैं साफ साफ दीदी से कुछ नहीं कह पा रहा था और पास आ दीदी ने पूछा क्या छूना चाहते हो? साफ साफ दीदी ने फिर मुझसे पूछीं तब मैं धीरे से दीदी से बोला तुम्हारा दूध छूना दीदी ने तब मुझसे तपाक से बोली क्या छूना है साफ़ साफ बोलो? मैं तब दीदी से मुस्कुरा कर बोला तुम्हारी चूची छूना है उसको मसलना है
अभी मां आ सकती है दीदी तब मुस्कुरा कर बोलीं मैं भी तब मुस्कुरा कर अपनी दीदी से बोला जब मां आएगी तो हमें पता चल जायेगा मेरे बातों को सुन कर दीदी कुछ नहीं बोलीं और चुपचाप नज़दीक आ कर खड़ी हो गई लेकिन उनकी चूची कल की तरह मेरे हाथ नहीं छू रहे थे bhai behan hindi sex story
मैं समझ गया कि दीदी आज मेरे से सट कर खड़ी होने से कुछ शर्मा रही हैं अब तक दीदी अनजाने में मुझसे सट कर खड़ी होती थी लेकिन आज जानबूझ कर मुझसे सट कर खड़ी होने से वो शर्मा रही हैं क्योंकि आज दीदी को मालूम था की सट कर खड़ी होने से क्या होगा जैसे दीदी पास आ गई और अपने हाथों से दीदी को और पास खींच लिया अब दीदी की चूची मेरे हाथों को कल की तरह छू रही थी मैंने अपना हाथ दीदी की चूची पर टिका दिया
दीदी के चूची छूने के साथ ही मैं मानो स्वर्ग पर पहुंच गया मैं दीदी की चूची को पहले धीरे धीरे छुआ फिर उन्हें कस कस कर मसला कल की तरह आज भी दीदी की कुर्ती और उसके नीचे ब्रा बहुत नर्म कपड़े की थी और उस में से मुझे दीदी की निप्पल तन कर खड़े होना मालूम चल रहा था मैं तब अपने एक उंगली और अंगूठे से दीदी की निप्पल को जोर जोर से दबाने लगा
मैं जितनी बार दीदी की निप्पलों को दबा रहा था उतनी बार दीदी कसमसा रही थीं और दीदी की मुंह शरम के मारे लाल हो रहा थी तब दीदी ने मुझसे धीरे से बोलीं धीरे दबा तब मैं लगता धीरे धीरे करने मैं और दीदी ऐसे ही फालतू बातें कर रहे थें और देखने वाले को यही दिखता कि मैं और दीदी कुछ गंभीर बातों पर बहस कर रहे थें लेकिन असल में मैं दीदी की चूचियों को अपने हाथों से कभी धीरे धीरे और कभी जोर जोर से मसल रहा था bhai behan hindi sex story
थोड़ी देर बाद मां ने दीदी को बुला लिया और दीदी चली गईं ऐसे ही 2-3 दिन तक चलता रहा मैं रोज दीदी की सिर्फ एक चूची को मसल पाता था लेकिन असल में मैं दीदी की दोनों चूचियों को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर मसलना चाहता था लेकिन बालकोनी में खड़े हो कर यह मुमकिन नहीं था मैं दो दिन तक इसके बारे में सोचता रहा
एक दिन शाम को मैं हॉल में बैठ कर टी वी देख रहा था माँ और दीदी किचन में डिनर की तैयारी कर रही थीं कुछ देर के बाद दीदी काम ख़त्म करके हॉल में आ कर बिस्तर पर बैठ गई दीदी ने थोड़ी देर तक टी वी देखा और फिर अख़बार उठा कर पढ़ने लगीं दीदी बिस्तर पर पलटी मार कर बैठी थीं और अख़बार अपने सामने उठा कर पढ रही थी मेरा पैर दीदी को छू रहा था मैंने अपने पैरों को और थोड़ा सा आगे खिसका दिया और और अब मेरा पैर दीदी की जांघो को छू रहा था
मैं दीदी की पीठ को देख रहा था दीदी आज एक काले रंग का झीना टी शर्ट पहनी हुई थीं और मुझे दीदी की काले रंग का ब्रा भी दिख रहा था मैं धीरे से अपना एक हाथ दीदी की पीठ पर रखा और टी शर्ट के उपर से दीदी की पीठ पर चलाने लगा जैसे मेरा हाथ दीदी की पीठ को छुआ दीदी की शरीर अकड़ गया दीदी ने तब दबी जुबान से मुझसे पूछी यह तुम क्या कर रहे हो तुम पागल तो नहीं हो गए मां अभी हम दोनो को किचन से देख लेंगी bhai behan hindi sex story
दीदी ने दबी जुबान से फिर मुझसे बोलीं मां कैसे देख लेंगी? मैंने दीदी से कहा क्या मतलब है तुम्हारा? दीदी पूछीं मेरा मतलब यह है कि तुम्हारे सामने अख़बार खुली हुई है अगर मां हमारी तरफ देखेगी तो उनको अख़बार दिखलाई देगी मैंने दीदी से धीरे से कहा तू बहुत स्मार्ट और शैतान है दीदी ने धीरे से मुझसे बोलीं
फिर दीदी चुप हो गई और अपने सामने अख़बार को फैला कर अख़बार पढ़ने लगी मैं भी चुपचाप अपना हाथ दीदी के दाहिने बगल के ऊपर नीचे किया और फिर थोड़ा सा झुक कर मैं अपना हाथ दीदी की दाहिने चूची पर रख दिया जैसे ही मैं अपना हाथ दीदी के दाहिने चूची पर रखा दीदी कांप गईं मैं भी तब इत्मिनान से दीदी की दाहिने वाली चूची अपने हाथ से मसलने लगा
थोड़ी देर दाहिना चूची मसलने के बाद मैं अपना दूसरा हाथ से दीदी बाईं तरफ वाली चूची पाकर लिया और दोनो हाथों से दीदी की दोनो चूचियों को एक साथ मसलने लगा दीदी कुछ नहीं बोलीं और वो चुप चाप अपने सामने अख़बार फैलाए अख़बार पढ़ती रही मैं दीदी की टी शर्ट को पीछे से उठाने लगा दीदी की टी शर्ट दीदी के चूतड़ों के नीचे दबी थी और इस लिए वो ऊपर नहीं उठ रही थी bhai behan hindi sex story
मैं जोर लगाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ दीदी को मेरे दिमाग की बात पता चल गया दीदी झुक कर के अपना चूतड़ को उठा दिया और मैंने उनका टी शर्ट धीरे से उठा दिया अब मैं फिर से दीदी के पीठ पर अपना ऊपर नीचे घूमना शुरू कर दिया और फिर अपना हाथ टी शर्ट के अंदर कर दिया वो क्या चिकना पीठ था दीदी का
मैं धीरे धीरे दीदी की पीठ पर से उनका टी शर्ट पूरा का पूरा उठा दिया और दीदी की पीठ नंगी कर दिया अब अपने हाथ को दीदी की पीठ पर ब्रा के ऊपर घूमना शुरू किया जैसे ही मैंने ब्रा को छुआ दीदी कांपने लगीं फिर मैं धीरे से अपने हाथ को ब्रा के सहारे सहारे बगल के नीचे से आगे की तरफ बढ़ा दिया फिर मैं दीदी की दोनो चूचियों को अपने हाथ में पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा
दीदी की निप्पल इस समय तनी तनी थी और मुझे उसे अपने उंगलो से दबाने में मजा आ रहा था मैं तब आराम से दीदी की दोनों चूचियों को अपने हाथों से दबाने लगा और कभी कभी निप्पल खींचने लगा मां अभी भी किचन में खाना पका रही थी हम लोगों को मां साफ साफ किचन में काम करते दिखलाई दे रही थी मैं यह सोच सोच कर खुश हो रहा था कि दीदी कैसे मुझे अपनी चूचियों से खेलने दे रही है और वो भी तब जब मां घर में मौजूद हैं bhai behan hindi sex story
मैं तब अपना एक हाथ फिर से दीदी की पीठ पर ब्रा के हुक तक ले आया और धीरे धीरे दीदी की ब्रा की हुक को खोलने लगा दीदी की ब्रा बहुत टाईट थी और इस लिए ब्रा का हुक आसानी से नहीं खुल रहा था लेकिन जब तक दीदी को यह पता चलता मैं उनकी ब्रा की हुक खोल रहा हूं ब्रा का हुक खुल गया और ब्रा की स्ट्रेप उनकी बगल तक पहुंच गया
दीदी अपना सर घुमा कर मुझसे कुछ कहने वाली थी कि मां किचन में से हॉल में आ गई मैंने जल्दी से अपना हाथ खींच कर दीदी की टी शर्ट नीचे कर दिया और हाथ से टी शर्ट को ठीक कर दिया मां हॉल में आ कर कुछ ले रही थी और दीदी से बातें कर रही थी दीदी भी बिना सर उठाए अपनी नज़र अख़बार पर रखते हुए मां से बात कर रही थी मां को हमारे कारनामों का पता नहीं चला और फिर से किचन में चली गई
जब मां चली गई तो दीदी ने दबी जुबान से मुझसे बोलीं अमित मेरी ब्रा की हुक को लगा क्या? मैं यह हुक नहीं लगा पाऊंगा मैं दीदी से बोला क्यों तू हुक खोल सकता है और लगा नहीं सकता? दीदी मुझे झिड़कते हुए बोलीं नही यह बात नहीं है दीदी तुम्हारा ब्रा बहुत टाईट है मैं फिर दीदी से कहा दीदी अख़बार पढ़ते हुए बोली मुझे कुछ नहीं पता तुमने ब्रा खोला है और अब तुम ही इसे लगाओगे दीदी नाराज होती बोलीं bhai behan hindi sex story
लेकिन दीदी ब्रा की हुक को तुम भी तो लगा सकती हो? मैंने दीदी से पूछा बुधु मैं नहीं लगा सकती मुझे हुक लगाने के लिए अपने हाथ पीछे करने पड़ेंगे और मां देख लेंगी तो उन्हें पता चल जाएगा कि हम लोग क्या कर रहे थे दीदी मुझसे बोलीं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं मैं अपना हाथ दीदी के टी शर्ट नीचे से दोनों बगल से बढ़ा दिया और ब्रा के स्ट्रेप को खींचने लगा जब स्ट्रेप थोड़ा आगे आया तो मैंने हुक लगाने की कोशिश करने लगा
लेकिन ब्रा बहुत ही टाईट था और मुझसे हुक नहीं लग रहा था मैं बार बार कोशिश कर रहा था और बार बार मां की तरफ देख रहा था मां ने रात का खाना करीब करीब पका लिया था और वो कभी भी किचन से आ सकती थी दीदी मुझसे बोलीं यह अख़बार पकड़ अब मुझे ही ब्रा के स्ट्रेप को लगाना पड़ेगा मैंने बगल से हाथ निकल कर दीदी के सामने अख़बार पकड़ लिया और दीदी अपनी हाथ पीछे करके ब्रा की हुक को लगाने लगीं
मैं पीछे से ब्रा का हुक लगाना देख रहा था ब्रा इतनी टाईट थी कि दीदी को भी हुक लगाने में दिक्कत हो रहीं थी आख़िरकार दीदी ने अपनी ब्रा की हुक को लगा लिया जैसे ही दीदी ने ब्रा की हुक लगा कर अपने हाथ सामने किए मां कमरे में फिर से आ गई मां बिस्तर पर बैठ कर दीदी से बातें करने लगीं मैं उठ कर टॉयलेट की तरफ चल दिया क्योंकि मेरा लंड बहुत गरम हो चुका था और मुझे उसे ठंडा करना था bhai behan hindi sex story
दूसरे दिन जब मैं और दीदी बालकोनी पर खड़े थें तो दीदी मुझसे बोलीं हम कल रात करीब करीब पकड़ लिए गए थे मुझे बहुत शरम आ रही थी मुझे पता है और मैं कल रात की बात से शर्मिंदा हूं तुम्हारी ब्रा इतनी टाईट थी कि मुझसे उसकी हुक नहीं लगी मैंने दीदी से कहा दीदी तब मुझसे बोलीं मुझे भी बहुत दिक्कत हो रहीं थी और मुझे अपने हाथ पीछे करके ब्रा की स्ट्रेप लगाने में बहुत शरम आ रही थी
दीदी तुम अपनी ब्रा रोज कैसे लगाती हो? मैंने दीदी से धीरे से पूछा दीदी बोलीं हम लोग फिर दीदी समझ गई की मैं दीदी से मजाक कर रहा हूं तब बोलीं तू बाद में अपने आप समझ जाएगा फिर मैंने दीदी से धीरे से कहा मैं तुमसे एक बात कहूं? हां दीदी तपाक से बोलीं दीदी तुम सामने हुक वाली ब्रा क्यों नहीं पहनती मैंने दीदी से पूछा?
दीदी तब मुस्कुरा कर बोलीं सामने हुक वाली ब्रा बहुत महंगी है मैं तपाक से दीदी से कहा कोई बात नहीं तुम पैसे के लिए मत घबराओ मैं तुम्हें पैसे दे दूंगा मेरी बातों को सुनकर दीदी मुस्कुराते हुए बोलीं तेरे पास इतने सारे पैसे हैं चल मुझे एक 100 का नोट दे मैं भी अपना पर्स निकाल कर दीदी से बोला तुम मुझसे 100 का नोट ले लो दीदी bhai behan hindi sex story
मेरे हाथ में 100 का नोट देख कर बोलीं नहीं मुझे पैसे नहीं चाहिए मैं तो यूंही मजाक कर रही थी लेकिन मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ दीदी तुम ना मत करो और यह रुपये तुम मुझसे ले लो और मैं जबरदस्ती दीदी के हाथ में वो 100 का नोट थमा दिया दीदी कुछ देर तक सोचती रहीं और वो नोट ले लिया और बोलीं मैं तुम्हें उदास नहीं देख सकती और मैं यह रुपये ले रही हूं लेकिन याद रखना सिर्फ इस बार ही रुपये ले रही हूं
मैं भी दीदी से बोला सिर्फ काले रंग की ब्रा खरीदना मुझे काले रंग की ब्रा बहुत पसंद है और एक बात याद रखना काले रंग के ब्रा के साथ काले रंग की पैंटी भी खरीदना दीदी दीदी शर्मा गई और मुझे मारने के लिए दौड़ीं लेकिन मैं अंदर भाग गया अगले दिन शाम को मैं दीदी को अपनी किसी सहेली के साथ फोन पर बातें करते हुए सुना मैंने सुना की दीदी अपनी सहेली को मार्केटिंग करने के लिए साथ चलने के लिए बोल रही हैं
मैं दीदी को अकेला पाकर बोला मैं भी तुम्हारे साथ मार्केटिंग करने के लिए जाना चाहता हूं क्या मैं तुम्हारे साथ जा सकता हूं? दीदी कुछ सोचती रहीं और फिर बोलीं अमित मैं अपनी सहेली से बात कर चुकी हूं और वो शाम को घर पर आ रहीं है और फिर मैंने मां से भी अभी नहीं कही है कि मैं शॉपिंग के लिए जा रही हूं bhai behan hindi sex story
मैंने दीदी से कहा तुम जाकर मां से बोलो कि तुम मेरे साथ मार्केट जा रही हो और देखना मां तुम्हें जाने देंगी फिर हम लोग बाहर से तुम्हारी सहेली को फोन कर देंगे कि मार्केटिंग का प्रोग्राम कैंसिल हो गया है और उसे आने की जरूरत नहीं है ठीक है ना? हां यह बात मुझे भी ठीक लगती है मैं जा कर मां से बात करती हूं और यह कह कर दीदी मां से बात करने अंदर चली गई मां ने तुरंत दीदी को मेरे साथ मार्केट जाने के लिए हां कह दीं
उस दिन कपड़े की मार्केट में बहुत भीड़ थी और मैं ठीक दीदी के पीछे खड़ा हुआ था और दीदी के चूतड़ मेरे जांघों से टकरा रहे थे मैं दीदी के पीछे चल रहा था जिससे की दीदी को कोई धक्का ना मार दे हम जब भी कोई फुटपाथ के दुकान में खड़े होकर कपड़े देखते तो दीदी मुझसे चिपक कर खड़ी होतीं और उनकी चूची और जांघे मुझसे छू रहा होता bhai behan hindi sex story
अगर दीदी कोई दुकान पर कपड़े देखतीं तो मैं भी उनसे सट कर ख़ड़ा होता और अपना लंड कपड़ों के ऊपर से उनके चूतड़ से भिड़ा देता और कभी कभी मैं उनके चूतड़ों को अपने हाथों से सहला देता हम दोनो ऐसा कर रहे थे और बहाना मार्केट में भीड़ का था मुझे लगा कि मेरे इन सब हरकतों को दीदी कुछ समझ नहीं पा रही थीं क्योंकि मार्केट में बहुत भीड़ थी
बाकी कहानी अगले भाग में