सौतेले बेटे को उत्तेजित किया

हैलो दोस्तों मैं आपके लिये एक soteli maa beta sex story लेकर आई हूं उम्मीद है आपको यह maa beta sex story बहुत उत्तेजित करेगी अब मैं इस soteli maa beta sex story पर आती हूं

Soteli Maa Beta Sex Story

मेरा नाम बबिता है मैं 37 साल की बिहार से हूं मेरे परिवार में चार सदस्य हैं मेरे पति मुकेश 46 वर्ष के हैं मेरी उनसे शादी जब हुई तब उनकी पहली बीवी मर गई थी और इस तरह से मैं उनकी दूसरी बीवी हूं

पहली बीवी से उनके दो बच्चे हैं जो अब मेरी संतान कहलाये पर उनसे मेरा खून का कोई रिश्ता नहीं है मेरी बेटी सपना और मेरा बेटा विजय मैं अपने बारे में आपको बताना चाहती हूं

मेरे पति बैंक में क्लर्क हैं सपना बी.कॉम. प्रथम वर्ष में है और विजय 12वीं क्लास में साइन्स की पढ़ाई कर रहा है हम सभी बहुत प्रसन्नता से रहते हैं और एक दूसरे का बहुत ख़याल रखते हैं

मैं बी.ए पास हूं हर मां की तरह मैं भी चाहती हूं कि मेरे बच्चे चाहे वे मेरे पेट से नहीं जन्मे फिर भी पढ़ लिख कर अच्छी नौकरी पायें मुझे लगता है कि सपना को तो अच्छी नौकरी मिल जायेगी और वो अपने ससुराल चली जायेगी

लेकिन मुझे विजय की चिंता होती है क्योंकि वो पढ़ाई में अपनी बहन की तरह ध्यान नहीं देता है जबकि वो भी बहुत इंटेलिजेंट है लेकिन कुछ समय से उसका पढ़ाई से बिल्कुल ध्यान हट गया है

मुझे लगता है कि किशोर-वय में अक्सर ध्यान यहां-वहां चला जाता है इसीलिये मैं उसे बहुत समझाती हूं कि पढ़ाई पर ध्यान दो वो पढ़ाई भी करता है और पास हो जाता है

लेकिन वो ज़्यादातर अपना समय अपने स्कूल के दोस्तों के साथ बिताता है और मुझे चिंता रहती है क्योंकि वो मुझसे हमेशा आगे की पढ़ाई के लिये बंगलौर जाने की बात अभी से करता है

मैं परेशान हो जाती हूं और सोचती हूं कि कैसे उसे अपने से दूर बंगलोर भेजूं क्योंकि डर लगता है कि कहीं वो ग़लत रास्तों पर ना चल पड़े मैं विजय से बहुत प्यार करती हूं

एक दिन मैंने सोचा कि क्यूं ना इस समस्या पर अपनी सहेलियों से इस बारे मैं बात करके उनसे कुछ सलाह लूं तो फिर मैंने अपनी सहेली को फोन लगाया और अपनी परेशानी बताई

उसने कहा – इंटरनेट पर जाकर गूगल पर मां-बेटे के सम्बन्ध को सर्च करने को कहा और बोली कि मुझे मेरे सारे सवालों का जवाब वहीं मिलेगा

शाम को मैंने ऐसा ही किया खाना बनाने के बाद मैंने सर्च किया और मुझे मेरा जवाब मिल गया फिर मैंने विजय को नोटिस करना चालू कर दिया और मैं उसकी सारी गतिविधियों पर नज़र रखने लगी और मैं देखने लगी कि विजय मेरे साथ कैसा व्यवहार करता है

मैंने पाया कि उसका व्यवहार सामान्य नहीं है मैंने उसके कमरे की तलाशी ली लेकिन मुझे कुछ नहीं मिला फिर मैंने उसका मोबाइल देखा तो मुझे उसमें भी कुछ नहीं मिला फिर मैंने उसकी पेन ड्राइव अपने लॅपटॉप पर लगा कर देखी

उसकी पेन ड्राइव मैंने जब देखा तो जो मुझे लग रहा था वो मुझे मालूम हो गया मैंने देखा कि उसकी पेन ड्राइव में नंगी लड़कियों के फोटो थे और मैं समझ गयी कि अब विजय बड़ा हो गया है

फिर मैंने वही किया जो मुझे करना चाहिए था मैंने सोचा कि कहीं बाहर यह कोई गलती न कर दे जिससे इसकी लाइफ खराब हो जाये तो क्यूं ना मैं ही उसे इन सब बातों के बारे में बताऊं

मैंने उससे एक दोस्त की तरह उन सब बातों के बारे में डिसकस किया लेकिन वो सुनने के लिये तैयार ही नहीं था शायद वो मुझसे शरमा रहा था और जब ही मैं इस तरह की बात समझाती तो वो मुझे अनदेखा कर देता

मैंने अपने पति से इस बारे में बात की तो वो बोले कि वो अपने आप समझ जायेगा लेकिन मेरा मन तो यही सोच रहा था कि कहीं विजय से कोई गलती ना हो जाये या वो अपने स्कूल के दोस्तों की तरह ना हो जाये

मैंने फ़ैसला किया कि मुझे ही कुछ करना पड़ेगा क्योंकि एक मां ही अपने बेटे की अच्छी दोस्त होती है मैंने सोचा कि क्यूं ना विजय को थ्योरी की जगह प्रॅक्टिकल नॉलेज दी जाये और यही आख़िरी रास्ता है और मैं इसे गलत भी नहीं समझती हूं और मैंने वही किया जो मुझे करना चाहिए था

अब मैं विजय को अपनी और आकर्षित करने का प्रयास करने लगी विजय बड़ा तो हो ही गया था तो मुझे ज़्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ी मैं विजय को शुरू से ही नहलाती थी अभी तक नहलाती हूं भले ही अब वो 18 साल का हो गया है फिर भी मैं ही उसे नहलाती हूं

आज से मेरा इरादा कुछ और होगा मैं हमेशा विजय को पहले नहलाती थी और फिर मैं नहाती थी आज मैंने पहले नहाने का इरादा किया और मैं बाथरूम मैं नहाने चली गयी और सोचा क्यूं ना बेटे विजय को भी बुला लूं नहाने के लिये मैंने विजय को आवाज़ लगाई

सर्दी के दिन थे मैंने बोला – विजय ज़रा गरम पानी दे देना विजय गरम पानी लेकर बाथरूम मैं आ गया उसने मुझे जैसे ही देखा वो देखता ही रह गया

उसने पहली बार मुझे इस नज़र से देखा था वो मेरे मम्में देख रहा था जो ब्लाउज में से थोड़े बाहर निकल रहे थे मैंने अपनी साड़ी उतार रखी थी और मैं ब्लाउज और पेटीकोट में थी

मैंने विजय से कहा – तू भी नहा ले

उसने कहा – नहीं पहले आप नहा लो मैं बाद में नहा लूंगा

मैंने कहा – तुझे स्कूल के देर हो जायेगी मुझे नहाने में टाइम लगेगा आजा पहले तुझे नहला देती हूं वो मान गया

मैं जैसे ही गरम पानी मिलाने के लिये नीचे झुकी तो मेरे मम्में ब्लाउज में से और ज़्यादा बाहर आ गये थे और विजय मेरे मम्में ही देखे जा रहा था उसकी नज़र हट ही नहीं रही थी और फिर मैं भी तो यही चाहती थी

फिर मैंने विजय को अपने कपड़े उतारने के लिये कहा उसने कपड़े उतार लिये वो सिर्फ अंडरवियर पहने हुए था मैंने उसके ऊपर पानी डाला और उसे नहलाने लगी वो भी आज बड़े मज़े से नहा रहा था

नहाते हुए पानी भी उछाल रहा था जिससे मैं और मेरे कपड़े भी गीले हो गए मैंने कले रंग का ब्लाउज पहना हुआ था और सफ़ेद ब्रा जो कि भीगे हुए ब्लाउज में से साफ दिख रही थी भीगे हुए ब्लाउज में से मेरे मम्में भी नज़र आ रहे थे जिसे विजय नज़र चुरा कर देख रहा था

विजय अब नहा चुका था मैंने उसे स्कूल जाने के लिये जल्दी से तैयार होने के लिये कहा और वो बाथरूम से जाने को हुआ तभी मैंने उसे रोक लिया और कहा विजय ज़रा रुक जा मेरे पीठ घिस देना बहुत मैल जम गया है

वो रुक गया वो अभी भी भीगा हुआ था और सर्दी से काँप रहा था उसने तौलिया से अपना बदन पौंछ लिया और मेरे पीछे खड़ा हो गया मैंने भी सोचा कि विजय को और सताया जाये

मैंने नहाने के लिये अपने ऊपर पानी डाला और साबुन लगाने लगी मैंने अपना ब्लाउज भी उतार लिया और अपनी ब्रा भी और फिर मैंने विजय को पीठ पर साबुन लगाने के लिये कहा

वो मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगा वो मेरे पीछे खड़ा था इसीलिये वो मेरे मम्में नहीं देख पा रहा था तो वो बाथरूम में लगे दर्पण में से मेरे मम्में देख रहा था और अब उसकी लंड खड़ी हो गयी

जो साबुन लगाते समय मैं कभी कभी अपने पीछे महसूस कर रही थी विजय को भी शायद अब मज़ा आने लगा था क्योंकि साबुन लगाते समय वो मेरे मम्में को बगल से छूने की कोशिश कर रहा था मैं भी कुछ नहीं बोल रही थी

मेरे मम्में काफ़ी बड़े हैं और ऊपर से मेरा बदन भी गोरा है मुझे देख कर हर कोई आहें भरता है मैंने भी उसका साथ दिया और मैंने महसूस किया कि मेरे कुछ ना कहने पर उसे और भी मज़ा आने लगा उसने इस बार अपनी लंड मेरे पीछे से स्पर्श की और मुझे महसूस कराया

मैंने कहा – क्या कर रहा है ?

वो डर गया कि कहीं मां मुझे डांटें ना

लेकिन मैंने कहा – तेरा ध्यान किधर है ? ठीक से साबुन क्यूं नहीं लगाता ?

वो बोला – हां लगा तो रहा हूं

मैंने बोला – पीठ पर ही लगाता रहेगा या थोड़ा छाती पर आगे भी लगायेगा

उसने अपने हाथ आगे की तरफ बढ़ाये और अब वो मेरे मम्मों के उभारों पर साबुन लगाने लगा तभी मुझे उसका लंड पीछे से थोड़ा और महसूस हुआ

लेकिन इस बार उसने अपनी लंड मेरे पीछे लगाए रखी और अब विजय ने साबुन लगाते हुए ही मेरे मम्में धीरे धीरे दबाने लगा जिससे मुझे भी अजीब सा नशा छाने लगा

मैं भी मज़ा ले रही और कुछ नहीं बोल रही थी क्योंकि मुझे ऐसा कभी भी महसूस नहीं हुआ था विजय के अंडरवियर पहने होने के कारण उसकी लंड ठीक से मुझे महसूस नहीं हो रही थी

तो विजय ने हिम्मत करके अपनी अंडरवियर में से लंड को बाहर निकाल कर मेरे पीछे की दरार में लगाया जो मुझे काफ़ी हद तक महसूस हुआ

विजय मेरे स्तनों पर साबुन लगाते हुए उनको मसलने लगा लेकिन मैंने अभी भी कुछ नहीं कहा अब वो शायद बहुत उत्तेजित हो गया था लेकिन मैंने सोचा कि बस बहुत हुआ विजय के लिये अभी के लिये इतना ही काफ़ी था

मैंने उससे कहा- बस साबुन लग गया है

तो वो बोला – मां हाथ पैरों पर भी साबुन लगा दूं क्या ?

नहीं मैं लगा लूंगी मेरा हाथ पीठ पर नहीं जाता ना इसलिये तुझे बुलाया था बस अब मैं नहा लूंगी तुम जाओ तुम्हें स्कूल के लिये देर हो रही है वो जाने लगा

मैंने देखा कि विजय की लंड काफ़ी बड़ी दिख रही थी जो अभी तक खड़ी हुई थी मैंने सोचा कि क्यूं ना अभी ही सारी प्रॅक्टिकल नॉलेज दे दूं फिर मुझे याद आया कि उसे स्कूल भी तो जाना है बाकी ज्ञान शाम को सोते समय दे दूंगी और वैसे भी सब्र का फल मीठा होता है

मैंने नहाने के बाद नाश्ता बनाया विजय ने नाश्ता किया और उसके लिये मैंने लंच बॉक्स उसके बैग में रख दिया विजय स्कूल चला गया और फिर मैं घर के सारे काम करने में व्यस्त हो गयी और पता भी नहीं चला कि कब दोपहर के दो बज गये फिर मैंने थोड़ा आराम किया

नींद खुली तो शाम के चार बज चुके थे विजय भी घर आ चुका था मैंने उसके लिये चाय बनाई और वो थोड़ी देर बाद कोचिंग के लिये निकल गया तभी सपना क्लास से आ गयी मैंने उसको भी चाय दी

वो अपने कमरे मैं चली गयी अब शाम के सात बज चुके थे मेरे पति भी आ चुके थे मैंने फिर चाय बनाई और अपने पति को दी वे चाय पीने के बाद अपने कमरे में चले गये

थोड़ी देर आराम करने के बाद मेरे पति और मेरी बेटी दोनों ही साथ मैं गार्डन में घूमने चले गये मैं डिनर तैयार करने लगी और डिनर तैयार करते हुए मुझे पता ही नहीं चला कि कब 8:30 बज गये सपना और मेरे पति दोनों गार्डन से घूम कर आ चुके थे

सपना ने कहा – मां खाना लगा दो

मैंने अपने पति से पूछा – आपके लिये भी खाना लगा दूं क्या ?

उन्होंने कहा – हां लगा दो

मैंने दोनों के लिये खाना लगाया तो मेरे पति ने कहा तुम भी खाना खा लो

मैंने कहा – नहीं आप दोनों खा लो मुझे अभी भूख नहीं है

सपना ख़ाना खाने के बाद अपने कमरे में चली गयी और मेरे पति भी अपने कमरे में चले गए टीवी देखने लगे अब रात के 9:20 बज चुके थे और मैं भी कमरे में जाकर उनके साथ टीवी देखने लगी

10 मिनट बाद ही विजय आ गया मैंने गेट खोला और पूछा इतनी देर क्यूं लगा दी ?

तो बोला – मां साइकल पंचर हो गयी थी इसलिये देर हो गयी

ठीक है खाना लगा देती हूं हाथ मुंह धो लो मैंने टेबल पर खाना लगाया विजय खाना खाने लगा लेकिन और दिन की तरह आज उसका चेहरा चमक रहा था वो बहुत खुश लग रहा था

खाने खाते हुए मुझसे बोला – मां आज मेरे टैस्ट में 10 में से 10 नंबर आए हैं

मैं भी खुश हो गयी तभी विजय ने थोड़ी सब्जी मांगी और मैं सब्जी परोसने के लिये जैसे ही झुकी तो मेरे मम्में भी ब्लाउज में से थोड़े बाहर आ गये तभी विजय की नजर मेरे मम्मों पर पड़ी वो उन्हें देख रहा था और मुझे पता भी नहीं था कि विजय मेरे मम्में देख रहा है

मैंने जैसे ही विजय की तरफ देखा तो मुझे पता चला कि विजय का ध्यान खाने पर नहीं बल्कि मेरे उभारों पर था उसकी नज़रें छुप छुप कर मेरे मम्मों को निहार रही थीं

मैं भी उसे अपने मम्में दिखाने के लिये थोड़ी झुक कर खड़ी हो गयी दोनों हाथ मेज पर रख दिए जिससे मेरे मम्में अब और भी अच्छी तरह से दिख रहे थे

विजय खाना खाते खाते उन्हें देख रहा था और मैं अपनी नज़र इधर उधर कर रही थी जिससे कि विजय को पता ना चले की मैं उसे देख रही हूं विजय खाना खा लिया था

फिर भी वो वहीं बैठा हुआ था और खाना खाने का बहाना कर रहा था मुझसे बातें भी कर रहा था क्योंकि वो मेरे मम्मों को ज़ी भर कर देखना चाहता था

लेकिन थोड़ी देर विजय बोला – मां क्या आपने खाना खाया ?

मैंने कहा – नहीं मैं खा लूंगी तुम खाओ अभी

विजय ने कहा – मां आप भी जल्दी खाना खा लिया करो कितना काम करती हो आप चलो आप मेरे साथ ही खाना खा लो

मैंने भी उसकी बात नहीं टाली और उसके बगल में जाकर बैठ गयी और हम एक ही थाली में खाना खाने लगे लेकिन अभी भी विजय की नज़र मेरी छाती पर ही थी

मैंने भी जल्दी से खाना खाया और कहा – मैंने खाना खा लिया है तुम्हें और खाना है ?

वो बोला – नहीं

मैंने वहां से सारे बर्तन उठाए और विजय अपने रूम में चला गया मैंने सारे बर्तन धोकर दूध गर्म किया और सपना को दिया और फिर मैं विजय के कमरे में दूध देने गयी और विजय को दूध दिया वो अभी पढ़ाई कर रहा था

मैंने उसे कहा – दूध ध्यान से पी लेना

तभी विजय ने कहा – दूध दो तो मैं पी ही लूंगा

उसने यह बात इस तरह से की जो वो परोक्ष मुझसे जो कहना चाहता था वो उसने कह दिया और मैं भी उसकी बात का मतलब समझ गयी ठीक है लेकिन ध्यान से पी लेना भूलना नहीं और फिर मैं वहां से आ गयी

मेरे पति रूम में अभी तक टीवी देख रहे थे और साथ में ड्रिंक भी ले रहे थे

तभी मैंने उनसे कहा – मैं ड्रिंक बना दूं ?

तो उन्होंने कहा – क्या बात है आज बड़ी खुश लग रही हो ?

मैंने कहा – बस यूं ही और मैं ड्रिंक बना कर उन्हें देती जा रही थी जिससे उन्हें काफ़ी नशा हो जाये और वो जल्दी से सो जाएं और सुबह भी देर से उठें वैसे भी कल तो सन्डे है

उनको काफ़ी नशा हो चुका था और वो सो गए मैंने टीवी ऑफ किया कमरे की लाइट भी ऑफ की और फिर मैं सपना के कमरे में गयी और देखा कि सपना सो चुकी है या नहीं

फिर मैंने विजय के रूम में जाकर देखा कि वो क्या कर रहा है ? वो अभी तक जाग रहा था और बेड पर लेटा हुआ था

मैंने बोला – सो जाओ रात हो चुकी है

तो वो बोला – मां नींद नहीं आ रही है

मैंने कहा – आ जायेगी सो जाओ

मैं फिर अपने कमरे में आ गयी और सोने लगी लेकिन मुझे भी नींद नहीं आ रही थी

तभी विजय मेरे कमरे में आया और बोला – मां सो गयी क्या ?

मैं बोली – नहीं क्यूं क्या बात है ? क्या चाहिए ?

विजय बोला – मां मुझे डर लग रहा है

मैंने कहा – इतना बड़ा हो कर डरता है चल मैं आती हूं

वो अपने रूम में चला गया मुझे पता था कि डर तो सिर्फ एक बहाना था क्योंकि वो मेरे साथ सोना चाहता था फिर मैं भी तो यही चाहती थी मैंने झट से कपड़े चेंज किए एक ऐसी नाईटी पहन ली जिसका कपड़ा पतला था और फिर मैं विजय के रूम में गयी

विजय मुझे देख कर खुश हो गया उसके कमरे की लाइट जल रही थी जिससे मेरी नाईटी के अंदर से मेरी ब्रा और पैंटी नज़र आ रही थी उसने बड़े गौर से मुझे देखा उसकी नज़र ऊपर से लेकर नीचे तक गयी

फिर मैं उसके बेड पर बैठ गयी तभी मैंने देखा कि उसने अभी तक अपना दूध का गिलास खाली नहीं किया है

मैंने उसे पूछा – अभी तक दूध क्यूं नहीं पिया ?

तो वो बोला – मैं भूल गया था अभी पीता हूं और फिर उसने गिलास का सारा दूध पी लिया

वो बिस्तर में लेट गया और मैं भी बिस्तर लेट गयी लेकिन दोनों में से किसी को नींद नहीं आ रही थी रात के 12:00 बज चुके थे मैंने सोचा कि काफ़ी समय हो गया है और शायद विजय सो गया होगा

मैंने धीरे से आवाज़ दी विजय

वो बोला – हां मां

मतलब वो अभी तक जाग रहा था

मैंने उसे पूछा – सोया नहीं अभी तक ?

तो बोला – नींद नहीं आ रही है

फिर उसने मुझसे पूछा – आपको नींद क्यूं नहीं आ रही है

मैं समझ गयी कि विजय क्या चाहता है और अभी तक क्यूं जाग रहा है

मैंने उसे कहा – मुझे थोड़ी सर्दी लग रही है और आज काम भी कुछ थोड़ा ज़्यादा था ओह पूरा बदन दुख रहा है

तभी विजय एकदम से बोला – मां मैं आपके हाथ पैर दबा देता हूं

मैंने कहा – नहीं क्यूं परेशान होता है तू सो जा

तो बोला – इसमें परेशान होने की क्या बात है लाओ मैं दबा देता हूं

मैं जानती थी कि वो मेरे बदन को महसूस करना चाहता है मैं उसे मना भी कैसे करती भला क्योंकि जैसा मैंने सोचा था ठीक वैसा ही हो रहा था

जैसे ही उसने कहा – मां मैं आपके पहले पैर दबा देता हूं

मैंने कहा – ठीक है

फिर वो मेरे पैर दबाने लगा मेरी नाईटी सिर्फ घुटनों तक ही लंबी थी और वो भी थोड़ी ऊपर तक खिसक गयी थी पहले कुछ मिनट विजय ने पैर ठीक से दबाए लेकिन कुछ देर बाद उसके हाथ धीरे धीरे ऊपर की ओर बढ़ने लगे

मैंने विजय से कहा – ठीक से दबाओ पैर

वो बोला – हां दबाता हूं

मैंने सोचा – क्यूं ना विजय को और मज़ा दिया जाये

तो मैं थोड़ा खाँसने लगी और तभी विजय ने पूछा – सर्दी हो गयी है क्या ?

मैंने कहा – हां सुबह से ही खाँसी हो रही है विजय पैर बाद में दबा देना पहले एक काम कर दे पापा के रूम में जो ड्रिंक्स की बॉटल रखी रहती है उसमें से एक रम की बॉटल ले आ जिससे ये खाँसी बंद हो जायेगी

यह सुनते ही विजय जल्दी से गया और एक रम की बॉटल और गिलास भी ले आया उसने आधा गिलास रम का मुझे दे दिया और आधा गिलास रम वो खुद पी गया

मैंने उससे पूछा – तुम क्यूं पी रहे हो ?

तो वो बोला – मुझे भी सर्दी लग रही है इसलिये

मैंने कुछ नहीं कहा और फिर मैं लेट गयी और वो मेरे पैर दबाने लगा पैर दबाते दबाते उसके हाथ मेरी जांघों तक आ गये वो अपने हाथ ऊपर बढ़ाते ही जा रहा था और मुझे भी एक अज़ीब सा नशा आने लगा था

मैंने सोचा क्यूं ना आज विजय को खुल कर मज़ा दिया जाये

मैं विजय से बोली – विजय मुझे गर्मी लग रही है तू रुक जा अभी

मैं उठी और अपनी नाइटी भी उतार दी अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में विजय के सामने थी उसने मुझे इतना घूर कर देखा जैसे उसने कभी शायद ऐसा नहीं देखा होगा मेरी उमर भले ही 37 की है लेकिन मैंने अपने आप को बहुत मेंटेन करके रखा था

मेरे फिगर का साइज़ 38-30-36 था जिसे देख कर विजय के होश उड़ गये उसके बाद मैं बेड पर लेट गयी

विजय से बोली – अगर मुझे नींद आ जाये तो तुम भी सो जाना पैर दबाते मत रहना क्योंकि मुझे तो जोरों से नींद आ रही है ठीक है ? और हां कमरे की लाइट बंद कर दो

वो बोला – हां आप सो जाओ मैं बाद में सो जाऊंगा

उसने कमरे की लाइट भी बंद कर ली और अपना मोबाइल भी ले लिया ताकि वो मोबाइल की लाइट से थोड़ा उजाला कर सके वो भी बेड पर आ गया और पैर दबाने लगा

मैं नाटक करने लगी जिससे कि बात आगे बढ़े मैं खराटे भरने लगी जिससे विजय को लगे कि मैं अब सो गयी हूं फिर विजय उठा और उसने अपने कपड़े भी उतार दिए अब वो सिर्फ अंडरवियर में था और उसने अपने मोबाइल की लाइट ज़ला कर दूर रख दिया

जिससे रूम में थोड़ा उजाला होने लगा अब विजय की हिम्मत बढ़ गयी क्योंकि वो सोच रहा था कि मैं सो चुकी हूं और मैं नशे मैं भी हूं वो कुछ भी करेगा तो मुझे पता नहीं चलेगा लेकिन मुझे एक पैग ड्रिंक से क्या होने वाला था

अब विजय मेरी जांघों को दबा नहीं रहा था बल्कि वो अब मेरी जांघों को सहला रहा था जिससे मुझे भी मज़ा आने लगा उसकी हिम्मत अब बढ़ती जा रही थी उसने अब मेरी जांघों पर से हाथ फेरते हुए मेरी पैंटी के ऊपर ले आया और हाथ फेरने लगा

दूसरा हाथ उसने और ऊपर बढ़ाते हुए मेरे मम्मों पर रख दिया और थोड़ी देर के लिये रुक गया और देखा कि मैं कुछ नहीं बोल रही हूं तो उसने मेरे मम्में दबाना चालू कर दिया थोड़ी देर बाद उसने मेरे मम्मों को और ज़ोर से दबाना चालू कर दिया

तभी मैं एकदम से उठी तो विजय घबरा गया उसका चेहरा देखने लायक था वो बहुत डर गया था और मैंने नाटक किया कि जैसे मैं नींद में हूं

मैंने उससे बोला – विजय देख ज़रा पानी है क्या ? मुझे प्यास लगी है

वो बोला – हां पानी है

लेकिन उसने सोचा कि मैं नींद में हूं उसने मुझे पानी की जगह आधा गिलास रम दे दी

मैंने उससे नींद में बुदबुदाते हुए कहा – पानी का टेस्ट कैसा है ?

तो वो बोला – आपने रम पी रखी है इसलिये आपको ऐसा लग रहा है

मैं भी झट से रम पी गयी और फिर सोने का नाटक करने लगी खराटे भरने लगी लेकिन विजय ने 10 मिनट बाद मुझे छुआ और मैं अभी भी जाग रही थी

उसने इस बार सीधा एक हाथ मेरे मम्में पर रखा और दूसरा मेरी पैंटी पर और दबाने लगा और इस बार हिम्मत करके उसने अपना हाथ पैंटी के अंदर धीरे से खिसकाया मेरे पूरे बदन में एक बिजली सी दौड़ गयी

मैंने भी उसका साथ दिया और अपने पैर थोड़े फैला लिये जिससे कि उसका हाथ ठीक से मेरी चूत पर जा सके जैसे ही मैंने अपने पैर फैलाये विजय ने अपना पूरा हाथ मेरी चूत पर रख दिया

अब उसने अपनी उंगलियां मेरी चूत में अंदर कर दीं वो अपनी उंगलियों को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा फिर अचानक से उसने अपनी उंगली मेरी चूत में से बाहर निकाल ली

अब उसने अपने अंडरवियर में से अपना लंड भी बाहर निकाल लिया मैंने अपनी थोड़ी से आंख खोल कर ये सब देख रही थी उसका लंड काफ़ी बड़ा लग रहा था अब वो पूरा नंगा मेरे सामने था उसे पता था कि मैंने ज़्यादा पी रखी है और मुझे कुछ पता नहीं चलेगा

उसने धीरे धीरे मेरी पैंटी उतार दी और मेरी ब्रा भी उसने उतार दी अब वो एकदम निडर होकर अपने लंड को मेरी चूत में पेलने की कोशिश कर रहा था

तभी उसका लंड मेरी चूत में चला गया मेरे मुंह से आह निकल गयी लेकिन विजय इस बार नहीं रुका और उसने धीरे धीरे झटके देना चालू कर दिया और मेरे मम्मों को वो अपने हाथों से मसलने लगा

उसने अपने होंठ मेरे होंठ से मिला कर मुझे चूमने लगा हम दोनों का बदन भी काफ़ी गर्म हो चुका था जब मुझे लगा कि वो झड़ने वाला है तो मैंने धीरे से करवट ले ली

जिससे उसका लंड मेरी चूत में से बाहर आ गया वो झड़ भी नहीं पाया क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि वो इतनी जल्दी से झड़ जाये लेकिन उसने मुझे किस करना नहीं छोड़ा और फिर से मेरी चूत में अपना लंड डालने लगा

इस बार मैंने भी उसका साथ दिया और अपने दोनों हाथों से उसे अपनी ओर इस तरह खींचा कि जैसे मैं अभी भी नींद में हूं उसने फिर से अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया

वो मेरे मम्मों के निप्पलों को वो अपनी जीभ से सहला रहा था उसके धक्के लगातार मुझे गर्म कर रहे थे कुछ देर बाद मैं झड़ गयी और थोड़ी ही देर बाद विजय भी झड़ गया

उसने मुझे बेड पर बैठाया लेकिन मैं अभी भी सोने का नाटक कर रही थी उसने चादर से मेरी चूत और अपने लंड को साफ किया फिर मुझे ब्रा पहनाई और लिटा दिया फिर मुझे पैंटी पहना दी

उसने मेरे होंठों पर एक चुम्बन भी किया और वो मुझे गले लगाया और वो सो गया फिर मुझे भी नींद आ गयी सुबह मैं जब उठी तो घड़ी में 7:30 का टाइम हो रहा था

मैं उठी और अपनी नाईटी पहनी और खिड़की को खोली जिससे बाहर से सूरज का उजाला आ रहा था तभी विजय भी जाग गया मैंने उससे उठने को कहा और वो बेड पर बैठ गया

उसे यह ध्यान नहीं था कि उसने अंडरवियर नहीं पहना है तभी उसकी नज़र नीचे पड़ी और देखा कि उसने अंडरवियर नहीं पहना है तो उसने झट से चादर को लपेट लिया तभी मैं मन ही मन सोचने लगी कि जब रात में मुझे चोदते समय इसे शर्म नहीं आई जो अब यह शरमा रहा है

फिर मैंने उससे कहा – मुझसे शरमाता है ? अरे पागल मैंने तो तुझे बचपन से ही ऐसा देखा है उसे रात की सारी बात याद आ गयी उसने सोचा कि पता नहीं कि मां को पता तो नहीं चल गया तो उसने मुझसे पूछा मां आपको नींद कैसी आई ?

मैंने कहा मुझे बहुत अच्छी नींद आई रात का पता नहीं चला रात कहा निकल गयी फिर मैं फ्रेश होकर चाय बनानें चली गयी एक हफ्ते तक हमारे बीच ऐसे ही रात को अंजान बनकर शारिरिक संबंध बनते रहे

फिर हम मां बेटा एक रात को एक दूसरे के साथ खुल गये और चुदाई का मज़ा लेने लगे अब हम रात को एक साथ सोते हैं और चुदाई का मज़ा लेते है कैसी लगी आपको यह soteli maa beta sex story उम्मीद है आप इस maa beta sex story को पढ़कर उत्तेजित हो गये होंगे

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