Maa Ko Choda Sex Story
(मां को नंगी देखा 5)
आप ने maa ko choda sex story के पिछले भाग में पढ़ा उसकी चूत के बड़े फूले हुए होठों से उसकी गुलाबी क्लिट ढक सी गई थी ज्यादातर गोरी औरतों की चूत भी काले रंग की होती है लेकिन उसकी गोरी थी नाभि के नीचे वो उभरा हुआ भाग बड़ा ही मादक दिख रहा था अब maa ko choda sex story में आगे पढ़े
मुझे लगा मेरी प्यारी मां रति का अवतार है एक आदमी को जो चाहिए वो सब उसमे था लंबी टांगे अच्छा आकार लिए हुए चूचियां बाहर को निकले हुए विशाल नितंब और नाभि के नीचे उभरा हुआ वो भाग
मैं मां को देखने में डूबा हुआ था तभी मां झुकी और बेड से अपनी नाईटी उठाने लगी उसके झुकने से उसके नितंबों के बीच की दरार से मुझे उसकी चूत दिखी अब मेरा लंड पूरा मस्त हो चुका था मेरा मूड हुआ की मैं वहीं पर ही मां को चोद दूं लेकिन इससे पहले की मैं उठ पाता मां ने नाईटी अपने बदन पर डाल ली और वहाँ से चली गई
फिर बाथरूम का दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ आई मैंने बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ का इंतज़ार किया फिर मैं उठ गया और टीशर्ट और शॉर्ट पहन लिया कमरे में अकेला होने के बाद फिर से मेरे दिमाग़ में उथल पुथल होने लगी मेरी इच्छाओं और नैतिकता के बीच द्वन्द्ध होने लगा
फिर मैंने सोचना छोड़कर दरवाज़ा खोला और बास्केट में से सुबह का अख़बार निकाल लिया फिर नाश्ते का ऑर्डर देकर में अख़बार पढ़ने लगा मौसम के बारे में लिखा था की उत्तर भारत में शीतलहर जारी है लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मुझे कोई खुशी नही हुई
एक रात पहले जो मुझे मौसम खराब होने पर होटेल में रुकने की खुशी थी वैसा अब महसूस नही हो रहा था पता नही क्यूं तब मुझे एहसास हुआ की कल रात मां के साथ जबरदस्त चुदाई के बाद अब मेरे और उनके बीच एक चुप्पी सी छा गई है जिसे मैं बर्दाश्त नही कर पा रहा था और मैं इसे खत्म करना चाहता था
तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और मां सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट पहने हुए बाहर आई मेरी तरफ देखे बिना वो सूटकेस मे से अपनी साड़ी निकालने लगी वो थोड़ी देर खड़ी रही फिर उसने कुर्ता और पैजामा निकाल लिया वो कभी कभार ही कुर्ता पैजामा पहनती थी मां की तरफ सीधे देखने की मेरी हिम्मत नही हुई इसलिए मैं आंखों के कोने से उसे देखता रहा
फिर मुझसे और टेंशन बर्दाश्त नही हुआ और मैं उठा और बाथरूम चला गया बाथरूम में आकर मैंने देखा मेरा लंड मुरझा चुका है अब मुझे उत्तेजना भी महसूस नही हो रही थी मुझे कुछ समझ नही आ रहा था तभी मैंने मां को कुछ मैगज़ीन्स और अख़बार का ऑर्डर देते हुए सुना मां को थोड़ी बहुत अंग्रेजी ही आती थी
फिर मैं नहाने लगा ठंडा पानी जब मेरे बदन पर पड़ा तो काँपते हुए मेरे दिमाग़ की उथल पुथल गायब हो गई फिर टीशर्ट और शॉर्ट पहनकर मैं रूम में आ गया
नाश्ता आ चुका था और मां चाय डाल रही थी मैंने रूम सर्विस को लांड्री के लिए कहा और खिड़की से बाहर झांकने लगा हमारे रूम के सामने नीचे स्विमिंग पूल था मैं बच्चों को तैरते हुए देखने लगा
मां ने नाश्ते के लिए बुलाया तो मैं उनके सामने बैठ गया मैंने सीधे मां की आंखों में देखा उन्होने नज़रें घुमा ली और सैंडविच की प्लेट मेरी तरफ सरका दी मैंने सैंडविच उठा लिया और खाने लगा जब भी मैं मां की ओर देखता की वो क्या सोच रही है
तो वो अपनी नज़रें घुमा लेती लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था की जब मैं उसको नही देख रहा होता था तो वो मुझे देख रही होती थी नाश्ता भी ख़तम हो गया और हमारे बीच टेंशन बना रहा कोई कुछ नही बोला
नाश्ता खत्म होते ही लांड्री के लिए वेटर आ गया मैंने उसको कपड़ों का बैग दिया और मां से पूछा मां आपको कुछ और देना है लांड्री के लिए ?
मां ने सिर्फ़ नही कहा फिर जैसे ही वेटर जाने को मुड़ा तो उन्होने सूटकेस से 2 नाईटी निकालकर लांड्री बैग में डाल दी
उसके जाते ही रूम साफ करने के लिए आया आ गई मैं बैठे हुए सोचने लगा अब क्या किया जाए
रूम की सफाई करने के बाद आया ने ट्राली मे से 2 साफ चादर निकाली और बेड से पुरानी चादरें हटा दी मैं आया को ऐसे ही देख रहा था तभी उसने पुरानी चादर को अपनी नाक पर लगाकर सूंघा उसमे एक बड़ा सा दाग लगा हुआ था मुझे इतनी शरम आई की मैंने मुंह फेर लिया और नीचे स्विमिंग पूल को देखने लगा तभी आया मां से कन्नड़ में कुछ बोलने लगी
मैं मुड़कर उसे देखने लगा तभी वो टूटी फूटी हिन्दी मे धीमे से मां से बोली भगवान अयप्पा के आशीर्वाद से आपको ऐसी बहुत सी रातें बिताने को मिले
फिर ऐसा कहते हुए आया ने मां को वो चादर पर लगा धब्बा दिखाया मां डर गई उसने सोचा रात मे जो हुआ वो सब आया समझ गई है उसने जल्दी से 500 का नोट निकाला और आया के हाथ में थमा दिया ताकि आया खुश हो जाए और अपना मुंह बंद रखे और अपने साथ काम करने वालों को कुछ ना बताए आया ने खुश होकर वो नोट अपने माथे से लगाया और बोली भगवान तुम दोनो को खुश रखे और फिर वो चली गई
उसके जाते ही मां ने मुझे देखा शरम से उसका पूरा चेहरा सुर्ख लाल हो गया था मैं दौड़कर उसके पास गया और कंधों से उसे पकड़ लिया मां ने मेरी आंखों में देखा और अपनी नज़रें फर्श की तरफ झुका ली मैंने अपने आलिंगन में मां को कस लिया और वो सुबकने लगी मैं कुछ भी नही बोल पाया और उसे अपने से चिपकाए रखा
फिर मैं उसे बेड के पास ले गया और बेड पर बिठा दिया और उसकी पीठ बेड के हेडबोर्ड पर टिका दी खुद उसके सामने बैठ गया
तुमने मेरे साथ ऐसा क्यूं किया ? क्या तुम्हारे मन में लंबे समय से मेरे लिए वासना थी या फिर मेरे व्यवहार में ऐसा कुछ था जिससे ये घटना हुई ?
मैं सीधे मां की आंखों में नही देख पाया मैं दूसरी तरफ देखता रहा
मां ने मेरे कंधे पकड़कर मुझे अपनी तरफ घुमाया बताओ बेटा कल रात जो हुआ उसके बारे में बहुत सी बातें करनी है जाननी है
मुझे चुप देखकर मां ने मुझे ज़ोर से झिझोड़ दिया मुझसे बात करो बेटा मैं बर्बाद हो गई हूं हम दोनो ही इस घटना से प्रभावित हुए है
मां मैंने कभी आपको ऐसी नज़र से नही देखा लेकिन जब आप बाथरूम में थी और आपने मुझसे नाईटी मांगी थी जिस दिन हम बंगलोर आए थे और फिर मैंने पूरी बात मां को बता दी की कैसे कैसे मेरी काम इच्छा बढ़ती चली गई
पूरी बात सुनकर वो अपने को दोष देने लगी और रोने लगी
मैंने कहा मां ये बात सही है की उस दिन बाथरूम में आपको देखकर ही ये भावना मेरे अंदर आई लेकिन जो कुछ हुआ उसके लिए आप अपने को दोषी क्यूं ठहरा रही हैं आपने तो होनी को टालने की पूरी कोशिश की थी लेकिन आप भी इंसान हैं और शारीरिक इच्छाओं के आगे आपने समर्पण कर दिया
एक गहरी साँस लेकर वो बोली सुरेश सिर्फ़ एक पल की कमज़ोरी से मेरा सब कुछ छिन गया हे ईश्वर मैंने ऐसा होने कैसे दिया
फिर सुबकते हुए वो कहने लगी अपने ही बेटे की नज़रों में मैं अपना रुतबा खो चुकी हूं मैं अब वो मां नही रही जो तुम्हारे लिए पूजनीय थी जिसकी तुम इज़्ज़त करते थे आज से मैं तुम्हारी नज़रों में ऐसी चरित्रहीन औरत हूं जो इस उमर में भी अपनी टांगे फैला देती है
मां प्लीज़ ऐसा ना कहो मैं अब आपको और भी ज़्यादा प्यार करता हूं आप ये बात समझ लो की बिना इज़्ज़त के प्यार नही हो सकता आप मेरे लिए वो देवी हो जिसके चरणों में मेरा सब कुछ अर्पित है प्यार इज़्ज़त और ज़रूरत पड़ी तो मेरी जिंदगी भी मैंने कभी अपनी मां के साथ संभोग के लिए नही सोचा था
लेकिन फिर भी ये हो गया ये हमारे भाग्य में था या तो हमें इसे स्वीकार कर लेना चाहिए या फिर रोते चिल्लाते रहें कोसते रहें लेकिन भाग्य में जो होगा वो होकर रहेगा
मेरी बात सुनकर मां ने रोना बंद कर दिया और आश्चर्य से बोली क्या तुम मुझे ये समझाना चाहते हो की जो कुछ हुआ वो सही था और हमें इस पाप को करते रहना चाहिए ? अपनी काम इच्छाओं को सही ठहराने के लिए भाग्य का बहाना बनाना चाहिए ?
मां क्या सही है क्या ग़लत इसका फ़ैसला मैं या आप नही कर सकते हैं ये बस यूं ही हो गया और मुझे इसका कोई अफ़सोस या दुख नही है आप अपने को देखिए आपने विरोध करने की कोशिश की थी लेकिन कही गहराई में आपके अंदर कुछ था
जिसने आपके विरोध को कमज़ोर कर दिया और उसके बाद आपने भी यौन सुख का भरपूर आनंद लिया मां आप चाहे माने या ना माने लेकिन आपके अंदर भी कुछ ख़ालीपन या शून्य था जिसके बारे में आप खुद अंजान थीं
मां मेरी आंखों में देखिए और मुझसे कहिये की जो कुछ हुआ उसके बाद आप मुझसे घृणा करती हैं और आप इसे जारी नही रखना चाहती हैं मेरी सौगंध लीजिए मां उसके बाद मैं कभी आपको परेशान नही करूंगा मेरे हृद्य मे आप मेरी काम की देवी की तरह रहेंगी लेकिन मैं आपसे फिर कभी संभोग के लिए नही कहूंगा बताइए मुझे मां मेरी आंखों से आंसू बहने लगे
मां ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों से मुझे देखा और बड़बड़ाई हे ईश्वर वो मुझे ऐसे ही देखती रही जैसे मुझे नही बल्कि मेरे अंदर मेरी आत्मा में कुछ देख रही हो
फिर मैं मां के नज़दीक़ बैठ गया मां ने थोड़ा खिसककर मुझे जगह दी मैंने अपनी बांह मां से लपेटकर उन्हे अपनी ओर खींचा मां ने मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया और मेरी छाती पर अपनी बांह लपेटकर मुझे पकड़ लिया मैंने मां के चेहरे को सहलाया तो उनके मुंह से एक सिसकारी निकली और मेरे बदन में अपना चेहरा छुपा लिया
मां को अपने से लगाए हुए मैं बैठा रहा उस समय कुछ ऐसी फीलिंग थी जैसा पहले कभी महसूस नही हुआ था वो वासना नही थी प्यार भी नही था एक अजीब सी भावना थी क्या था मुझे भी नही पता अब मेरे अंदर कोई अपराधबोध या इच्छाओं के बीच संघर्ष नही रह गया था सब साफ हो चुका था की मुझे मां की पूजा और उनसे प्यार करने की अपनी दैवीय ज़िम्मेदारी को निभाना है
मां और मेरे शारीरिक संबंध के बावजूद मां का रुतबा और उनके लिए इज़्ज़त पहले जैसी ही रही मां को ऐसे पकड़े रहने और उनकी चूचियों के मेरे बदन से दबने से मुझे उत्तेजना आ रही थी लेकिन उसके मां होने की भावना भी मेरे मन में आ रही थी किसी भी औरत के साथ मैं इस अवस्था में होता तो उत्तेजना की भावना तो आती लेकिन वो एमोशनल फीलिंग नही आती जो मां के साथ आ रही थी
मैंने अपने अंगूठे से मां के होठों को छुआ छूने पर उनके होठों में हुए कंपन को मैंने महसूस किया मैंने धीरे से निचले होंठ को अलग किया और थोड़ा सा अंगूठा अंदर डाला उन्होने अपने होठों से मेरे अंगूठे का हल्का चुंबन लिया
मैंने मां की ठोड़ी ऊपर उठाई अब मां सीधे मेरी आंखों में झांक रही थी उनके होंठ खुले हुए थे मैंने मां की आंखों में देखा और अपने होंठ मां के होठों से मिला दिए मां के बदन में कंपन हुआ मैंने उनके मुंह में जीभ घुसा दी मां ने कोई विरोध नही किया और मजबूती से मुझे पकड़े रखा हम चुंबन लेते रहे मां अपनी तरफ से ज़्यादा कुछ नही कर रही थी
उसने अपनी जीभ से मेरे होठों को छुआ और कभी कभार मेरे निचले होंठ को अपने होठों मे भर लेती थी थोड़ी देर तक ये हल्का फुल्का प्यार चुंबन ऐसे ही चलता रहा फिर मैंने मां के कुर्ते के बटन खोलने शुरू किए मां बिल्कुल जड़वत हो गई उसका पूरा बदन अकड़ गया मैंने अपने हाथ रोक दिए कुछ पल बाद जब मां का बदन ढीला पड़ने लगा
तो मैंने फटाफट बटन खोल दिए और अपनी उंगलियों से चूचियों का ऊपरी हिस्सा सहलाने लगा मां ने मेरे कंधे को कस के पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मेरी पीठ को पकड़कर मुझे आलिंगन कर लिया मैं अपने हाथ को नीचे ले जाकर मां की चूचियों को सहलाने लगा मैंने कुर्ते के बाहर से मां की नाभि को सहलाया फिर मैंने कुर्ते के नीचे से अंदर हाथ घुसाने की कोशिश की लेकिन कुर्ता मां के नीचे दबा हुआ था
मां ने थोड़ा सा अपने नितंब ऊपर को उठाए और मैंने कुर्ता उनके नीचे से हटा दिया फिर मैंने नीचे से कुर्ते के अंदर हाथ डाला तो अपने पेट पर मेरे हाथों के स्पर्श से मां ने सिसकारी ली कुछ पल तक मैं मां के मुलायम पेट पर हाथ फिराता रहा और उनकी नाभि को सहलाता रहा फिर मैं ऊपर को बढ़ा और उसकी चूचियों को छुआ
एक बार फिर से मां का बदन अकड़ गया लेकिन उसने कोई विरोध नही किया मुझे टाइट पकड़े हुए वो सिसकारी ले रही थी मां की ब्रा के ऊपर से ही मैंने दोनो चूचियों को धीरे से दबाया
फिर मैंने मां के होठों को चूमा और एक हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के हुक खोल दिए ब्रा की क़ैद से चूचियों को आज़ाद करके मैं उन्हे दबाने और सहलाने लगा अंगूठे और बीच वाली उंगली के बीच निपल को दबाकर मैंने धीरे से मसला मां के मुंह से ओह मां निकला और वो बेड पर पीछे को लेट गई मैं भी कोहनियों के बल मां के पास लेट गया हम दोनो की नज़रें मिली और फिर उसने अपनी आंखें बंद कर ली
मैंने मां का कुर्ता उतारने की कोशिश की मां ने अपनी बांहे उठाकर मुझे मदद की जैसे ही मैंने कुर्ता उतारा मां ने अपनी बांह आड़ी रखके चूचियां ढक ली मैंने मां का चुंबन लिया और उसकी बांह हटा दी मैंने उसकी बड़ी चूचियों को मसला और ऐरोला और निपल को जीभ से चाटा निप्पल पर मेरी जीभ लगते ही मां ने ज़ोर से सिसकारी ली और अपनी बांह मेरे ऊपर रख दी
अब हम प्रेमी जोड़े की तरह से थे मां की शरम और हिचकिचाहट दूर हो चुकी थी वो धीरे धीरे मेरा साथ दे रही थी वो एक ऐसी शर्मीली लड़की की तरह व्यवहार कर रही थी जिसे पहली बार छुआ गया हो
मैंने दोनो हाथों में चूचियां पकड़कर ज़ोर से दबा दिया मां ने आह भरी और आंखें खोल के मुझे देखा मेरा सर पकड़कर वो मेरे चेहरे को नज़दीक़ लाई और मेरा चुंबन लेते हुए मेरे मुंह के अंदर जीभ डाल दी अब हम दोनो जोरदार तरीके से चुंबन लेने लगे उसने मेरे गालों और माथे को चूमा और फिर से होठों को बेतहाशा चूमने लगी
मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर मां के पेट पर फिराया और फिर पैजामे के एलास्टिक के अंदर हाथ डाल दिया मैंने उठकर मां की आंखों में देखा मां ने शांति से मुझे देखा उसके चेहरे पर कोई भाव नही थे मेरा हाथ पैजामे के अंदर नीचे को बढ़ता गया और मां के चेहरे के भाव बदलते गये
जैसी ही मेरे हाथ ने उसकी चूत को छुआ मां ने अपने निचले होंठ को दांतों से काट लिया और अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया
मैंने दूसरे हाथ से मां का मुंह घुमाकर सीधा कर दिया और मां की चूत के उभरे हुए भाग को हथेली में पकड़ लिया मां ने अपनी आंखें कस कर बंद कर रखी थी
बाकी कहानी अगले भाग में
Maa Ko Choda Sex Story :- मां को नंगी देखा – 6