Hindi Kahani Antarvasna
(मां बेटे की अन्तर्वासना 6)
आप ने hindi kahani antarvasna के पिछले भाग में पढ़ा था निपल के चारो ओर उसी रंग का घेरा था ध्यान से देखने पर मैने पाया कि उस घेरे पर छोटे छोटे दाने से उगे हुए थे मैं निपलो को अपनी दो उंगलियों के बीच में लेकर धीरे-धीरे मसल रहा था और प्यार से उनको खींच रहा था अब hindi kahani antarvasna में आगे पढ़े
जब भी मैं ऐसा करता तो मां की सिसकियां और तेज हो जाती थी मां की आंखें एकदम नशीली हो चुकी थी और वो सिसकारी लेते हुए बड़बड़ाने लगी ओह बेटा ऐसे ही ऐसे ही तुझे तो सीखने की भी ज़रूरत नहीं है रे ओह क्या खूब मसल रहा है मेरे प्यारे ऐसे ही कितने दिन हो गये जब इन मम्मों को किसी मर्द के हाथ ने मसला है या प्यार किया है कैसे तरसती थी
मैं कि काश कोई मेरे इन मम्मों को मसल दे प्यार से सहला दे पर आखिर में अपना बेटा ही काम आया आजा मेरे लाल कहते हुए उसने मेरे सिर को पकड़ कर अपने मम्मों पर झुका लिया मैं मां का इशारा समझ गया और मैने अपने होंठ मां के मम्मों से भर लिए मेरे एक हाथ में उसका एक मम्मां और दूसरे मम्में पर मेरे होंठ चिपके हुए थे
मैने धीरे धीरे उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया था मैं ज्यादा से ज्यादा मम्मों को अपने मुंह में भर के चूस रहा था मेरे अंदर का खून इतना उबाल मरने लगा था कि एक दो बार मैने अपने दांत भी मम्मों पर गड़ा दिए थे जिस से मां के मुंह से अचानक से चीख निकल गई थी
पर फिर भी उसने मुझे रोका नहीं वो अपने हाथो को मेरे सिर के पीछे ले जा कर मुझे बालो से पकड़ के मेरे सिर को अपने मम्मों पर और जोर जोर से दबा रही थी और दांत काटने पर एकदम से घुटि घुटि आवाज़ में चीखते हुए बोली ओह धीरे बेटा धीरे से चूसो चुछी को ऐसे जोर से नहीं काटते है
फिर उसने अपने मम्में को अपने हाथ से पकडा और उसको मेरे मुंह में घुसाने लगी ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने मम्में को पूरा का पूरा मेरे मुंह में घुसा देना चाहती हो और कहा ओह राजा मेरे निपल को चूसो जरा पूरे निपल को मुंह में भर लो और कस कस के चूसो राजा जैसे बचपन में दूध पीने के लिए चूस्ते थे
मैने अब अपना ध्यान निपल पे कर दिया और निपल को मुंह में भर कर अपनी जीभ उसके चारो तरफ गोल गोल घूमते हुए चूसने लगा मैं अपनी जीभ को निपल के चारो तरफ के घेरे पर भी फिरा रहा था निपल के चारो तरफ के घेरे पर उगे हुए दानो को अपनी जीभ से कुरेदते हुए निपल को चूसने पर मां एकदम मस्त हो जा रही थी और उसके मुंह से निकलने वाली सिसकिया इसकी गवाही दे रही थी
मैं उसकी चीखे और सिसकिया सुन कर पहले पहल तो डर गया था पर मां के द्वारा ये समझाए जाने पर की ऐसी चीखे और सिसकिया इस बात को बतला रही है कि उसे मज़ा आ रहा है तो फिर दुगुने जोश के साथ अपने काम में जुट गया था जिस मम्में को मैं चूस रहा था वो अब पूरी तरह से मेरे लार और थूक से भीग चुकी थी और लाल हो चुकी फिर भी मैं उसे चूसे जा रहा था
तभी मां ने मेरे सिर को अपने उस मम्में से हटा के अपनी दूसरे मम्में की तरफ करते हुए कहा खाली इसी मम्में को चूस्ता रहेगा दूसरे को भी चूस उसमे भी वही स्वाद है फिर अपनी दूसरे मम्में को मेरे मुंह में घुसाते हुए बोली इसको भी चूस चूस के लाल कर दे मेरे लाल दूध निकल दे मेरे सैय्या एकदम आम के जैसे चूस और सारा रस निकाल दे अपनी मां के मम्मों का
किसी काम की नहीं है ये कम से कम मेरे लाल के काम तो आएंगी मैं फिर से अपने काम में जुट गया और पहले वाले मम्में को दबाते हुए दूसरे को पूरे मज़े से चूसने लगा मां सिसकिया ले रही थी और चुसवा रही थी कभी कभी अपना हाथ मेरे कमर के पास ले जा के मेरे लोहे जैसे तने हुए लंड को पकड़ के मरोड़ रही थी
कभी अपने हाथो से मेरे सिर को अपने मम्मों पर दबा रही थी इस तरह काफ़ी देर तक मैं उसके मम्मों को चूसता रहा फिर मां ने खुद अपने हाथो से मेरा सिर पकड़ के अपने मम्मों पर से हटाया और मुस्कुराते मेरे चेहरे की ओर देखने लगी मां का बायां मम्मां अभी भी मेरे लार से चमक रहा था जबकि दायें मम्में पर लगा थूक सुख चुका था
पर उसके दोनों मम्में लाल हो चुके थे और निपलो का रंग हल्का काला से पूरा काला हो चुका था ऐसा बहुत ज्यादा चूसने पर खून का दौरा भर जाने के कारण हुआ था मां ने मेरे चेहरे को अपने होंठो के पास खीच कर मेरे होंठो पर एक गहरा चुंबन लिया और अपनी कातिल मुस्कुराहट फेकते हुए मेरे कान के पास धीरे से बोली खाली दूध ही पियेगा या मालपुआ भी खायेगा देख तेरा मालपुआ तेरा इंतेज़ार कर रहा है राजा
मैने भी मां के होंठो का चुंबन लिया और फिर उसके भरे भरे गालो को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा और फिर उसके नाक को चूमा और फिर धीरे से बोला ओह मां तुम सच में बहुत सुंदर हो
इस पर मां ने पुछा – क्यों मज़ा आया ना चूसने में
हा मां गजब का मज़ा आया मुझे आज तक ऐसा मज़ा कभी नहीं आया था
तब मां ने अपने पैरो के बीच इशारा करते हुए कहा नीचे और भी मज़ा आएगा यहां तो केवल तिजोरी का दरवाजा था असली खजाना तो नीचे है आजा बेटे आज तुझे असली मालपुआ खिलती हूं
मैं धीरे से खिसक कर मां के पैरो पास आ गया मां ने अपने पैरो को घुटने के पास से मोड़ कर फैला दिया और बोली यहां बीच में दोनो पैर के बीच में आ के बैठ तब ठीक से देख पाएगा अपनी मां का खजाना
मैं उठ कर मां के दोनो पैरो के बीच घुटनो के बल बैठ गया और आगे की ओर झुका सामने मेरे वो चीज़ थी जिसको देखने के लिए मैं मरा जा रहा था मां ने अपनी दोनो जांघें फैला दी और अपने हाथो को अपने बुर के उपर रख कर बोली ले देख ले अपना मालपुआ अब आज के बाद से तुझे यही मालपुआ खाने को मिलेगा
मेरी खुशी का तो ठिकाना नहीं था सामने मां की खुली जांघों के बीच झांटों का एक तिकोना सा बना हुआ था इस तिकोने झांटों के जंगल के बीच में से मां की फूली हुए गुलाबी बुर का चीड़ झांक रहा था जैसे बादलों के झुरमुट में से चाँद झांकता है मैने अपने हाथो को मां के चिकने जांघों पर रख दिया और थोड़ा सा झुक गया
उसके बुर के बाल बहुत बड़े बड़े नहीं थे छोटे छोटे घुंघराले बाल और उनके बीच एक गहरी लकीर से चीरी हुई थी मैने अपने दाहिने हाथ को जाँघ पर से उठा कर हकलाते हुए पुछा मां मैं इसे छू लूं ? छू ले तेरे छूने के लिए ही तो खोल के बैठी हूं
मैने अपने हाथो को मां की चूत को उपर रख दिया झांट के बाल एकदम रेशम जैसे मुलायम लग रहे थे और ऐसा लग रहा थे हालांकि आम तौर पर झांट के बाल मोटे होते है और उसके झांट के बाल भी मोटे ही थे पर मुलायम भी थे हल्के हल्के मैं उन बालो पर हाथ फिरते हुए उनको एक तरफ करने की कोशिश कर रहा था
अब चूत की दरार और उसकी मोटी मोटी फांके स्पष्ट रूप से दिख रही थी मां का बुर एक फूला हुआ और गद्देदार पावरोटी की तरह लगता था चूत की मोटी मोटी फांके बहुत आकर्षक लग रही थी मेरे से रहा नहीं गया और मैं बोल पड़ा ओह मां ये तो सचमुच में मालपुए के जैसा फूला हुआ है
हां बेटा यही तो तेरा असली मालपुआ है आज के बाद जब भी मालपुआ खाने का मन करे यही खाना
हां मां मैं तो हमेशा यही मालपुआ खाउंगा ओह मां देखो ना इस से तो रस भी निकल रहा है चूत से रिस्ते हुए पानी को देख कर मैने कहा
बेटा यही तो असली माल है हम औरतो का ये रस मैं तुझे अपनी बुर की थाली में सज़ा कर खिलाउंगी दोनो फांक को खोल के देख कैसा दिखता है हाथ से दोनो फांक पकड़ कर खीच कर बुर को चीर कर देख
सच बताता हूं दोनो फांको को चिर कर मैने जब चूत के गुलाबी रस से भीगे छेद को देखा तो मुझे यही लगा कि मेरा तो जनम सफल हो गया है
चूत के अंदर का भाग एकदम गुलाबी था और रस से भीगा हुआ था जब मैने उस चीर को छुआ तो मेरे हाथो में चिपचिपा सा रस लग गया मैने उस रस को वही बिस्तर के चादर पर पोछ दिया और अपने सिर को आगे बढ़ा कर मां के बुर को चूम लिया
मां ने इस पर मेरे सिर को अपने चूत पर दबाते हुए हल्के से सिसकते हुए कहा बिस्तर पर क्यों पोछ दिया उल्लू यही मां का असली प्यार है जो कि तेरे लंड को देख के चूत के रास्ते छलक कर बाहर आ रहा है इसको चख के देख चूस ले इसको
हां मां मैं तेरे बुर को जरुर चूसूंगा
हां बेटा चूस ले अपनी मां के चूत के सारे रस को दोनो फांको को खोल के उसमे अपनी जीभ डाल दे और चूस और ध्यान से देख तू तो बुर के केवल फांको को देख रहा है देख मैं तुझे दिखाती हूं और मां ने अपने चूत को पूरा फैला दिया और अंगुली रख कर बताने लगी देख ये जो छोटा वाला छेद है ना वो मेरे पेशाब करने वाला छेद है
बुर में 2 छेद होते है उपर वाला पेशाब करने के काम आता है और नीचे वाला जो ये बड़ा छेद है वो चुदवाने के काम आता है इसी छेद में से रस निकालता है ताकि मोटे से मोटा लंड आसानी से चूत को छोड़ सके और बेटा ये जो पेशाब वाले छेद के ठीक उपर जो ये नुकीला सा निकला हुआ है
वो क्लिंट कहलाता है और ये औरत को गर्म करने का अंतिम हथियार है इसको छूटे ही औरत एकदम गरम हो जाती है समझ में आया?
हां मां आ गया समझ में हाय कितनी सुंदर है ये तुम्हारी बुर मैं चाटू अब इसे मां
हां बेटा अब तू चाटना शुरू कर दे पहले पूरी बुर के उपर अपनी जीभ को फिरा के चाट फिर मैं आगे बताती जाती हूं कि कैसे कैसे करना है
मैने अपनी जीभ निकाल ली और मां की बुर पर अपने ज़ुबान को फिरना शुरू कर दिया पूरी चूत के उपर मेरी जीभ चल रही थी और मैं फूली हुई गद्देदार बुर को अपनी खुरदरी ज़बान से उपर से नीचे तक चाट रहा था अपनी जीभ को दोनो फांको के उपर फेरते हुए मैं ठीक बुर के दरार पर अपनी जीभ रखी और धीरे धीरे उपर से नीचे तक पूरे चूत की दरार पर जीभ को फिराने लगा
बुर से रिस रिस कर निकालता हुआ रस जो बाहर आ रहा था उसका नमकीन स्वाद मेरे मुझे मिल रहा था जीभ जब चूत के उपरी भाग में पहुच कर क्लिंट से टकराती थी तो मां की सिसकिया और भी तेज़ हो जाती थी मां ने अपने दोनो हाथो को शुरू में तो कुछ देर तक अपने मम्मों पर रखा था और अपने मम्मों को अपने हाथ से ही दबाती रही
मगर बाद में उसने अपने हाथो को मेरे सिर के पीछे लगा दिया और मेरे बालो को सहलाते हुए मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी मेरी चूत चुसना बदस्तूर जारी थी और अब मुझे इस बात का अंदाज़ा हो गया था कि मां को सबसे ज्यादा मज़ा अपनी क्लिंट की चूसाने में आ रहा है इसलिए मैने इस बार अपने जीभ को नुकीला कर के क्लिंट से सटा दिया और केवल क्लिंट पर अपनी जीभ को तेज़ी से चलाने लगा
मैं बहुत तेज़ी के साथ क्लिंट के उपर जीभ चला रहा था और फिर पूरे क्लिंट को अपने होंठो के बीच दबा कर जोर जोर जोर से चूसने लगा मां ने उत्तेजना में अपने चूतड़ों को उपर उछाल दिया और जोर से सिसकिया लेते हुए बोली है दैया उईईई मां सी सी चूस ले ओह चूस ले मेरे भगनसे को ओह सी क्या खूब चूस रहा है रे तू ओह मैने तो सोचा भी नहीं था की तेरी जीभ ऐसा कमाल करेगी
हाय रे बेटा तू तो कमाल का निकला ओह ऐसे ही चूस अपने होंठो के बीच में भगनसे को भर के इसी तरह से चूस ले ओह बेटा चूसो चूसो बेटा मां के उत्साह बढ़ने पर मेरी उत्तेजना अब दुगुनी हो चुकी थी और मैं दुगुने जोश के साथ एक कुत्ते की तरह से लॅप लॅप करते हुए पूरे बुर को चाटे जा रहा था
अब मैं चूत के भगनसे के साथ साथ पूरे चूत के मांस को अपने मुंह में भर कर चूस रहा था और मां की मोटी फूली हुई चूत अपने झाटों समेत मेरे मुंह में थी पूरी बुर को एक बार रसगुल्ले की तरह से मुंह में भर कर चूसने के बाद मैने अपने होंठो को खूल कर चूत के चोदने वाले छेद के सामने टिका दिया और बुर के होंठो से अपने होंठो को मिला कर मैने खूब जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया
बुर का नशीला रस रिस रिस कर निकल रहा था और सीधा मेरे मुंह में जा रहा था मैने कभी सोचा भी नहीं था की मैं चूत को ऐसे चुसूंगा या फिर चूत की चूसाई ऐसे की जाती है पर शायद चूत सामने देख कर चूसने की कला अपने आप आ जाती है चूत और जीभ की लड़ाई अपने आप में ही इतनी मजेदार होती है कि इसे सीखने और सीखाने की ज़रूरत नहीं पड़ती
बस जीभ को चूत दिखा दो बाकी का काम जीभ अपने आप कर लेती है मां की सिसकिया और शाबाशी और तेज हो चुकी थी मैने अपने सिर को हल्का सा उठा के मां को देखते हुए अपने चूत के रस से भीगे होंठो से मां से पुछा कैसा लग रहा है मां तुझे अच्छा लग रहा है? मां ने सिसकते हुए कहा हाय बेटा मत पुछ बहुत अच्छा लग रहा है मेरे लाल इसी मज़े के लिए तो तेरी मां तरस रही थी
चूस ले मेरे चूत को और जोर से चुस्स्स्स सारा रस पी लीई मेरे सैय्या तू तो जादूगर है रीईईई तुझे तो कुछ बताने की भी ज़रूरत नहीं है मेरे बुर के फांको के बीच में अपनी जीभ डाल के चूस बेटा और उसमे अपने जीभ को लिबलिबते हुए अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक घुमा दे हाय घुमा दे राजा बेटा घुमा दे
मां के बताए हुए रास्ते पर चलना तो बेटे फर्ज़ बनता है और उस फर्ज़ को निभाते हुए मैने चूत के दोनो फांको को फैला दिया और अपनी जीभ को उसके चूत में पेल दिया बर के अंदर जीभ घुसा कर पहले तो मैने अपनी जीभ और उपरी होंठ के सहारे चूत के एक फांक को फाड़ कर के खूब चूसा फिर दूसरी फांक के साथ भी ऐसा ही किया
फिर चूत को जितना चिदोर सकता था उतना चिदोर कर अपने जीभ को चूत के बीच में डाल कर उसके रस को चटकारे ले कर चाटने लगा चूत का रस बहुत नशीला था और मां की चूत कामो-उत्तेजना के कारण खूब रस छोड़ रही थी हल्का चिपचिपा रस पीने में मुझे बहुत आनंद आ रहा था
मां धीमी आवाज़ में चीखते हुए बोल पड़ी ओह चाटो ऐसे ही चाटो मेरे राजा चाट चाट के मेरे सारे रस को पी जाओ हाय रे मेरा बेटा देखो कैसे कुत्ते की तरह से अपनी मां की चूत को चाट रहा है ओह चाट ना ऐसे ही चाट मेरे कुत्ते बेटे अपनी कुतिया मां की चूत को चाट और उसके चूत के अंदर अपने जीभ को हिलाते हुए मुझे अपनी जीभ से चोद डाल
बाकी कहानी अगले भाग में
Hindi Kahani Antarvasna :- मां बेटे की अन्तर्वासना – 7