मां बेटे की अन्तर्वासना – 2

Desi Antarvasna Story

(मां बेटे की अन्तर्वासना 2)

आप ने desi antarvasna story के पिछले भाग में पढ़ा था मैं वही पास बैठा उसके नंगे पेट गहरी नाभि और मोटे मम्मों को देखता हुआ बोलता ठंडा कर दूं तुझे? कैसे करेगा ठंडा? अब desi antarvasna story में आगे पढ़े

डंडे वाले पंखे से मैं तुझे पंखा झल देता हूं फैन चलाने पर तो स्त्री ही ठंडी पड़ जाएगी

रहने दे तेरे डंडे वाले पंखे से भी कुछ नही होने जाने का छोटा सा तो पंखा है तेरा कह कर अपने हाथ ऊपर उठा कर माथे पर छलक आए पसीने को पोछती तो मैं देखता की उसकी कांख पसीने से पूरी भीग गई है और उसके गर्देन से बहता हुआ पसीना उसके ब्लाउज के अंदर उसके दोनो मम्मों के बीच की घाटी मे जा कर उसके ब्लाउज को भींगा रहा होता

घर के अंदर वैसे भी वो ब्रा तो कभी पहनती नही थी इस कारण से उसके पतले ब्लाउज को पसीना पूरी तरह से भीगा देता था और उसके मम्में उसके ब्लाउज के ऊपर से नज़र आते थे कई बार जब वो हल्के रंगा का ब्लाउज पहनी होती तो उसके मोटे मोटे भूरे रंग के निपल नज़र आने लगते ये देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगता था

कभी कभी वो स्त्री को एक तरफ रख के अपने पेटीकोट को उठा के पसीना पोछने के लिए अपने सिर तक ले जाती और मैं ऐसे ही मौके के इंतेज़ार में बैठा रहता था क्योंकि इस वक़्त उसकी आंखे तो पेटीकोट से ढक जाती थी पर पेटीकोट ऊपर उठने के कारण उसका टांगे पूरा जांघ तक नंगी हो जाती थी और मैं बिना अपनी नज़रो को चुराए उसके गोरी चिटी मखमली जांघों को तो जी भर के देखता था

मां अपने चेहरे का पसीना अपनी आंखे बंद कर के पूरे आराम से पोछती थी और मुझे उसके मोटे कंडली के खम्भे जैसे जांघों को पूरा नज़ारा दिखाती थी रात में जब खाना खाने का टाइम आता तो मैं नहा धो कर किचन में आ जाता खाना खाने के लिए मां भी वही बैठा के मुझे गरम गरम रोटिया सेक देती जाती और हम खाते रहते

इस समय भी वो पेटीकोट और ब्लाउज में ही होती थी क्यों की किचन में गर्मी होती थी और उसने एक छोटा सा पल्लू अपने कंधो पर डाल रखा होता उसी से अपने माथे का पसीना पोछती रहती और खाना खिलती जाती थी मुझे हम दोनो साथ में बाते भी कर रहे होते

मैने मज़ाक करते हुए बोलता सच में मां तुम तो गरम स्त्री हो वो पहले तो कुछ समझ नही पाती फिर जब उसकी समझ में आता की मैं आइरन स्त्री ना कह के उसे स्त्री कह रहा हूं तो वो हसने लगती और कहती हां मैं गरम स्त्री हूं और अपना चेहरा आगे करके बोलती देख कितना पसीना आ रहा है मेरी गर्मी दूर कर दे

मैं तुझे एक बात बोलू तू गरम चीज़े मत खाया कर ठंडी चीज़ खाया कर

अच्छा कौन से ठंडी चीज़ मैं खाऊं कि मेरी गर्मी दूर हो जाएगी

केले और बैगन की सब्जिया खाया कर

इस पर मां का चेहरा लाल हो जाता था और वो सिर झुका लेती और

धीरे से बोलती अरे केले और बैगान की सब्जी तो मुझे भी अच्छी लगती है पर कोई लाने वाला भी तो हो तेरा बापू तो ये सब्जिया लाने से रहा ना तो उसे केला पसंद है ना ही उसे बैगन

तू फिकर मत कर मैं ला दूंगा तेरे लिए

अच्छा बेटा है तू मां का कितना ध्यान रखता है

मैं खाना ख़तम करते हुए बोलता चल अब खाना तो हो गया ख़तम तू भी जा के नहा ले और खाना खा ले अरे नही अभी तो तेरा बापू देसी चढ़ा के आता होगा उसको खिला दूंगी तब खाऊंगी तब तक नहा लेती हूं तू जा और जा के सो जा कल नदी पर भी जाना है मुझे भी ध्यान आ गया की हां कल तो नदी पर भी जाना है मैं छत पर चला गया गर्मियों में हम तीनो लोग छत पर ही सोया करते थे

सुबह सूरज की पहली किरण के साथ जब मेरी नींद खुली तो देखा एक तरफ बापू अभी भी लुढ़का हुआ है और मां शायद पहले ही उठ कर जा चुकी थी मैं भी जल्दी से नीचे पहुचा तो देखा की मां बाथरूम से आ के हैंडपंप पर अपने हाथ पैर धो रही थी

मुझे देखते ही बोली चल जल्दी से तैयार हो जा मैं खाना बना लेती हूं फिर जल्दी से नदी पर निकाल जायेंगे तेरे बापू को भी आज शहर जाना है बीज लाने मैं उसको भी उठा देती हूं थोरी देर में जब मैं वापस आया तो देखा की बापू भी उठ चुका था और वो बाथरूम जाने की तैयारी में था

मैं भी अपने काम में लग गया और सारे कपड़ों के गट्ठर बना के तैयार कर दिया थोरी देर में हम सब लोग तैयार हो गये घर को ताला लगाने के बाद बापू बस पकड़ने के लिए चल दिया और हम दोनो नदी की ओर मैने मां से पुछा की बापू कब तक आयेंगे तो वो बोली क्या पता कब आएगा मुझे तो बोला है की कल आ जाउंगा पर कोई भरोसा है तेरे बापू का चार दिन भी लगा देगा

हम लोग नदी पर पहुच गये और फिर अपने काम में लग गये कपड़ों की सफाई के बाद मैने उन्हें एक तरफ सूखने के लिए डाल दिया और फिर हम दोनो ने नहाने की तैयारी शुरू कर दी मां ने भी अपनी साड़ी उतार के पहले उसको साफ किया फिर हर बार की तरह अपने पेटीकोट को ऊपर चढ़ा के अपनी ब्लाउज निकाली फिर उसको साफ किया और फिर अपने बदन को रगड़ रगड़ के नहाने लगी

मैं भी बगल में बैठा उसको निहारते हुए नहाता रहा बेखयाली में एक दो बार तो मेरी लूंगी भी मेरे बदन पर से हट गई थी पर अब तो ये बहुत बार हो चुका था इसलिए मैने इस पर कोई ध्यान नही दिया हर बार की तरह मां ने भी अपने हाथो को पेटीकोट के अंदर डाल के खूब रगड़ रगड़ के नहाना चालू रखा

थोड़ी देर बाद मैं नदी में उतर गया मां ने भी नदी में उतर के एक दो डुबकिया लगाई और फिर हम दोनो बाहर आ गये मैने अपने कपडे चेंज कर लिए और पाजामा और कुर्ता पहन लिया मां ने भी पहले अपने बदन को टॉवेल से सूखाया फिर अपने पेटीकोट के डोर को जिसको की वो छाती पर बांध के रखती थी ऊपर से खोल लिया और अपने दांतों से पेटीकोट को पकड़ लिया

ये उसका हमेशा का काम था मैं उसको पत्थर पर बैठ के एक तक देखे जा रहा था इस प्रकार उसके दोनो हाथ फ्री हो गये थे अब उसने ब्लाउज को पहन ने के लिए पहले उसने अपना बाया हाथ उसमे घुसाया फिर जैसे ही वो अपना दाहिना हाथ ब्लाउज में घुसाने जा रही थी की पता नही क्या हुआ उसके दांतों से उसकी पेटीकोट छुट गई और सीधे सरसरते हुए नीचे गिर गई और उसका पूरा का पूरा नंगा बदन एक पल के लिए मेरी आंखों के सामने दिखने लगा

उसके बड़े बड़े मम्में जिन्हे मैने अब तक कपड़ों के ऊपर से ही देखा था और उसके भारी बाहरी चूतड़ और उसकी मोटी मोटी जांघे और झाट के बाल सब एक पल के लिए मेरी आंखों के सामने नंगे हो गये पेटीकोट के नीचे गिरते ही उसके साथ ही मां भी तेज़ी के साथ नीचे बैठ गई मैं आंखे फाड़ फाड़ फर के देखते हुए वही पर खड़ा रह गया

मां नीचे बैठ कर अपने पेटीकोट को फिर से समेटती हुई बोली ध्यान ही नही रहा मैं तुझे कुछ बोलना चाहती थी और ये पेटीकोट दांतों से छुट गया मैं कुछ नही बोला मां फिर से खडी हो गई और अपने ब्लाउज को पहनने लगी फिर उसने अपने पेटीकोट को नीचे किया और बांध लिया फिर साड़ी पहन कर वो वही बैठ के अपने भीगे पेटीकोट को साफ कर के तैयार हो गई

फिर हम दोनो खाना खाने लगे खाना खाने के बाद हम वही पेड़ की छावं में बैठ कर आराम करने लगे जगह सुनसान थी ठंडी हवा बह रही थी मैं पेड़ के नीचे लेटे हुए मां की तरफ घुमा तो वो भी मेरी तरफ घूमी इस वक़्त उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कराहट पसरी हुई थी

मैने पुछा मां क्यों हंस रही हो

तो वो बोली क्या करू अब हसने पर भी कोई रोक है क्या?

नही मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था नही बताना है तो मत बताओ

मां बोली – अरे इतनी अच्छी ठंडी हवा बह रही है चेहरे पर तो मुस्कान आएगी ही यहा पेड़ की छांव में कितना अच्छा लग रहा है ठंडी ठंडी हवा चल रही है और आज तो मैने पूरा हवा खाया है

पूरा हवा खाया है वो कैसे

मैं पूरी नंगी जो हो गई थी फिर बोली ही तुझे मुझे ऐसे नही देखना चाहिए था

क्यों नही देखना चाहिए था

अरे बेवकूफ़ इतना भी नही समझता एक मां को उसके बेटे के सामने नंगा नही होना चाहिए था

कहा नंगी हुई थी तुम बस एक सेकेंड के लिए तो तुम्हारा पेटीकोट नीचे गिर गया था हालांकि वही एक सेकेंड मुझे एक घंटे के बराबर लग रहा था

हा फिर भी मुझे नंगा नही होना चाहिए था कोई जानेगा तो क्या कहेगा की मैं अपने बेटे के सामने नंगी हो गयी थी

कौन जानेगा यहा पर तो कोई था भी नही तू बेकार में क्यों परेशान हो रही है

अरे नही फिर भी कोई जान गया तो फिर कुछ सोचती हुई बोली अगर कोई नही जानेगा तो क्या तू मुझे नंगा देखेगा क्या मैं और मां दोनो एक दूसरे के आमने सामने एक सूखे चादर पर सुन-सान जगह पर पेड़ के नीचे एक दूसरे की ओर मुंह कर के लेते हुए थे और मां की साड़ी उसकी छाति पर से लुढ़क गई थी

मां के मुंह से ये बात सुन के मैं खामोश रह गया और मेरी सांसे तेज चलने लगी मां ने मेरी ओर देखते हुए पुछा क्या हुआ मैने कोई जवाब नही दिया और हल्के से मुस्कुराते हुए उसकी छातियो की तरफ देखने लगा जो उसकी तेज चलती सांसो के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे

वो मेरी तरफ देखते हुए बोली क्या हुआ मेरी बात का जवाब दे ना अगर कोई जानेगा नही तो क्या तू मुझे नंगा देख लेगा? इस पर मेरे मुंह से कुछ नही निकला और मैने अपना सिर नीचे कर लिया मां ने मेरी ठोड़ी पकड़ के ऊपर उठाते हुए मेरे आंखों में झांकते हुए पुछा क्या हुआ रे? बोल ना क्या तू मुझे नंगा देख लेगा जैसे तूने आज देखा है

मैने कहा मां मैं क्या बोलू मेरा तो गला सुख रहा था

मां ने मेरे हाथ को अपने हाथो में ले लिया और कहा इसका मतलब तू मुझे नंगा नही देख सकता है ना

मेरे मुंह से निकाल गया – मां छोड़ो ना मैं हकलाते हुए बोला नही मां ऐसा नही है

तो फिर क्या है तू अपनी मां को नंगा देख लेगा क्या

मैं क्या कर सकता था वो तो तुम्हारा पेटीकोट नीचे गिर गया

तभी मुझे नंगा दिख गया नही तो मैं कैसे देख पाता

वो तो मैं समझ गई पर उस वक़्त तुझे देख के मुझे ऐसा लगा जैसे की तू मुझे घूर रहा है इसी लिये पुछा

मां ऐसा नही है मैने तुम्हे बताया ना तुम्हे बस ऐसा लगा होगा

इसका मतलब तुझे अच्छा नही लगा था ना

मां छोड़ो मैं हाथ छुडाते हुए अपने चेहरे को छूपाते हुए बोला

मां ने मेरा हाथ नही छोड़ा और बोली सच सच बोल शरमाता क्यों है

मेरे मुंह से निकाल गया हां अच्छा लगा था

इस पर मां ने मेरे हाथ को पकड़ के सीधे अपनी छाती पर रख दिया और बोली फिर से देखेगा मां को नंगा बोल देखेगा?

मेरी मुंह से आवाज़ नही निकाल पा रहा था मैने बड़ी मुश्किल से अपने अपने हाथो को उसके नुकीले गुदज छातियों पर स्थिर रख पा रहा था ऐसे में मैं भला क्या जवाब देता? मेरे मुंह से एक क्रहने की सी आवाज़ निकली मां ने मेरी ठोडी पकड़ कर फिर से मेरे मुंह को ऊपर उठाया और बोली क्या हुआ बोल ना शरमाता क्यों है जो बोलना है बोल

मैं कुछ ना बोला

थोड़ी देर तक उसके मम्मों पर ब्लाउज के ऊपर से ही हल्का सा मैने हाथ फेरा फिर मैने हाथ खीच लिया मां कुछ नही बोली गौर से मुझे देखती रही फिर पता ना क्या सोच कर वो बोली ठीक मैं सोती हूं यही पर बड़ी अच्छी हवा चल रही है तू कपड़ों को देखते रहना और जो सुख जाए उन्हे उठा लेना ठीक है और फिर मुंह घुमा कर एक तरफ सो गई

मैं भी चुप चाप वही आंख खोले लेटा रहा मां के मम्में धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रहे थे उसने अपना एक हाथ मोड़ कर अपने आंखों पर रखा हुआ था और दूसरा हाथ अपने बगल में रख कर सो रही थी मैं चुपचाप उसे सोता हुआ देखता रहा थोड़ी देर में उसके ऊपर नीचे होते मम्मों का जादू मेरे ऊपर चल गया और मेरा लंड खड़ा होने लगा

मेरा दिल कर रहा था की काश मैं फिर से उन मम्मों को एक बार छू लू मैने अपने आप को गालियां भी निकाली क्या उल्लू का पट्ठा हूं मैं भी जो चीज़ आराम से छूने को मिल रही थी तो उसे छूने की बजाए मैं हाथ हटा लिया पर अब क्या हो सकता था मैं चुप चाप वैसे ही बैठा रहा कुछ सोच भी नही पा रहा था

फिर मैने सोचा की जब उस वक़्त मां ने खुद मेरा हाथ अपने मम्मों पर रखा दिया था तो फिर अगर मैं खुद अपने मन से रखू तो शायद डाटेंगी नही और फिर अगर डाटेंगी तो बोल दूंगा तुम्ही ने तो मेरा हाथ उस वक़्त पाकर कर रखा था तो अब मैं अपने आप से रख दिया सोचा शायद तुम बुरा नही मनोगी

यही सब सोच कर मैने अपने हाथो को धीरे से उसके मम्मों पर ले जा के रख दिया और हल्के हल्के सहलाने लगा मुझे ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था मैने हल्के से उसकी साड़ी को पूरी तरह से उसके ब्लाउज पर से हटा दिया और फिर उसके मम्मों को दबाया वाह इतना ग़ज़ब का मज़ा आया की बता नही सकता

एक दम गुदाज़ और सख़्त मम्में थे मां के इस उमर में भी मेरा तो लंड खड़ा हो गया और मैने अपने एक हाथ को मम्मों पर रखे हुए दूसरे हाथ से अपने लंड को मसल्ने लगा जैसे जैसे मेरी बेताबी बढ़ रही थी वैसे वैसी मेरे हाथ दोनो जगहो पर तेज़ी के साथ चल रहे थे मुझे लगता है की मैने मां के मम्मों को कुछ ज़्यादा ही जोर से दबा दिया था

शायद इसी लिए मां की आंख खुल गई और वो एकदम से हडबडाते हुए उठ गई और अपने आंचल को संभालते हुए अपने मम्मों को ढक लिया और फिर मेरी तरफ देखती हुई बोली हाय क्या कर रहा था तू हाय मेरी तो आंख लग गई थी?

मेरा एक हाथ अभी भी मेरे लंड पर था और मेरे चेहरे का रंग उड़ गया था मां ने मुझे गौर से एक पल के लिए देखा और सारा माजरा समझ गई और फिर अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट बिखेरते हुए बोली हाय देखो तो सही क्या सही काम कर रहा था ये? लड़का मेरा भी मसल रहा था और उधर अपना भी मसल रहा था

वो अब एक दम से मेरे नज़दीक आ गई थी और उसकी गरम सांसे मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी वो एक पल के लिए ऐसे ही मुझे देखती रही फिर मेरे ठोडी पकड़ कर मुझे ऊपर उठाते हुए हल्के से मुस्कुराते हुए धीरे से बोली क्यों रे बदमाश क्या कर रहा था बोल ना क्या कर रहा था अपनी मां के साथ फिर मेरे फूले फूले गाल पाकर कर हल्के से मसल दिया

मेरे मुंह से तो आवाज़ नही निकाल रही थी फिर उसने हल्के से अपना एक हाथ मेरे जांघों पर रखा और मेरे लंड को सहलाते हुए बोली है कैसे खड़ा कर रखा है मुए ने फिर सीधा पाजामा के ऊपर से मेरे खड़े लंड जो की मां के जागने से थोड़ा ढीला हो गया था पर अब उसके हाथो स्पर्श पा के फिर से खड़ा होने लगा था

बाकी कहानी अगले भाग में

Desi Antarvasna Story :- मां बेटे की अन्तर्वासना – 3

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