मां बेटे की अन्तर्वासना – 4

Antarvasna Sexi Story

(मां बेटे की अन्तर्वासना 4)

आप ने antarvasna sexi story के पिछले भाग में पढ़ा था मैं मज़े के सातवे आसमान पर झूल रहा था मां ने पहले मेरे लंड के सुपारे को अपने मुंह में भरा और धीरे धीरे चूसने लगी और मेरी ओर बड़ी सेक्सी अंदाज़ में अपने नज़रो को उठा के बोली अब antarvasna sexi story में आगे पढ़े

कैसा लाल लाल सुपारा है रे तेरा एकदम पहरी आलू के जैसे लगता है अभी फट जाएगा इतना लाल लाल सुपरा कुंवारे लड़कों का ही होता है फिर वो और कस कस के मेरे सुपारे को अपने होंठो में भर भर के चूसने लगी नदी के किनारे पेड़ की छावं में मुझे ऐसा मज़ा मिल रहा था

जिसकी मैने आज तक कल्पना तक नहीं की थी मां अब मेरे आधे से अधिक लंड को अपने मुंह में भर चुकी थी और अपने होंठो को कस के मेरे लंड के चारो तरफ से दबाये हुए धीरे धीरे उपर सुपारे तक लाती थी और फिर उसी तरह से सरकते हुए नीचे की तरफ ले जाती थी

उसकी शायद इस बात का अच्छी तरह से अहसास था की ये मेरा किसी औरत के साथ पहला संबंध है और मैने आज तक किसी औरत हाथो का स्पर्श अपने लंड पर नहीं महसूस किया है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए वो मेरे लंड को बीच बीच में ढीला भी छोड़ देती थी और मेरे अंडों को दबाने लगती थी

वो इस बात का पूरा ध्यान रखे हुए थी की मैं जल्दी ना झाडूं मुझे भी गजब का मज़ा आ रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे की मेरा लंड फट जाएगा मगर मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था मैने मां से कहा मां अब निकाल जाएगा मां मेरा माल अब लगता है नहीं रुकेगा

उसने मेरी बातो की ओर कोई ध्यान नहीं दिया और अपनी चूसाई जारी रखी

मैने कहा मां तेरे मुंह में ही निकल जाएगा जल्दी से अपना मुंह हटा लो

इस पर मां ने अपना मुंह थोरी देर के लिए हटाते हुए कहा की कोई बात नहीं मेरे मुंह में ही निकाल मैं देखना चाहती हूं की कुंवारे लड़के के पानी का स्वाद कैसा होता है और फिर अपने मुंह में मेरे लंड को कस के जकड़ते हुए उसने अब अपना पूरा ध्यान केवल अब मेरे सुपारे पर लगा दिया और मेरे सुपारे को कस कस के चूसने लगी

उसकी जीभ मेरे सुपारे के कटाव पर बार बार फिर रही थी मैं सिसकते हुए बोलने लगा ओह मां पी जाओ तो फिर चख लो मेरे लंड का सारा पानी ले लो अपने मुंह में ओह ले लो कितना मज़ा आ रहा है ही मुझे नहीं पाता था की इतना मज़ा आता है निकल गया निकल गया मां निकला

तभी मेरे लंड का फ़ौवारा छुट पड़ा और तेज़ी के साथ मेरे लंड से पानी गिरने लगा मेरे लंड का सारा सारा पानी सीधे मां के मुंह में गिरता जा रहा था और वो मज़े से मेरे लंड को चूसे जा रही थी कुछ ही देर तक लगातार वो मेरे लंड को चुस्ती रही मेरा लंड अब पूरी तरह से उसके थूक से भीग कर गीला हो गया था और धीरे धीरे सिकुड़ रहा था

पर उसने अब भी मेरे लंड को अपने मुंह से नहीं निकाला था और धीरे धीरे मेरे सिकुड़े हुए लंड को अपने मुंह में किसी चॉक्लेट की तरह घुमा रही थी कुछ देर तक ऐसा ही करने के बाद जब मेरी सांसे भी कुछ शांत हो गई तब मां ने अपना चेहरा मेरे लंड पर से उठा लिया और अपने मुंह में जमा मेरे वीर्या को अपना मुंह खोल कर दिखाया और हल्के से हंस दी

फिर उसने मेरा सारा पानी गटक लिया और अपने सारी पल्लू से अपने होंठो को पोछती हुई बोली मज़ा आ गया सच में कुंवारे लंड का पानी बड़ा मीठा होता है मुझे नहीं पाता था की तेरा पानी इतना मजेदार होगा फिर मेरे से पुछा मज़ा आया की नहीं मैं क्या जवाब देता जोश ठंडा हो जाने के बाद मैने अपने सिर को नीचे झूका लिया था

पर गुदगुदी और सनसनी तो अब भी कायम थी तभी मां ने मेरे लटके हुए लंड को अपने हाथो में पकड़ा और धीरे से अपने साड़ी के पल्लू से पोछती हुई पूछी बोल ना मज़ा आया की नहीं मैने शर्माते हुए जवाब दिया हां मां बहुत मज़ा आया इतना मज़ा कभी नहीं आया था

तब मां ने पुछा क्यों? अपने हाथ से नही करता था क्या

करता हूं मां पर उतना मज़ा नहीं आता था जितना आज आया है

औरत के हाथ से करवाने पर तो ज़यादा मज़ा आएगा ही पर इस बात का ध्यान रखियो की किसी को पता ना चले

हा मां किसी को पता नहीं चलेगा

तब मां उठ कर खडी हो गई अपने साड़ी के पल्लू को और मेरे द्वारा मसले गये ब्लाउज को ठीक किया और मेरी ओर देख कर मुस्कुराते हुए अपने बुर के सामने अपने साड़ी को हल्के से दबाया और साड़ी को चूत के उपर ऐसे रगड़ा जैसे की पानी पोछ रही हो मैं उसकी इस क्रिया को बरे गौर से देख रहा था

मेरे ध्यान से देखने पर वो हसते हुए बोली मैं जरा पेशाब कर के आती हूं तुझे भी अगर करना है तो चल अब तो कोई शरम नहीं है मैं हल्के से शरमाते हुए मुस्कुरा दिया तो बोली क्यों अब भी शर्मा रहा है क्या मैने इस पर कुछ नहीं कहा और चुप चाप उठ कर खड़ा हो गया वो आगे चल दी और मैं उसके पीछे पीछे चल दिया

जब हम झाड़ियों के पास पहुच गये तो मां ने एक बार पीछे मुड कर मेरी ओर देखा और मुस्कुरई फिर झाड़ियों के पीछे पहुच कर बिना कुछ बोले अपने साड़ी उठा के पेशाब करने बैठ गई उसकी दोनो गोरी गोरी जंघे उपर तक नंगी हो चुकी थी और उसने शायद अपने साड़ी को जान बुझ कर पीछे से उपर उठा दिया था जिस के कारण उसके दोनो चूतड़ भी नुमाया हो रहे थे

ये सीन देख कर मेरा लंड फिर से फुफ्करने लगा उसका गोरे गोरे चूतड़ बड़े कमाल के लग रहे थे मां ने अपने चूतडों को थोरा सा उचकाया हुआ था जिस के कारण उसके गांड की खाई भी दिख रही थी हल्के भूरे रंग की गांड की खाई देख कर दिल तो यही कर रहा था की पास जा उस गांड की खाई में धीरे धीरे उंगली चलाऊं और गांड की भूरे रंग की छेद को अपनी उंगली से छेड़ूं और देखूं की कैसे पाक-पकती है

तभी मां पेशाब कर के उठ खडी हुई और मेरी तरफ घूम गई उसने अभी तक साड़ी को अपने जांघों तक उठा रखा था मेरी ओर देख कर मुस्कुराते हुए उसने अपने साड़ी को छोड़ दिया और नीचे गिरने दिया फिर एक हाथ को अपनी चूत पर साड़ी के उपर से ले जा के रगड़ने लगी जैसे की पेशाब पोछ रही हो और बोली चल तू भी पेशाब कर ले खड़ा खड़ा मुंह क्या टाक रहा है

मैं जो की अभी तक इस शानदार नज़ारे में खोया हुआ था थोडा सा चौंक गया पर फिर और हकलाते हुए बोला हा हा अभी करता हूं मैने सोचा पहले तुम कर लो इसलिए रुका था फिर मैने अपने पाजामा के नाड़े को खोला और सीधा खड़े खड़े ही मूतने की कोशिश करने लगा मेरा लंड तो फिर से खड़ा हो चुका था और खड़े लंड से पेशाब ही नहीं निकाल रहा था

मैने अपनी गांड तक का जोर लगा दिया पेशाब करने के चक्कर में मां वही बगल में खडी हो कर मुझे देखे जा रही थी मेरे खरे लंड को देख कर वो हसते हुए बोली चल जल्दी से कर ले पेशाब देर हो रही है घर भी जाना है मैं क्या बोलता पेशाब तो निकाल नहीं रहा था तभी मां ने आगे बढ़ कर मेरे लंड को अपने हाथो में पकड़ लिया और बोली फिर से खाद कर लिया अब पेशाब कैसे उतरेगा ? कह कर लंड को हल्के हल्के सहलाने लगी

अब तो लंड और टाइट हो गया पर मेरे जोर लगाने पर पेशाब की एक आध बूंदे नीचे गिर गई

मैने मां से कहा अरे तुम छोडो ना इसको तुमहरे पकड़ने से तो ये और खड़ा हो जाएगा छोडो और मां का हाथ अपने लंड पर से झटकने की कोशिश करने लगा इस पर मां ने हसते हुए कहा मैं तो छोड़ देती हूं पर पहले ये तो बता की खड़ा क्यों किया था अभी दो मिनिट पहले ही तो तेरा पानी निकाला था

मैने और तूने फिर से खड़ा कर लिया कमाल का लड़का है तू तो मैं कुछ नहीं बोला अब लंड थोडा ढीला पड़ गया था और मैने पेशाब कर लिया मूतने के बाद जल्दी से पाजामा के नाड़े को बांध कर मैं मां के साथ झारियों के पीछे से निकल आया मां के चेहरे पर अब भी मंद मंद मुस्कान आ रही थी

मैं जल्दी जल्दी चलते हुए आगे बढ़ा और कपड़े के गट्ठर को उठा कर अपने माथे पर रख लिया मां ने भी एक गट्ठर को उठा लिया और अब हम दोनो मां बेटे जल्दी जल्दी गांव के पगडंडी वाले रास्ते पर चलने लगे शाम होते होते तक हम अपने घर पहुच चुके थे कपड़ों के गट्ठर को इस्त्री करने वाले कमरे में रखने के बाद हमने हाथ मुंह धोया और फिर मां ने कहा कि बेटा चल कुछ खा पी ले

भूख तो वैसे मुझे नहीं लगी नहीं थी दिमाग़ में जब सेक्स का भूत सवार हो तो भूख तो वैसे भी मार जाती हाई पर फिर भी मैने अपना सिर सहमति में हिला दिया मां ने अब तक अपने कपड़ों को बदल लिया था मैने भी अपने पाजामा को खोल कर उसकी जगह पर लूंगी पहन ली क्यों की गर्मी के दिनों में लूंगी ज्यादा आरामदायक होती है मां रसोई घर में चली गई

रात के 9:30 ही बजे थे पर गांव में तो ऐसे भी लोग जल्दी ही सो जाया करते है हम दोनो मां बेटे आ के बिछावन पर लेट गये बिछावन पर मेरे पास ही मां भी आ के लेट गई थी मां के इतने पास लेटने भर से मेरे शरीर में एक गुदगुदी सी दौड़ गई

उसके बदन से उठने वाली खुशबु मेरी सांसो में भरने लगी और मैं बेकाबू होने लगा था मेरा लंड धीरे धीरे अपना सिर उठाने लगा था तभी मां मेरी ओर करवट कर के घूमी और पुछा बहुत तक गये हो ना? हां मां जिस दिन नदी पर जाना होता है उस दिन तो थकावट ज्यादा हो ही जाती है हां मुझे भी बड़ी थकावट लग रही है जैसे पूरा बदन टूट रहा हो

मैं दबा दूँ थोड़ी थकान दूर हो जाएगी नहीं रे रहने दे तू तू भी तो थक गया होगा नहीं मां उतना तो नहीं थका की तेरी सेवा ना कर सकु मां के चेहरे पर एक मुस्कान फैल गई और वो हँसते हुए बोली दिन में इतना कुछ हुआ था उससे तो तेरी थकान और बढ़ गई होगी नही दिन में थकान बढ़ने वाला तो कुछ नहीं हुआ था

इस पर मां थोड़ा सा और मेरे पास सरक कर आई मां के सरकने पर मैं भी थोड़ा सा उसकी तरफ सरका हम दोनो की सांसे अब आपस में टकराने लगी थी मां ने अपने हाथो को हल्के से मेरी कमर पर रखा और धीरे धीरे अपने हाथो से मेरी कमर और जांघों को सहलाने लगी मां की इस हरकत पर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई और लंड अब फुफ्करने लगा था

मां ने हल्के से मेरी जांघों को दबाया मैने हिम्मत कर के हल्के से अपने हाथो को बढ़ा के मां की कमर पर रख दिया वो कुछ नहीं बोली बस हल्का सा मुस्कुरा दी मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं अपने हाथो से मां के नंगे कमर को सहलाने लगा मां ने केवल पेटिकोट और ब्लाउज पहन रखा था उसके ब्लाउज के उपर के दो बटन खुले हुए थे

इतने पास से उसके मम्मों की गहरी घाटी नज़र आ रही थी और मन कर रहा था जल्दी से जल्दी उन मम्मों को पकड़ लूं पर किसी तरह से अपने आप को रोक रखा था मां ने जब मुझे मम्मों को घूरते हुए देखा तो मुस्कुराते हुए बोली क्या इरादा है तेरा शाम से ही घूरे जा रहा है खा जाएगा क्या मेरे मम्में को?

नही मां तुम भी क्या बात कर रही हो मैं कहा घूर रहा था?

चल झूठे मुझे क्या पता नहीं चलता रात में भी वही करेगा क्या

क्या मां ?

वही जब मैं सो जाउंगी तो अपना लंड भी मसलेगा और मेरे मम्मों को भी दबाएगा

नहीं मां

तुझे देख के तो यही लग रहा है कि तू फिर से वही हरकत करने वाला है

नही मां

मेरे हाथ अब मां की नंगी जांघों को सहला रहे थे वैसे दिन में मज़ा आया था? पुछ कर मां ने हल्के से अपने हाथो को मेरे लूंगी के उपर लंड पर रख दिया

मैने कहा हां मां बहुत अच्छा लगा था फिर करने का मन कर रहा है क्या

हां – मां

इस पर उस ने अपने हाथो का दवाब जरा सा मेरे लंड पर बढ़ा दिया और हल्के हल्के दबाने लगी उस के हाथो का स्पर्श पा के मेरी तो हालत खराब होने लगी थी ऐसा लग रहा था की अभी के अभी पानी निकल जाएगा

तभी मां बोली जो काम तू मेरे सोने के बाद करने वाला है वो काम अभी कर ले चोरी चोरी करने से तो अच्छा है कि जो करना है तू मेरे सामने ही कर ले

मैं कुछ नहीं बोला और अपने हाथो को हल्के से मां के मम्मों पर रख दिया मां ने अपने हाथो से मेरे हाथो को पकड़ कर अपने मम्मों पर कस के दबाया और मेरी लूंगी को आगे से उठा दिया और अब मेरे लंड को सीधे अपने हाथो से पकड़ लिया मैने भी अपने हाथो का दवाब उसके मम्मों पर बढ़ा दिया

मेरे अंदर की आग एकदम भड़क उठी थी और अब तो ऐसा लग रहा था की जैसे इन मम्मों को मुंह में ले कर चूस लू मैने हल्के से अपने गर्दन को और आगे की तरफ बढ़ाया और अपने होठों को ठीक मम्मों के पास ले गया मां शायद मेरे इरादे को समझ गई थी उसने मेरे सिर के पीछे हाथ डाला और अपने मम्मों को मेरे चेहरे से दबा दिया

हम दोनो अब एक दूसरे की तेज़ चलती हुई सांसो को महसूस कर रहे थे मैने अपने होठों से ब्लाउज के उपर से ही मां के मम्मों को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगा मेरा दूसरा हाथ कभी उसके मम्मों को दबा रहा था कभी उसके मोटे मोटे चूतडों को मां ने भी अपना हाथ तेज़ी के साथ चलना शुरू कर दिया था और मेरे मोटे लंड को अपने हाथ से मुठिया रही थी

मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था तभी मैने सोचा ऐसे करते करते तो मां फिर मेरा माल निकल देगी और शायद फिर कुछ देखने भी नहीं दे जबकि मैं आज तो मां को पूरा नंगा करके जी भर के उसके बदन को देखना चाहता था इसलिए मैने मां के हाथो को पकड़ लिया और कहा मां रूको

क्यों मज़ा नहीं आ रहा है क्या जो रोक रहा है

मां मज़ा तो बहुत आ रहा है मगर

फिर क्या हुआ

फिर मां मैं कुछ और करना चाहता हूं ये तो दिन के जैसे ही हो जाएगा

इस पर मां मुस्कुराते हुए पूछा तो तू और क्या करना चाहता है तेरा पानी तो ऐसे ही निकलेगा ना और कैसे निकलेगा

नही मां पानी नहीं निकलना मुझे

तो फिर क्या करना है

मां देखना है

क्या देखना है रे

मां ये देखना है कह कर मैने एक हाथ सीधा मां के बुर पर रख दिया

बदमाश ये कैसी तमन्ना पल ली तूने

मां बस एक बार दिखा दो ना

इधर आ मेरे पैरो के बीच में अभी तुझे दिखाती हूं पर एक बात जान ले तू पहली बार देख रहा है देखते ही तेरा पानी निकल जाएगा समझा

फिर मां ने अपने हाथो से पेटिकोट के निचले भाग को पकड़ा और धीरे धीरे उपर उठाने लगी मेरी हिम्मत तो बढ़ ही चुकी थी मैने धीरे से मां से कहा ओह मां ऐसे नही

बाकी कहानी अगले भाग में

Antarvasna Sexi Story :- मां बेटे की अन्तर्वासना – 5

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