काम वासना की आग- 31

आप ने antarvasna sex stories के पिछले भाग में पढ़ा मैंने थोड़ी देर किसी तरह उसे दिखाया और फिर उसके ना ना करते हुये भी फोन बंद कर दिया मैं अब गीली हो चुकी थी सुरेश अनुभवी मर्द की तरह मेरी चूत तो नहीं चाट रहा था मगर जैसे भी हो उसने मुझे गीला कर दिया था अब आप antarvasna sex stories में आगे पढ़े

Antarvasna Sex Stories 31

अब मैंने उसे निर्देश देना शुरू कर दिया कि किस तरह से एक स्त्री की चूत को जीभ से सुख दिया जाता है उसे ये सीखने में ज्यादा समय नहीं लगा उसे मेरी चूत का स्वाद बहुत पसंद आया और यही वजह थी कि वो बहुत जल्दी सीख भी गया

अब मैं उतावली होने लगी थी कि जल्दी से वो अपना लंड मेरी चूत में डाले और संभोग का शुभारम्भ करे मैंने उसे दो तीन बार कहा कि अब बस करो वरना मैं झड़ जाऊंगी पर उसे मेरी चूत इतनी अच्छी लग रही थी कि उसने ध्यान ही नहीं दिया

वो बड़े चाव से मेरी चूत चाटे जा रहा था मैं इधर उधर छटपटाती भी थी तो वो मुझे अपनी ताकत से दबा देता मुझे इस बीच कई बार लगा कि अब मैं फव्वारा छोड़ दूंगी पर हर बार किसी तरह खुद को रोक लेती

अब मेरी बर्दाश्त से बाहर हुआ जा रहा था तो मैंने उसके सिर के बालों को खींचा और कहा अब बस करो तुम तो पहले ही मेरा पानी निकाल दोगे

इस पर सुरेश ने कहा- निकल जाने दो ना फिर और अधिक मजा आयेगा

मैंने उससे कहा- मजा तुम्हें तब आयेगा जब मैं गर्म रहूंगी ठंडी पड़ी तो तुम असली मजा खो दोगे

उसे क्या पता था कि मुझे लंबे समय तक चलने वाले संभोग में मजा आता है मैं तो बस उसे अपने हिसाब से चलाना चाह रही थी

मेरी बात सुन कर उसने मेरी चूत चाटनी छोड़ दी और मेरी जांघों के बीच आ गया मैंने भी खुद को सही दिशा में रखा और संभोग के लिये तैयार हो गयी वो मेरे सिर के अगले बगल हाथ रख मेरे ऊपर झुक गया

उसका लंड ठीक मेरी चूत के मुख के पास आ गया मैंने एक हाथ से उसके लंड को पकड़ा और खींच कर सुपाड़ा खोल दिया फिर अपनी चूत की दरार में ऊपर नीचे रगड़ा ताकि मेरी चूत से निकल रहे रस से सुपाड़े का मुंह गीला और चिकनाई से भर जाये

मेरे हाथ में तो ऐसा लग रहा था मानो कोई गर्म सरिया हो मैंने अब उसके लंड के सुपाड़े को अपनी चूत के मुख पर रख कर उसे इशारा किया

इशारा मिलते ही उसने अपने कमर के हिस्से से दबाव बढ़ाया और लंड का सुपाड़ा सट से मेरी चूत की पंखुड़ियों को फैलाता हुआ भीतर चला गया

मुझे एक सुकून की अनुभूति हुयी मैंने अपना हाथ हटा लिया और उसकी कमर को पकड़ लिया लंड को सही रास्ता मिल गया था अब किसी प्रकार के दिशा निर्देश की आवश्यकता नहीं थी

मैंने उससे कहा कि आराम से करना उसने भी हां में सिर हिलाते हुये हल्के हल्के धकेलना शुरू किया जैसे जैसे उसका लंड मेरी चूत में अंदर जाता वैसे वैसे उसके लंड का थोड़ा थोड़ा हिस्सा गीला होता जाता और अंत में उसका समूचा लंड मेरी चूत में समा गया

अंत में उसका सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी के मुंह से जा टकराया मैं मीठे दर्द में कराह उठी मेरे कराहते ही उसने झुक कर मेरे होंठों को चूम लिया और अपने एक हाथ से वो मेरे बड़े मांसल मम्में को पकड़ दबाने लगा

अब हम दोनों ने मस्ती से संभोग शुरू कर दिया सुरेश ने मेरे मम्मों को मसलते हुये और होंठों को चूमते हुये हौले हौले से धक्का देना शुरू किया

मुझे उसके साथ बड़ा आनंद आने लगा था और मैं भी टांगें मोड़ कर एड़ियों पर ज़ोर डाल कर बीच बीच में अपने चूतड़ों को उठाने लगी मेरी चूत से लगातार तरल रिसने लगा और मुझे चिपचिपा झाग सा बनना महसूस होने लगा

करीब 10 मिनट में ही हम दोनों के शरीर से पसीना बहने लगा और हम लंबी लंबी सांसें भरने लगे हर बार उसका सुपाड़ा मेरी बच्चेदानी को ऐसे छू कर आता जैसे झूले में झूलता हुआ कोई किसी को चूम कर वापस जाता और फिर आता और फिर चूमता

दोनों की मस्ती इस कदर बढ़ गयी थी कि हम दोनों सांपों की तरह लिपट कर गुत्थम गुत्था होकर धक्का लगाने लगे मैं बार बार नीचे से अपने चूतड़ों को उठाने का प्रयास करती और वो पूरी ताकत से ऊपर से ज़ोर डालता मुझ पर

इस बार मुझे एक अलग सा महसूस हो रहा था मैं नहीं चाहती थी कि मैं झड़ जाऊं बस इसी तरह से संभोग चलता रहे यही सोच रही थी पर ये शरीर का मिलन ही कुछ ऐसा है जब इंसान जल्दी चाहता है तो होता नहीं और जब नहीं चाहता है तो हो जाता है

मैं भी बहुत देर से खुद को रोके हुये थी पर सुरेश धक्के लगाते हुये बहुत थक चुका था और उससे ज़ोर नहीं लग रहा था उसने अचानक मेरी चूत में लंड अंत तक धंसा दिया और कसके मुझे पकड़ लिया

उसके इस दबाव से सुपाड़े का मुंह मेरी बच्चेदानी के मुंह से जा चिपका और मैं ना चाहते हुये भी खुद को रोक ना पाई मेरी नाभि में अजीब सी सनसनाहट हुयी और ऐसा लगा मेरी चूत की मांसपेशियां ढीली पड़ जाएंगी

मैंने पूरी ताकत से सुरेश को पकड़ लिया और हाथों टांगों से उसे जकड़ कर झटके देने लगी मैं बार बार अपने चूतड़ों को उछालने लगी पर सुरेश ने जैसे दबा रखा था मैं ज्यादा नहीं उठ पाई पर चूत की नसों से कुछ निकल रहा हो ऐसा महसूस हुआ

मैं अब झड़ने लगी थी और चाहती थी कि इसी समय सुरेश ज़ोर ज़ोर के धक्के मारे पर उसके ना मारने की वजह से खुद चूतड़ों को उछाल रही थी

मैं कराहती सिसकती अपने चूतड़ों को उछाल उछाल कर झड़ती रही और फिर धीरे धीरे शांत हो गयी

सुरेश समझ गया कि मैं झड़ गयी हूं इसलिये उसने मुझसे कहा- पानी निकल गया तुम्हारा?

मैंने भी जवाब में सिर हिला दिया

वो मेरे ऊपर से आहिस्ते आहिस्ते उठा और मुझे अपने ऊपर आने को बोला मैं उसके ऊपर बैठ गयी और लंड चूत में प्रवेश करा धक्के लगाने लगी

सुरेश ने कहा- आराम आराम से धीरे धीरे धक्के लगाना

मैं उसके कहे अनुसार हल्के हल्के से अपनी कमर हिला हिला कर लंड को अपनी चूत से घर्षण देने लगी वो एकदम मस्ती में आ गया और औरतें की भांति कराहने लगा

वो इतने जोश में आ गया था कि दोनों हाथों से मेरे मम्मों को बेरहमी से ऐसे मसलने लगा कि बूंद बूंद करके मेरे चूचुकों से दूध टपकने लगा

अब मेरी भी खुमारी फिर से बढ़ने लगी और मैं अपनी चूत से तरल रिसता हुआ महसूस होने लगी मैं भी अब संभोग के मजे से सिसकने लगी थी और उसके सीने पर अपनी नाखून गड़ाते हुये तेज़ी से धक्के मारने लगी

मैं फिर से चरम सीमा की ओर तेज़ी से बढ़ रही थी अचानक सुरेश ने मुझे रुकने को कहा और घोड़ी बन जाने को बोला उसने हल्के से हाथों से मुझे ज़ोर दिया और मैं उसके ऊपर से उतर कर बगल में घोड़ी की तरह झुक गयी

सुरेश भी फुर्ती में मेरे पीछे आ गया और मुझसे बोला- थोड़ा गांड ऊपर उठाओ

उसके कहे अनुसार मैंने अपने चूतड़ उठा दिए सुरेश ने फौरन से अपना लंड एक झटके में मेरी चूत की गहराई में उतार दिया मैं उस झटके से चिहुँक उठी क्योंकि उसका सुपाड़ा सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया था और एक मीठा से दर्द नाभि तक फैल गया

अच्छी बात ये थी कि मेरी चूत गीली होने की वजह से लंड सर्र से बिना किसी परेशानी के अंदर चला गया अब सुरेश ने एक हाथ से मेरे एक कंधे को पकड़ा और एक हाथ से मेरी कमर को थामा

फिर एक लय में ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा उसके धक्के इतने तेज और गहराई तक लगने लगे थे कि धक्कों की शुरूआत से ही मेरे मुंह से सारेगामापा शुरू हो गया मेरी उत्तेजना को उसने दोगुना बढ़ा दिया था और मैं उसे उत्साहित करने लगी

मैं कराहती सिसकती बड़बड़ाने लगी- आहहह और तेज सुरेश ओह्ह ईईह बहुत मजा आ रहा सुरेश और तेज चोदो हहह ओह्ह ईईई बहुत मस्त चोदते हो सुरेश आह ओह्ह कितना कड़क लंड है तुम्हारा ईईई बस चोदते रहो मुझे आह्ह आह ओह्ह ईईई आह मेरा पानी निकाल दो सुरेश आह ओह्ह

एक बात तो है अगर आप गर्म हो और जोश में हो तो संभोग कितना भी आक्रामक हो पीड़ादायक हो या थके हो मजा उतना ही आता है और इन सब पीड़ाओं का ख्याल नहीं होता बल्कि ये धक्के भी मजेदार लगने लगते हैं

हम दोनों के साथ भी यही था दोनों के बदन तप रहे थे पसीने से लथपथ थे सुरेश थक कर हांफ रहा था और मैं दर्द से तड़फ रही थी मगर चिंता केवल चरम सुख की थी

सुरेश के लंड के धक्कों की वजह से कमरा थप थप की आवाजों से गूंज रहा था और मेरी चूत से तरल रिस रिस कर मेरी दोनों जांघों के सहारे बहने लगा था

अब स्थिति ये थी कि मैं झड़ना चाहती थी और सुरेश को अपनी बांहों में भर अपना सारा रस उसके लंड पर छोड़ देना चाहती थी इसके लिये अब मैं खुद को पलटने का प्रयास करने लगी पर सुरेश मुझे उसी अवस्था में रोके रखना चाहता था और मुझे पलटने नहीं दे रहा था

आखिर ऐसे कब तक खुद को रोक पाती मेरी चूत की मांसपेशियां सिकुड़ने और ढीली होने लगीं पूरा बदन झनझनाने लगा और मैं अपने चूतड़ों को खुद बार बार उठा उठा उसे मजा देने लगी

मैं फिर से झड़ने लगी और सुरेश और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा मैं कराहती सिसकती जब ढीली पड़ने लगी तो उसने तुरंत मुझे पलट दिया और बहुत ही तेज़ी में मेरी एक टांग उठाते हुये उसने अपने कंधे में रख लिया और दूसरी टांग को फैलाते हुये जांघ पकड़ कर बिस्तर पर दबा दिया

मेरी जांघें इतनी फैल गयी थीं कि सुरेश के बीच में आने के बाद भी काफी जगह थी मैं इससे तो समझ गयी कि सुरेश कोई नौसिखिया नहीं है और मेरी तरह वो भी संभोग क्रियाओं का पुराना खिलाड़ी है

उसने तनिक भी देरी किए बिना लंड तुरन्त मेरी चूत में प्रवेश करा दिया और फिर से तेजी से धक्के मारने लगा मेरी चूत से तो ऐसा लग रहा था मानो अब पानी का फव्वारा छूट पड़ा उसने ये सब इतनी तेजी में किया कि मेरे झड़ने के क्रम में अधिक बाधा नहीं आयी

एक पल जहां मैं ढीली पड़ने लगी उसने तुरंत आसन बदल सारी कमी दूर कर दी अब सुरेश की बारी थी जैसा कि हर मर्द जानता है कि उसे अधिक से अधिक आनंद एक कामुक महिला ही दे सकती है पर चरमसुख की तीव्रता अधिक महिलाएं नहीं दे पाती हैं

यही वजह है कि अंतिम क्षणों में पुरुष संभोग की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले लेता है क्योंकि महिलाएं भी थकती हैं और यदि पुरुष झड़ने की अवस्था में हो और जरा भी कमी हुयी तो पुरुष झड़ तो जाएंगे पर जो लय और तीव्रता उन्हें चाहिए होती है वो नहीं मिल पाता

पर अधिकांश महिलाएं ये झेलती हैं खास तौर पर वे जो पारंपरिक रूप से संभोग करती हैं और जिनके पुरुष साथी केवल अपनी जरूरत पूरी करने में विश्वास रखते हैं

वैसे देखा जाये तो पुरुष चाहे अपना खुद का पति हो प्रेमी हो या कोई साथी हो महिलाएं उन्हें एक बार खुद को सौप दें तो वे अपने हिसाब से संभोग करते हैं

हालांकि मैं इस मामले में थोड़ी भाग्यशाली हूं और मेरी कुछ महिला मित्र भी कि हमने जिनके साथ भी संभोग किया उन्होंने हमारे चरम सुख प्राप्ति को बराबर समझा

ये तो मर्द और पुरुष की अलग अलग विशेषता होती है इसलिये मुझे सुरेश से कोई शिकायत नहीं थी उसने मुझे दो बार चरमसुख की प्राप्ति करवाई थी

अब सुरेश की बारी थी वो बहुत अधिक थक चुका था मगर धक्के लगातार मार रहा था मेरी जांघें इतनी अधिक फैली थीं कि हर धक्का मेरी बच्चेदानी पर चोट कर रही थी मैं कराह रही थी और शायद मेरा कराहना उसका उत्साह बढ़ा रहा था

मेरी चूत हर ओर से फूली हुयी है क्योंकि मैं ज़रा भरी हुयी हूं उस चर्बीदार फूली हुयी चूत की वजह से उसे मजा और आ रहा था क्योंकि पतली दुबली लड़कियों की सपाट चूत की वजह से धक्कों के समय हड्डियां टकराती हैं तो दर्द होता है फिर आनंद में भी कमी आती है

मैं बीच बीच में सिर उठा अपनी चूत की तरफ देखती तो मुझे लंड का थोड़ा हिस्सा दिखता और फिर मेरी चूत में गायब हो जाता जब पूरा लंड जड़ तक मेरी चूत में चला जाता तो लगता कि सुरेश और मेरे शरीर की बनावट एक ही है

सुरेश के धक्के मुझे इतने तेज और ज़ोरदार लग रहे थे कि मेरे मम्में हिल हिल कर गले तक ऊपर चले जा रहे थे अभी तो मुश्किल से 4 से 5 मिनट ही हुये थे कि मैं फिर से पानी छोड़ने को लालायित होने लगी

मैं फिर से सुरेश को ललकारने लगी- हाय सुरेश चोदो मुझे आह ईईई ओह्ह सुरेश तुम्हारा लंड कितना तगड़ा है मेरी बुर से पानी निचोड़ दो हाय ओह्ह आह

सुरेश भी अब कहां रुकने वाला था उसने जो लंबे लंबे और ज़ोरदार धक्के मुझे मारे कि बिस्तर तक हिला जा रहा था करीब 3 से 4 मिनट के भीतर ही वो मेरी टांग को अपने कंधे से उतार मेरे ऊपर गिर गया

एक हाथ से मेरे बालों को पकड़ कर और दूसरे से मेरे चूतड़ों को थाम कर एक लय में ऐसे धक्के मारने लगा कि मुझे लगा मेरी नाभि का नल्ला सरक गया

मैंने अपनी टांगों को उठा कर हवा में फैला दिया और उसे पूरी ताकत से पकड़ लिया मेरी नाभि से ऐसा लगा जैसे गांठ खुल गयी और वहां से कुछ तेज गति से बहते हुये मेरी बच्चेदानी तक पहुंच गया

मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं होंठों को आपस में दबोच लिया और नाक से कराहने की आवाज फूट पड़ी सुरेश लगातार धक्के मारे जा रहा था और एकाएक मैंने टांगें बिस्तर पर पटक दीं मेरे घुटने मुड़े हुये थे

मैं एड़ियों पर ज़ोर देकर अपने चूतड़ों को उठाने लगी सुरेश ऊपर से मुझमें धक्के मारे जा रहा था तभी मुझे मेरी बच्चेदानी के मुंह पर तेज गरम पिचकारी की चोट लगी बस क्या था गरम वीर्य की एक पिचकारी पड़ी कि मेरी बच्चेदानी के मुंह में आकर रुकी वो चीज फुर्ती से छूटने लगी

मैं फिर से झड़ने लगी और चूत के भीतर से पानी एक पतली धार बन कर लंड के साथ बाहर निकलने लगा मैं चूतड़ों को उठा उठा कर सुरेश को मजा देती रही झड़ती रही और सुरेश ऊपर से ठोकर मारता हुआ अपने रस की पिचकारी मेरी चूत के भीतर छोड़ने लगा

दोनों एक दूसरे से लिपट एक साथ तालमेल बिठा झड़ने लगे मैंने अंतिम क्षणों तक अपनी चूत ऊंची करके उसे मजा दिया और वो आखिरी बूंद के गिरने तक धक्के मारता रहा अंत में दोनों शांत हो एक दूसरे को बांहों में समेट कर हांफते हुये लेट गये

बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में

Antarvasna Sex Stories :- काम वासना की आग- 32

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