आप ने antarvasna sex stories के पिछले भाग में पढ़ा कुछ देर बाद क्या दिमाग में आया कि मैंने उसे एक संदेश भेज दिया और लिखा तुम बहुत बदमाश हो दो मिनट बाद उसका फोन आ गया अब आप antarvasna sex stories में आगे पढ़े
Antarvasna Sex Stories 30
मैं सोच रही थी कि वो सो गया होगा अब मैंने सोचा कि अपने दिल की भड़ास निकाल लूं पर ये मुझपे ही भारी पड़ गया उसने ऐसे मुझसे बातें करनी शुरू की कि मेरा दिल पिघल गया शायद मुझे भी उसका साथ अच्छा लगा इसलिये मैं अपने गुस्से को दिखा ही नहीं पाई
उसने बताया कि दो साल में ये दूसरी बार उसे संभोग के मौका मिला बीवी के जाने के बाद बहुत अकेला लगता था उसे उसकी बात जानकर मेरे दिल में भी हुआ कि उसने कुछ गलत नहीं किया और मैंने भी मान लिया कि दोस्त की ही तो मदद की है
फिर भी मैंने उससे पूछा कि बीवी को गुजरे 2 साल हुये और 2 बार उसने संभोग किया तो दूसरी औरत कौन थी तब उसने सच सच बता दिया कि सरस्वती के साथ ही उसने किया था अब फिर मेरा दिमाग घूमा कि ये मुझे बस अपनी बातों में फंसाने में लगा था
बचपन से ही इसका चक्कर सरस्वती के साथ ही था तब उसने सारी राम कहानी बतानी शुरू की और प्यार व्यार सरस्वती के साथ कभी नहीं था और शादी होने से पहले या बाद कभी दोनों में संभोग नहीं हुआ
बात बचपन की थी सो खत्म हो गयी अब इस उम्र में मैं मिली तो सहायता के नाम पर उसने मुझे फंसा लिया मुझे अब वो चालू किस्म का लगने लगा उसने मुझे फिर समझाना शुरू किया कि बचपन में सरस्वती से मेरे लिये ही बात करता था पर जब शादी हुयी तो भूल गया
फिर जब भी गांव जाता और कभी सरस्वती ससुराल से आती तो दोनों की मुलाकात होती इसी तरह 7 महीने पहले दोनों गांव आए हुये थे तब सरस्वती ने उसे संभोग का मौका दिया और फिर दोनों ने मर्जी से किया
उसने ये भी बताया कि दोनों ने बस जीवन में 2 बार किया वो भी एक दिन में मैं ये सब बात जानकर हिल सी गयी और डरने लगी कि सरस्वती को पता चल गया तो क्या सोचेगी
पर अगले ही पल उसने बताया कि जबरदस्ती करने का आईडिया सरस्वती ने ही दिया था यह सुनकर मैं चौंक गयी मैंने पिछले ही दिन सरस्वती से बात की थी मुझे उसकी बातों से ही समझ लेना था
सुरेश ने मुझे बहुत कुछ बताया तब मैंने भी सोचा कि छोड़ो सब तो अपने ही हैं बात बाहर नहीं जायेगी और वैसे भी सुरेश कोई मेरा पति नहीं था कि मुझे ये जानकार जलन हो कि इसने मेरी सहेली के साथ संभोग किया
बस हम दोनों का मन अब सही हो चुका था सो उसने दोबारा संभोग के लिये मुझसे पूछा अब तो मुझे भी अच्छा लगने लगा था और मेरे पास एक दिन का समय भी था सो मैंने हां बोल दिया और रात को आने को कहा
अगले दिन जैसे ही नींद खुली मैंने सोचा कि पहले सरस्वती को फोन करूं फिर सोचा कि घर के काम निपटा लूं फिर फुरसत से उसकी तबियत पूछूंगी कपड़े लत्ते घर सफाई और खाना बनाते करते एक बज गये थे
सुबह भी देर से उठी थी इसलिये देर पर देर होती जा रही थी काम से फुरसत पाकर मैंने सरस्वती को फोन लगाया फोन उठाते ही वो बोली- क्यों हो गयी चुदाई आखिर?
मैंने भी बोला- कमीनी कहीं की सारा खेल तेरा रचा हुआ था खुद चुदी और मेरे साथ जबरदस्ती करवाई तूने
सरस्वती हंसते हुये बोली- तो क्या हुआ बस चोद ही तो दिया तुझे और मुझे तो कौन सी हमारी इज्जत लुट गयी मजा भी तो दिया ना आखिर
ये सब बोल कर वो ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी मैं भी अपनी हंसी रोक नहीं पाई सुरेश ने उसे पहले ही बता दिया था रात को ही कि उसने मेरे साथ संभोग किया फिर हम दोनों सहेलियां पहले की तरह खुल कर बातें करने लगीं
मुझे नहीं पता था कि शहरों की तरह गांव की औरतें भी इतनी खुले विचारों की होती हैं फिर उसने बताया कि प्यार की बात पर जब मैं राजी नहीं हुयी तो सरस्वती ने ही सुरेश से बोला कि उसे कम से कम एक बार मैं संभोग करने दूं
पर सुरेश ने पूछने से पहले ही अपना सब्र खो दिया खैर अब जो भी हुआ मुझे अब अच्छा लगने लगा था
सरस्वती ने मुझसे पूछा- दोबारा कब मिलोगी?
मैंने बताया- हां आज रात को मिलूंगी
फिर उसने बताया कि कैसे बड़ी मुश्किल से वो सुरेश के लिये समय निकाल सकी थी और गाय वाले घर में एक खटिया पर दोनों ने संभोग किया था
एक एक बात उसने मुझे विस्तार से बताई उसकी बातें सुन सुन कर मेरी चूत में नमी आने लगी थी फिर उसने मुझसे पूछा- रात क्या क्या हुआ मैंने खुल कर तो नहीं पर बताना शुरू किया
पर मेरी पूरी बात होने से पहले उसे कुछ काम आ गया और वो चली गयी दिन में समय मिला तो मैं सो गयी और शाम को उठी तो सुरेश की आने की बात लेकर दोनों के लिये खाना बनाना शुरू कर दिया
करीब 8 बजे वो आ गया और बहुत उत्साहित और खुश दिख रहा था खाना अभी तैयार नहीं हुआ था तो वो बाहर बैठ गया और फोन पर किसी से बात करने लगा मैंने खाना तैयार कर लिया और उसे हाथ मुंह धो लेने को कहा वो फोन मुझे देता हुआ चला गया
मैंने बात की तो दूसरी तरफ सरस्वती थी मैंने फिर उसे गालियां देते हुये कोसा और फोन रख दिया खाना खाकर हम कुर्सी पर बैठ बातें करने लगे और फिर बातें करते हुये 10 बज गये
बातें चाहे जितनी भी हुयी पर मेरे दिमाग में और उसके दिमाग में एक ही बात चल रही थी वो थी संभोग की थोड़ी देर बाद उसने बोला मन होने लगा सारिका बिस्तर पर चलकर बात करते हैं
मैंने भी मुस्कुराते हुये उसे देखा और चल दी मैं आगे आगे थी और वो मेरे पीछे बिस्तर के पास पहुंचते ही उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरी गर्दन पर चुम्बनों की बरसात करने लगा
मैं उसके चुम्बन से गर्म होने लगी और अपना संतुलन खोने लगी धीरे धीरे चूमते हुये में बिस्तर पर गिरने लगी और वो मेरी पीठ पर गिर गया इसी अवस्था में बहुत देर उसने मुझे गर्दन और पीठ पर चूमा
उसने चूमते हुये मेरे कानों में बोला- मेरा लंड चूसोगी?
मैंने भी जवाब दे दिया- हां चूस दूंगी
इतना सुनते ही उसने मुझे छोड़ा और अपनी पैंट उतार कर बिस्तर पर बैठ गया मैं भी उठी और जमीन पर घुटनों के बल खड़ी हो गयी और उसका लंड हाथ में पकड़ लिया उसका लंड तो अभी से ही कड़क हो कर फुंफकार मार रहा था
मैंने उसे मुठ्ठी में भर कर 3 से 4 बार आगे पीछे हिलाया तो चमड़ी पीछे होकर सुपाड़ा खुल गया इतने से ही हिलाने में उसके लंड से एक तरल बूंद उसके मूत्रद्वार पर आ गयी मैंने उसकी तरफ देखा तो उसका चेहरा गंभीर लग रहा था और आंखों में वासना की आग थी
मैंने उस बूंद को अपनी साड़ी के पल्लू से पौंछा और अपनी जुबान को उसके सुपाड़े पर गोल गोल घुमा दी वो अपना सम्पूर्ण बदन ऐंठते हुये सिसकार उठा मैंने उसकी तरफ देख कर दोबारा जुबान उसके सुपाड़े पर फिराई उसका चेहरा देखने लायक था मानो ऐसा सुख पहली बार भोग रहा हो
इसके बाद फिर से मैंने जुबान घुमा घुमा उसके सुपाड़े को थूक लगाते हुये गीला कर दिया अब मैं उसके लंड को अपने मुंह में भरने वाली थी कि सुरेश का फोन बजने लगा मैं रुक गयी
सुरेश ने बोला- रुको मत फोन बजने दो
मैं फिर से हल्के हल्के से लंड के सुपाड़े को थूक लगाती रही फोन का बजना बंद हुआ पर अगले ही पल फिर बजना शुरू हो गया
सुरेश बोला- शायद बेटी का फोन हो उसे कुछ काम आ गया हो
मैं रुक गयी और बिस्तर पर बैठ गयी उसने पैंट की जेब से फोन निकाला तो देखा कि सरस्वती फोन कर रही थी मैंने सोचा कि ये इतनी रात क्यों फोन कर रही पर जब तक सुरेश फोन उठता फोन कट गया मैंने संदेह भरी नज़रों से सुरेश को देखा
उसने कहा- पता नहीं क्यों फोन कर रही थी
इसके बाद मेरा फोन बजने लगा मैंने देखा तो सरस्वती थी तब मेरी थोड़ी शंका दूर हुयी
मैंने फोन उठाया तो उधर से आवाज आयी- डिस्टर्ब हो गयी या फुरसत हो गयी?
मैंने जवाब दिया- साली कुत्ती कमीनी कहीं की इतनी रात क्यों फोन किया?
सरस्वती- अरे तूने बताया था ना कि आज सुरेश आने वाला है तेरे घर इसलिये सोचा कि पूछ लूं क्या चल रहा है आखिर हम सब पुराने दोस्त जो हैं
मैं बोली- नहीं आया है
सरस्वती- झूठ मत बोल कुछ देर पहले ही बात हुयी है और अब कह रही कि नहीं आया
मैं- हां आया था खाना खा कर चला गया
सरस्वती- तो कुछ किया नहीं ऐसे ही चला गया वो?
मैं- हां कुछ नहीं हुआ खाना खा कर चला गया
सरस्वती- अरे इतना अच्छा मौका था पति भी घर पर नहीं था मजे कर लेना था जीजा तो तेरी इच्छा पूरी कर पाता नहीं
मैं- तो तुझे क्यों चिंता हो रही इतना जैसा भी है मेरा पति है तेरा पति तो खुश रखता है ना तुझे
सरस्वती- हां इस बुढ़ापे में भी मेरी जान निकाल देता है
मैं- तो फिर इधर उधर क्यों मुंह मार रही है
सरस्वती- अरे तो क्या बुराई है मजे करने का मौका था थोड़ा स्वाद बदल लिया और क्या वैसे भी ये मर्द क्या बाहर मुंह नहीं मारते? ये करें तो सब चलता है हम औरतें करें तो पाप
मैं- हां सही किया और सही कह भी रही हो
सरस्वती- सच बता ना कुछ हुआ या नहीं सुरेश के साथ?
तभी सुरेश बोल पड़ा- अरे सरस्वती रखो यार फोन कल बात कर लेना
सुरेश की बात समझ कर मैंने फोन स्पीकर पर रख दिया
उधर से सरस्वती बोली- ओहो लगता है डिस्टर्ब हो गये सुरेश बाबू? क्या चल रहा था?
सुरेश- वही जो तुम नहीं दे रही थी
सरस्वती- क्या नहीं दिया दो बार तो चोदने दिया वो भी इतना रिस्क उठा कर पकड़े जाते तो दोनों को पिट पिट कर मार ही देते गांव वाले और क्या देती?
सुरेश- चोपा नहीं दिया था ना तूने
सरस्वती- इतना समय था भी कि चोपा देती और लेती?
चोपा का यहां मतलब था मुखमैथुन यानि लंड और चूत को मुंह से सुख प्रदान करना सरस्वती ने बहुत देर तक बात कर हमें परेशान किया और बार बार वीडियो कॉल करने की जिद करने लगी
हमने वीडियो कॉल किया मैंने बहुत सालों के बाद सरस्वती को देखा था अब वो काफी बूढ़ी दिखने लगी थी
मैं- कहां है तू और क्या अभी अकेली है?
सरस्वती- मायके में हूं भईया भाभी अपने ससुराल गये हैं इसलिये आज अकेली हूं
मैं- साली कुतिया तेरा बुढ़ापा आ गया मगर बदन की गर्मी कम नहीं हुयी कमीनी
सरस्वती- तो तू कौन सी अठारह साल की कुंवारी है अब भी तो चुदने को बैठी है
मैं- तो क्या मौका मिलेगा तो क्यों ना करूं
सरस्वती- सुरेश साले तुमको हम दोनों को बढ़िया सा गिफ्ट देना होगा हमने तुम्हें पत्नी की कमी महसूस नहीं होने दी
सुरेश- अरे यार जो मर्ज़ी ले लेना मना किया क्या कभी तुम्हारी पसंद की साड़ी दिलवाई थी ना तुम्हें पिछली बार बस एक बार ऐसा जुगाड़ लगाओ कि तुम मैं और सारिका साथ रात भर मजे से चुदाई कर सकें
सरस्वती- ही ही ही हम दोनों को एक साथ तेरी हालत पतली हो जायेगी राजा
सुरेश- अच्छा भूल गयी पिछली बार कैसे माई माई बस करो छोड़ दो चिल्ला चिल्ला के रो रही थी
सरस्वती- वो तो मैं अकेली थी और आधे घंटे से टांगें फैलाए हुयी थी इसलिये वरना अगर फुरसत से मिलते तो तुम रो देते
सुरेश- तो फिर निकालो समय फिर देखते हैं किसमें कितना दम है फिलहाल तू सो जा हमारा समय मत बर्बाद कर कल इसका पति आ जायेगा
सरस्वती- अरे तुम लोग करो ना मैं मना थोड़े कर रही बस फोन कहीं ऐसी जगह रख दो कि मैं तुम दोनों को देखती रहूं
इस पर बात पर रजामन्दी हो गयी और हम दोनों से उसे देखने दिया सुरेश अपने हाथ में फोन पकड़ बिस्तर पर लेट गया और मैं उसके लंड को चूसने लगी ये सब सरस्वती फोन पर देखने लगी
वो बीच बीच में अपनी प्रतिक्रिया के साथ साथ सुझाव भी दे रही थी कि ऐसे चूसो ऐसे हिलाते हुये चूसो वगैरह वगैरह बरहराल मैं सुरेश के लंड को खड़ा करने में लग गयी थी और कुछ ही पलों में वो सख्त होकर एकदम कड़क हो चुका था
थोड़ी देर और चूसने के बाद सुरेश बोला- बस हो गया तुम तो ऐसे चूस रही हो कि अभी ही मुझे झाड़ दोगी
उसने मेरी तारीफ की कि इस तरह का मुख से सुख उसे किसी ने नहीं दिया
सुरेश बोला- सरस्वती अब हम चुदाई करने जा रहे हैं और देखना हमें देख कर ही तेरा पानी खुद निकल जायेगा
सरस्वती- तुम तो बहुत मतलबी हो सुरेश खुद चोपा ले लिया और सारिका को नहीं दिया
सुरेश- मुझे नहीं आता ठीक से बहुत कम बार किया है और बीवी के साथ ही किया सो वो ये सब पसंद नहीं करती थी तुमने भी तो नहीं सिखाया
सरस्वती- अरे तो उस समय वैसा मौका नहीं था और आज तो फुरसत में हो सीख लो अगर सारिका देना जानती है तो सिखा भी देगी अगर तुमको मेरी बुर दोबारा चोदना है तो सीख ही लो क्योंकि तुझे मेरी बुर चोदने से पहले चाटनी पड़ेगी
सुरेश- हां बे चाटूंगा न
इतना कह कर सुरेश ने मुझे लेट कर साड़ी उठाने को कहा मैं सब जानती थी कि आगे क्या होने वाला है इसलिये साड़ी पेटीकोट ब्लाउज निकाल कर लेट गयी उसने मुझे फोन थमा दिया और कहा कि मैं सरस्वती को दिखाऊं कि कैसे वो मेरी चूत चाट रहा है
उसके कहने के अनुसार मैंने फोन उसी दिशा में रख दिया सुरेश ने मेरे बदन पर पहना हुआ आखिरी वस्त्र का टुकड़ा भी निकाल दिया उसने मेरी पैंटी उतार कर मुझे पूरी नंगी कर दिया फिर मेरी टांगें फैलाई और झुक कर मेरी चूत के इर्द गिर्द चूमने लगा
मैं सिहर सी गयी मेरे हाथ में फोन संभाल नहीं रहा था उसके चुम्बन से मेरे पूरे बदन में एक गुदगुदी सी होने लगी थी धीरे धीरे वो चूमता हुआ मेरी चूत के बालों को अलग करता हुआ वो लगातार आगे बढ़ता गया
उसने मेरी पंखुड़ियों को उंगली से फैला दिया फिर उसने अपनी जीभ मेरी चूत की लंबी दरार में ऊपर नीचे फिराई तो मुझसे फोन पकड़ पाना मुश्किल होने लगा
तभी सरस्वती की आवाज आयी- अरे फोन सही से पकड़ ना कुछ साफ नहीं दिख रहा
मैंने बोला- अब तू सो जा कमीनी या सोच सोच कर उंगली कर ले हमें अपना काम करने दे
सरस्वती ने कहा- थोड़ा सा देखने दे ना कितना अच्छा तो जुबान चला रहा सुरेश
मैंने थोड़ी देर किसी तरह उसे दिखाया और फिर उसके ना ना करते हुये भी फोन बंद कर दिया मैं अब गीली हो चुकी थी सुरेश अनुभवी मर्द की तरह मेरी चूत तो नहीं चाट रहा था मगर जैसे भी हो उसने मुझे गीला कर दिया था
बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में
Antarvasna Sex Stories :- काम वासना की आग- 31