आप ने antarvasna sex stories के पिछले भाग में पढ़ा रवि ने धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करना शुरू किया और 20-30 धक्कों के बाद उसकी रफ्तार में तेज़ी दिखने लगी जैसे जैसे धक्कों में तेज़ी आनी शुरू हुयी वैसे वैसे ही रमा की सिसकियां मादक कराहों में बदलनी शुरू हो गयी अब आप antarvasna sex stories में आगे पढ़े
Antarvasna Sex Stories 25
करीब 20 मिनट तक इसी रफ्तार से संभोग के बाद रमा ने उत्तेजना भरे स्वर में कहा- अब मेरी बारी है मैं तुम्हारे लंड की सवारी करूंगी ये सुनते ही रवि ने रमा को तुरंत छोड़ दिया और बिस्तर पर चित्त लेट गया
उसका लंड किसी खंबे की तरह सीधा खड़ा था रमा ने फौरन उसके दोनों तरह टांगें फैला कर लंड पर बैठ गयी रमा की गीली चूत में किसी तरह की सहायता की जरूरत नहीं पड़ी
जैसे जैसे उसने अपनी विशाल गोलाकार चूतड़ नीचे किए वैसे वैसे लंड उसकी चूत में खोता हुआ दिखने लगा अंत में पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में कहीं लुप्त हो गया इसके बाद उसने रवि के सीने पर अपनी हाथ रखे और कमर को रवि के मुंह की दिशा में धकेलने लगी
बहुत ही कामुकता के साथ रमा संभोग करने लगी जिस प्रकार से वो धक्के मार रही थी उससे उसके चूतड़ बहुत लुभावने दिख रहे थे रमा सेक्स में बहुत अनुभवी थी वो जानती थी कि कैसे किसी मर्द को संभोग का सुख देना है और इस वक्त वो वही कर रही थी
वो धक्के तो मार ही रही थी साथ साथ रवि को बीच बीच में चूम भी रही थी ताकि लय बनी रहे कुछ ही देर में दोनों अब पसीने से तर होने लगे थे रमा के बाल भी पसीने में भीग कर उसे और भी कामुक दिखा रहे थे
दोनों अब इस कदर एक दूसरे में खो गये थे कि मानो वो भूल गये हों कि हम सब उन्हें देख रहे थे ऐसा ही तो होता है जब दो बदन एक दूसरे से मिलकर एक दूसरे को अपना लेते हैं और केवल आनंद ही आनंद होता है
दोनों के बीच अब ऐसा लगने लगा था मानो कुश्ती कर रहे हों और उनका केवल चरमसुख पाना ही एक मात्र लक्ष्य था रमा धक्कों के साथ जैसे कराह रही थी उससे ऐसा लग रहा था कि अब वो रो ही पड़ेगी
इधर उन दोनों को देख कर मेरी चूत से भी तरल रिसने लगा था और ऐसा हो भी क्यों ना इतना उत्तेजक और कामुक दॄश्य जो सामने चल रहा था अब आधा घंटा होने चला था
मेरे ख्याल से अब तक रमा अनगिनत बार झड़ चुकी होगी क्योंकि उसकी चूत के इर्द गिर्द झाग सा बनना शुरू हो गया था ऐसा लगातार लंड और चूत के घर्षण से होने लगता है रवि के अण्डकोषों से एक एक बूंद बूंद करके वो झाग बिस्तर पर गिर कर फैल गया था
तभी अचानक रवि ने रमा को धकेल कर नीचे गिरा दिया और उसे घसीटता हुआ पलट दिया फिर उसने रमा को किसी कुतिया की भांति झुका दिया रमा जरा भी विरोध नहीं कर रही थी बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे वो रवि की दासी बन चुकी थी
रवि के इस आक्रामक रूप देख कर मैं समझ गयी कि अब वो चरमसीमा से ज्यादा दूर नहीं है उसने एक ही बार में लंड ज़ोर से अंदर को धकेला और रमा की चूत की गहराई में धंसा दिया
इससे रमा ज़ोर चिहुंक उठी- आहहह ऊईईईई
तभी रवि ने रमा के बाल एक हाथ से समेट कर मुट्ठी में पकड़े और दूसरे हाथ से उसके कंधे को थामा फिर आधा लंड बाहर खींच कर पूरी ताकत से धक्का दे मारा
रमा फिर से कराह उठी- आहहह मर गयीई
मेरे ख्याल से इस बमपिलाट धक्के से रवि का लंड उसकी चूत में अंत तक चला गया होगा फिर अगले ही पल उसी प्रकार का रमा को एक और ज़ोरदार धक्का लगा
रमा फिर चीखी- आहहह ऊईईई
मैं समझ गयी कि रवि अब इसी तरह से संभोग करेगा मैंने गिनती शुरू कर दी रमा दर्द से कराह जरूर रही थी मगर वो गर्म थी इसलिये मेरे अनुसार उसे ये दर्द भी मीठा लग रहा होगा
वो इस आनंद का मजा ले रही थी तभी तो वो ना ही किसी प्रकार विरोध कर रही थी ना ही कोई असहजता दिखा रही थी बल्कि वो तो हर धक्के पर अपने चूतड़ों को यूं हिला डुला रही थी मानो पिछले धक्के का आकलन कर अगले धक्के को सही अंजाम देना चाहती हो
रमा सच में बहुत अनुभवी थी और रवि को बहुत अधिक सुख दे रही थी इसी लिये उसकी हरकत से लग रहा था कि पिछले धक्के में जो कमी रह गयी हो वो अगले धक्के में ना हो
मैंने गिनना शुरू किया तो पाया कि रवि के 1 2 3 से 4 सेकंड के बीच धक्के लग रहे थे सभी धक्के एक ही प्रकार से और एक ही ताकत से लग रहे थे
रवि भी इतना अनुभवी था कि एक ही सीमा तक लंड बाहर खींचता और एक ही ताकत से धक्का मारता मानो जैसे उसे इस तरह की आदत हो
उसकी इस आदत को ठीक उसी तरह से समझा जा सकता है जैसे अगर हम खाना खा रहे हों उसी वक्त बिजली चली जाये और अंधेरा हो जाये तब भी हम अपने हाथ में उतना ही कौर लेते हैं
जितना हमेशा लेते हैं हमें अपने निवाले के लिये अपना मुंह भी नहीं ढूंढना पड़ता मुझे सच में उन्हें संभोग करते देख कर बहुत आनंद आ रहा था मेरी हालत ऐसी हो गयी थी कि मेरे हाथ स्वयं कभी मेरे मम्मों पर या चूत पर चले जा रहे थे
एक दो बार तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मैं अपने आप ही झड़ जाऊंगी पर मैंने स्वयं को रोका और गिनती जारी रखी कोई 20 मिनट तक धक्के रमा को लगते रहे और मेरी गिनती 400 तक पहुंच गयी जैसे ही मेरी गिनती 401 पहुंची रवि के चूतड़ किसी मशीन की भांति आगे पीछे होने लगे
जब 457 तक मेरी गिनती पहुंची तो रवि अपना लंड रमा की चूत में धंसा कर रुक गया और रमा की पीठ पर लेट गया रमा की सिसकियां कराहने चीखने की आवाजों ने पूरे कमरे का माहौल ही बदल दिया था
मैंने गौर किया कि रवि का लंड रमा की चूत में अभी भी फंसा हुआ है और उसके अंडकोष धीरे धीरे सिकुड़ कर छोटे हो गये थे संभव है कि दूसरी बार झड़कर उसके वीर्य की थैली पूरी खाली हो चुकी थी
वही जब रवि रमा के ऊपर से हटा और लंड को बाहर खींचा तो उसका वीर्य रमा की चूत से बह निकला वीर्य ज्यादा तो नहीं था मगर चिपचिपी पानी का तरल बहती हुयी नदी सा रमा के दोनों जांघों से होकर बिस्तर पर गिरने लगा था
ये इस बात का सबूत था कि रमा ने भी कम आनंद नहीं लिया था वो भी एक से अधिक बार झड़ चुकी थी रवि पहले ही बिस्तर पर गिर कर हांफ रहा था उसके बाद रमा भी सीधी हो कर चित्त हुयी और लंबी लंबी सांस लेने लगी दोनों के चेहरे पर संतुष्टि और सुकून की झलक थी
मैं अपने तरीके से कहूं तो ये एक सफल संभोग था जिसमें दो लोगों ने परस्पर एक दूसरे का साथ दिया अपनी शारीरिक पीड़ा और थकान को लक्ष्य के बीच आने नहीं दिया अंत में दोनों ने एक दूसरे का सहयोग देते हुये चरम सीमा पार की
संभोग में केवल पीड़ा स्त्री को नहीं होती बल्कि पुरुष को भी होती है ज्यादातर लोगों को लगता है कि केवल कौमार्य भंग के समय लड़कियों को पीड़ा होती और खून आता है
पर ऐसा बिल्कुल नहीं है जब तक एक स्त्री अपने जीवनकाल में संभोग में सक्रिय रहती है तब तक पीड़ा होती है कभी चूत में नमी ना होने की वजह से या कभी मन ना होने की वजह से तो कभी गलत तरीके या अत्यधिक ताकत के धक्के से
पर एक मर्द चाहे तो अपने अनुभव और तरीके से इस पीड़ा को सुख में बदल सकता है यदि पुरुष ने ऐसा कर लिया तो स्त्री पीड़ा से प्यार करने लगेगी और पीड़ा सहते हुये भी अपने पुरुष साथी को चरम सुख प्रदान करेगी
वहीं मर्दो को भी लंबे समय के घर्षण से लंड में पीड़ा होती है क्योंकि पुरुष साथी ही संभोग के दौरान धक्कों की जिम्मेदारी लेता है इसलिये स्त्री को समय समय पर आसन बदल कर धक्कों की जिम्मेदारी लेते रहनी चाहिए ताकि संभोग का आनंद बना रहे और पुरुष को थोड़ा सुस्ताने का समय देते रहना चाहिए
ऐसी ही समझदारी से संभोग को सफल बनाया जा सकता है जैसा कि रमा और रवि ने दिखाया अगर इस दौरान कोई एक साथी स्वार्थी बन गया तो फिर इस मिलन में आनंद खो जायेगा और केवल औपचारिकता ही रह जायेगी
रमा और रवि ने भले कहानी के अनुरूप काम नहीं किया पर एक कामुक दृश्य सबको जरूर दिखाया
अब राजशेखर निर्मला और मैं बच गये थे देखा जाये तो हम तीनों ही उत्तेजित लग रहे थे रमा और रवि अब तक सुस्ता कर तरोताजा दिख रहे थे
फिर रमा ने कहा- चलो अब जिनकी बारी है वो बिस्तर पर आ जाएं
सबसे पहले निर्मला और राजशेखर बिस्तर पर गये और जैसा कि प्रतिदिन की एक तरह की कामक्रीड़ा से ऊब चुके लोग केवल औपचारिक रूप से संभोग करते हैं वैसा दर्शाने लगे
जहां राजशेखर को बदलाव की इच्छा थी वहीं निर्मला संतुष्टि की अपेक्षा रखती थी इसी वजह से दोनों का यौनजीवन बहुत उबाऊ हो चुका था इसी संदर्भ में आखिरकार दोनों एक नतीजे पर पहुंच गये थे
पहले तो दोनों ने ऐसा दिखाया जैसे सोने से पहले कोई काम था वो कर लिया हो राजशेखर अपने लंड को हिलाते हुये निर्मला से अपना लंड चूसने को कहने लगा पर निर्मला ने मना कर दिया
फिर जैसे तैसे उसे लिटा कर राजशेखर निर्मला के ऊपर चढ़ कर संभोग शुरू करने को हो गया राजशेखर का लंड अब तक की काम क्रीड़ा देखकर पहले से ही खड़ा था इसलिये वो सीधे धक्के लगाने लगा
निर्मला- आजकल मेरा मन नहीं होता आप जबरदस्ती मत करिए
राजशेखर- मेरा तो मन करता है पर तुम्हारे अलावा कोई विकल्प भी नहीं है
निर्मला- आप तो पहले जैसा अब कर भी नहीं पाते इसी वजह से मेरा भी मन नहीं होता
राजशेखर- तो तुम क्या कोई कुंवारी हो जो पहले जैसा मजा देती हो
कहानी के अनुसार उन दोनों में लड़ाई होने लगी राजशेखर उसे धमकी देने लगा कि मैं तुमको छोड़ दूंगा निर्मला का किरदार एक ऐसी महिला का था जो उम्रदराज थी वो इस धमकी से डर गयी उन्होंने झूठ मूठ का जल्दी झड़ने का नाटक किया
इसके बाद राजशेखर अपने से मतलब रखता हुआ सोने को हो गया उस वक्त निर्मला उससे बात करने लगी कि कैसे इस तरह के जीवन को सुखी बनाया जाये इस पर राजशेखर ने सुझाव दिया कि हम कुछ नया करें तभी कोई रास्ता निकल सकता है
निर्मला ने उसकी तरफ सवालिया नजरों से देखा तब राजशेखर ने एक उपाय बताया कि क्यों ना हम दोनों के साथ कोई तीसरा व्यक्ति भी आ जाये जो इस उबाऊ यौनजीवन को रोमांटिक बना दे राजशेखर ने उसे तीसरे इंसान के रूप में स्त्री और मर्द के दोनों विकल्प दिए जहां तीन लोग साथ में संभोग करेंगे
जब निर्मला राजी हो गयी तो राजशेखर ने उसको फुसलाना शुरू किया उसकी नजर अपनी समधन यानि मुझ पर थी इसलिये उसने निर्मला को मुझे अपने इस खेल में शामिल करने को कहा
निर्मला तो इस किरदार में अपनी पति की दासी थी उसे मानना पड़ा फिर उसने मुझे राजी करके संभोग के लिये राजी कर लिया क्योंकि मैं भी एक औरत हूं और मेरी भी काम इच्छाएं थीं
वो मुझे अपने साथ अपने पति के बिस्तर पर ले गयी और फिर हम तीनों का खेल शुरू हो गया पहले थोड़ा सा संवाद होता है फिर कामक्रीड़ा का आरंभ हो जाती है
निर्मला- देखो सारिका तुम भी अकेली हो और हम भी ऊब चुके हैं तो क्यों ना तुम इस कमी को दूर करो और हम इसे रोमांटिक बना लें
राजशेखर- हां सारिका और ये बात सिर्फ हम तीनों में रहेगी किसी को कुछ पता नहीं चलेगा
मैं- क्या इस तरह का रिश्ता सही है हम आपस में संबंधी हैं
राजशेखर- रिश्ता हमारा सही है हमें तो केवल अपने बचे हुये जीवन को मजे से जीना है और जब तक किसी को पता नहीं चलता ये गलत कैसे हो सकता है मैं और निर्मला तो राजी हैं और तुमसे जबरदस्ती भी नहीं कर रहे हैं
निर्मला- मान भी जाओ सारिका तुम भी तो कई सालों से सूखी पड़ी हो राजशेखर तुम्हें चोदकर तृप्त कर देगा तुम याद रखोगी कि असली मर्द कैसा होता है
ये कहते हुये निर्मला ने राजशेखर की पैंट उतार दी और उसके लंड को पकड़ हिलाते हुये बोली- देखो कितना तगड़ा मोटा और लंबा है इसका लंड तुम्हारी चूत में घुसाते ही तुम पानी छोड़ने लगोगी
इतना कहने के बाद निर्मला ने उसके लंड को मुंह में भर चूसना शुरू कर दिया और कुछ देर चूसने के बाद दोबारा बोली- तुम भी थोड़ा चूस कर देखो सारिका मजा आयेगा मैं शर्माने का नाटक करने लगी
तो निर्मला ने कहा- लगता है सबसे पहले तुम्हें ही तैयार करना पड़ेगा सारिका
इतना कहकर उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए और मुझे पूरा नंगा कर दिया फिर मुझे बिस्तर पर लेट जाने को कहा मैं बिस्तर पर पीठ के बल सीधी होकर लेट गयी निर्मला ने अपने भी कपड़े उतार दिए और वो खुद भी पूरी नंगी हो गयी उसने राजशेखर को भी नंगा कर दिया
फिर वो मेरे ऊपर आकर बोली- सबसे पहले तुम्हारा मूड बनना जरूरी है तभी तुम्हें मजा आयेगा ये कहकर वो मेरे होंठों को चूमने लगी और मम्मों को सहलाने लगी
ये बात मुझे अचंभित करने वाली लगी क्योंकि मुझे नहीं पता था कि निर्मला स्त्रियों के साथ भी सक्रिय रूप से कामक्रीड़ा में माहिर थी उसके चूमने और सहलाने के अंदाज़ से मुझे पक्का हो चला था कि ये समलैंगिक भी है
कुछ देर मेरे बदन से खेलने के बाद निर्मला ने मेरी जांघें टटोलते हुये उन्हें फैला दिया और चूत पर हाथ फेरते हुये बोली राजशेखर देखो कितनी प्यारी चूत है सारिका की बहुत प्यासी भी दिख रही है इसे तैयार करना तुम्हारी जिम्मेदारी है और प्यार से इसे चोदना भी
इस खेल में मैंने सोचा नहीं था कि निर्मला इतनी अभद्रता दिखाएगी पर अब खेल शुरू हो चुका था तो सब सही था
निर्मला मेरी कमर के पास बैठ गयी और मेरी जांघें फैला कर दोनों हाथों से मेरी चूत को फैलाते हुये चूमा और बोली कितनी मादक खुश्बू है तुम्हारी चूत की और स्वाद भी बहुत मजेदार है राजशेखर जरा चाट कर तो देखो
निर्मला की बात सुन राजशेखर मेरे सामने आया और झुक कर मेरी चूत पर अपनी जुबान फिरा कर बोला सच में बहुत बढ़िया स्वाद है
इस पर निर्मला बोली- चलो अब देर मत करो इसे जल्दी से तैयार करो
राजशेखर ने मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी मैं तो पहले से ही काफी उत्तेजित थी और अब तो लगने लगा कि मैं पानी छोड़ दूंगी मैं उत्तेजना में छटपटाने सी होने लगी और कभी निर्मला के मम्में तो कभी उसके चूतड़ों को दबाने लगी मुझे ऐसा करते देख निर्मला मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठों को चूमने लगी
बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में
Antarvasna Sex Stories :- काम वासना की आग- 26