आप ने antarvasna sex stories के पिछले भाग में पढ़ा पर कांतिलाल तो अभी तक जोश में था उसने कविता को नीचे बिस्तर पर गिरा दिया खुद को करवट लेकर एक किनारे किया और उसकी एक टांग सीधी करके दूसरी को कंधे पर रख ली अब आप antarvasna sex stories में आगे पढ़े
Antarvasna Sex Stories 24
एकदम कैंची की भांति कांतिलाल ने अपनी टांगों को कविता के साथ फंसा लिया फिर एक सुर में धक्के मारना शुरू कर दिया कविता बिल्कुल सुस्त पड़ गयी थी पर धक्कों की मार से वो भी एक सुर में कराहने लगी
लगभग पांच मिनट तक कविता को धक्के लगते रहे फिर कांतिलाल ने कविता की जांघों को दोनों हाथों से पकड़ लिया जो उसके कंधे पर थीं ऐसा करने के बाद कांतिलाल ने दुगुनी ताकत से झटके देना शुरू कर दिए
कोई 15-20 झटके मारता हुआ वो अपना प्रेम रस कविता की चूत में छोड़ने लगा अंतिम बूंद तक उसने हल्के झटकों से अपने चरम सुख की प्राप्ति खत्म कर ली और कविता के ऊपर गिर पड़ा
उन्हें देख हम सब भी उत्तेजित हो गये थे मुझे ऐसा लग रहा था मानो सभी मर्द अपनी अपनी बारी का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे सुहागरात का दृश्य खत्म हो चुका था और कविता कांतिलाल एक दूसरे से अलग होकर सुस्त अवस्था में बिस्तर से उठ सोफे पर आ गये थे
अब बारी थी लड़के के भाई और लड़की की बहन का जिनका शादी के दौरान प्रेम शुरू हुआ था अब जब कि दोनों रिश्तेदार थे तो घर आना जाना लगा रहता है इस वजह से उनको एक दिन अपने प्रेम को एक पड़ाव आगे ले जाने का मौका मिल जाता है
अब कमलनाथ और राजेश्वरी की बारी थी दोनों बिस्तर पर गये और जैसा कि नये जवान लड़का और लड़की में नोक झोंक और छेड़खानी होती है वैसा ही दोनों करने लगे
कमलनाथ ने बात शुरू की और कहा- तुम्हें पता है तुम्हारी दीदी और जीजा जी रात को क्या करते हैं?
राजेश्वरी ने उत्तर दिया- मुझे क्या पता क्या करते हैं
कमलनाथ- क्यों तुम्हारी दीदी तुम्हें नहीं बताती क्या?
राजेश्वरी- नहीं किसी को ये सब बात कोई बताता है क्या?
कमलनाथ- क्या सब बात?
राजेश्वरी- वही जो तुम पूछ रहे हो
कमलनाथ- तुम्हें कैसे पता कि मैं क्या पूछ रहा हूं? इसका मतलब तुम्हें पता है कि रात को उनके बीच क्या होता है
राजेश्वरी शरमाती हुयी बोली- नहीं मुझे नहीं पता
कमलनाथ- तो मैं बताऊं क्या करते है मेरे भइया और तुम्हारी दीदी रात को
राजेश्वरी- क्या करते हैं?
कमलनाथ- मेरे भइया तुम्हारी दीदी को घंटों तक चोदते हैं
राजेश्वरी अनजान बनती हुयी- चोदते हैं मतलब?
कमलनाथ- तुम्हें नहीं पता चोदने का मतलब क्या होता है?
राजेश्वरी- नहीं मुझे नहीं पता चोदना क्या होता है और क्या तुमने उनको देखा है कभी?
कमलनाथ- हां देखा है ना दरवाजे के चाबी वाले छेद से और जब मेरे भईया तुम्हारी दीदी को चोदते हैं तो तुम्हारी दीदी को बहुत मजा आता है वो बोलती हैं कि और ज़ोर से चोदो
राजेश्वरी- अच्छा तुम ये सब घर में करते हो?
कमलनाथ- तुम्हें सब पता है सिर्फ भोली बनती हो सच बताओ चोदने का मतलब पता है या नहीं?
राजेश्वरी- नहीं पता
कमलनाथ- अच्छा नहीं पता तो मैं ही बताता हूं तुम्हें कि चोदने का मतलब क्या होता है सुनो जब कोई लड़का अपना लंड लड़की की चूत में डालके अंदर बाहर करता है
राजेश्वरी- छी कितने गंदे हो तुम
कमलनाथ- अरे इसमें गंदा क्या है ये तो मजे की चीज़ है चलो आज तुम्हें बताता हूं कितना मजा आता है
राजेश्वरी- क्या सच में बहुत मजा आता है
कमलनाथ- हां यार बहुत मजा आता है तुम्हारी दीदी तो मेरे भईया का लंड मजे से लेती हैं
राजेश्वरी- नहीं मुझे नहीं करना वो शादीशुदा लोग करते हैं
कमलनाथ- मैं भी तो तुमसे ही शादी करूंगा ना
राजेश्वरी- पर ये शादी के बाद होता है
कमलनाथ- शादी के बाद करो या पहले होना तो एक ही चीज़ है
इस तरह कमलनाथ यानि लड़के के भाई ने राजेश्वरी लड़की की बहन को राजी कर लिया ये कुछ देर की उनकी संवाद चला मेरे ख्याल से दोनों ने पहले ही तैयारी कर ली थी
उनका ये नाटक मुझे बहुत अच्छा लगा और काफी हद तक सच भी था क्योंकि ऐसा बहुत जगह होता भी है
मेरी एक सहेली के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था मगर वो संभोग से ना खुद ही अनजान थी और ना उसके जीजा का भाई क्योंकि दोनों ही शादीशुदा थे और बच्चे भी थे अब आज मेरे सामने उन दोनों की रासलीला की कहानी यहां से शुरू होती है
कमलनाथ ने एक एक करके राजेश्वरी के कपड़े उतार दिए और खुद के भी कपड़े उतार दिए दोनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे फिर कमलनाथ ने पहल शुरू की
कमलनाथ- आ जाओ अब तुम्हें बताता हूं कि शादी के बाद लड़का लड़की क्या करते हैं
उसने राजेश्वरी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी टांगें फैला कर बोला ये जो तुम्हारी चूत है ऐसा ही छेद तुम्हारी दीदी का भी है और जैसा मेरा लंड है वैसा ही मेरे भइया का है इसी में भइया अपना लंड डाल कर तुम्हारी दीदी को चोदते हैं
राजेश्वरी- तो क्या अभी तुम भी मुझे चोदोगे?
कमलनाथ- हां और देखना तुम्हें बहुत मजा आयेगा जैसा तुम्हारी दीदी को आता है
इसके बाद कमलनाथ ने कहा कि संभोग़ से पूर्व मर्द और औरत को गर्म रहना चाहिए और इसके लिये उसे राजेश्वरी की चूत चाटनी पड़ेगी फिर राजेश्वरी को कमलनाथ का लंड चूसना पड़ेगा राजेश्वरी तैयार हो गयी
फिर कमलनाथ ने पेट के बल लेट कर राजेश्वरी की चूत चाटना शुरू कर दी कुछ ही पलों में राजेश्वरी गर्म होने लगी थी उसकी कामुक सिसकारियां छूटनी शुरू हो गयी कमलनाथ लगातार उसकी चूत में दो उंगली डाल अंदर बाहर करते हुये उसकी चूत चाटे जा रहा था
राजेश्वरी अब इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि उसने चादर को पकड़ खींचना शुरू कर दिया और अपना पूरा बदन मरोड़ना शुरू कर दिया करीब 10 मिनट तक कमलनाथ ने उसकी चूत का रस पान किया और फिर घुटनों के बल खड़ा हो गया
राजेश्वरी फौरन उठ बैठी और लपक कर कमलनाथ का लंड अपने मुंह में भर चूसने लगी राजेश्वरी इतनी अधिक गर्म हो उठी थी कि वो लंड इस प्रकार चूसने लगी थी कि मानो वो कितनी भूखी है
वो कभी कमलनाथ के चूतड़ों सहलाती कभी अण्डकोषों को सहलाती दबाती तो कभी जोरों से लंड को मुट्ठी में पकड़ आगे पीछे हिलाती वो सुपाड़े पर अपनी जुबान फिराने में लग गयी
कमलनाथ का लंड भी इस तरह से चूसे जाने की वजह से कठोर हो कर पत्थर सा दिखने लगा था अब तो स्थिति ये थी कि दोनों संभोग के लिये व्याकुल हो चले थे
कमलनाथ ने झट से राजेश्वरी को रोका और उसे पीठ के बल चित्त लिटा दिया
फिर उसकी टांगें चौड़ी करके उसके भीतर जा बैठा एक ही पल में उसने अपने लंड को सीधा पकड़ा और राजेश्वरी की चूत में धकेलना शुरू कर दिया राजेश्वरी की चूत पहले से इतनी गीली थी कि 2-3 बार के धक्के में ही समूचा लंड भीतर पहुंच गया
कमलनाथ ने अपने दोनों हाथों को राजेश्वरी के सिर के अगल बगल रखा और झुक कर धक्का मारना शुरू कर दिया राजेश्वरी ने भी धक्के लगने के साथ ही अपनी टांगें उठा हवा में उठा दिया और कमलनाथ की कमर को पकड़ कर धक्कों को झेलने लगी
कमलनाथ इतना अधिक उत्तेजित था कि वो शुरूआत से ही गहरे और ताकतवर धक्के लगाने लगा था मैं खुद में ही सोच कर खुश थी कि किसी तरह मेरी जोड़ी कमलनाथ के साथ नहीं बनी वरना इतनी ज़ोर से वो धक्के मार रहा था मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता
राजेश्वरी का पता नहीं वो कैसे बर्दाश्त कर ले रही थी मगर उसकी दर्द भरी कराह से पता चल रहा था कि धक्कों में बहुत ताकत थी
जैसे जैसे धक्के बढ़ते गये वैसे वैसे कमलनाथ उत्तेजना में और अधिक खूंखार दिखने लगा वहीं दूसरी तरफ राजेश्वरी लंबे समय तक टांगें फैलाने की वजह से असहज दिखने लगी थी हालांकि उसकी भी चरम सीमा की लालसा खत्म नहीं हुयी थी
मगर इस असहजता की वजह से वो लय उसमें नहीं दिख रही थी जो शुरूआत में दिख रही थी राजेश्वरी ने कमलनाथ से आसन बदलने को कहा और उसे अपने ऊपर से हटने को कहा
कमलनाथ जैसे जानता था कि अब क्या होने वाला है इसलिये बिना किसी बात के वो पीठ के बल चित लेट गया कमलनाथ का लंड गवाही दे रहा था कि राजेश्वरी की चूत कितनी गीली थी
राजेश्वरी को भी पता था कि उसका अब क्या काम था वो कमलनाथ की कमर के पास दोनों जांघें फैला कर पीछे की तरफ से बैठ गयी मतलब राजेश्वरी की पीठ का हिस्सा कमलनाथ की तरफ था और चेहरे का हिस्सा पैरों की तरफ था
इस तरह से हम सब साफ साफ राजेश्वरी की चूत में लंड घुसता निकलता देख सकते थे राजेश्वरी ने अपने चूतड़ों उछालने शुरू किए और हमें उसकी चूत में लंड घुसता निकलता दिखने लगा
लंड घपाघप अंदर बाहर हो रहा था और दोनों आनंद के सागर में गोते लगाने लगे थे इस दौरान राजेश्वरी के मुंह से हांफने और कराहने की आवाजें लगातार निकलती रहीं जिससे ये अंदाज लग रहा था कि उसे कितना आनंद आ रहा
इधर बाकी हम सब भी इतने उत्तेजित हो गये थे कि सबके चेहरे पर पसीना आने लगा था तभी रमा को रवि ने कहा- अब यार बर्दाश्त नहीं हो रहा
उसने रमा का हाथ पकड़ उसे बिस्तर के बगल नीचे जमीन पर बिठा दिया और अपनी पैंट उतार रमा के मुंह में अपना लंड डाल दिया
रमा और रवि आम पति पत्नी की भूमिका में थे पर उनके लिये कहानी ये थी कि लड़की की मां यानि मैं जो एक विधवा रहती है उसे भी काम की इच्छा कभी कभी होती थी इसी संदर्भ में रमा जो कि देवरानी थी मैं उससे अपनी व्यथा कहती हूं
इस पर वो सुझाव देती है कि उसके पति यानि जो रिश्ते से मेरे देवर की भूमिका में था उसके साथ संभोग करके अपनी कामेच्छा की पूर्ति कर ले
ऐसा इसलिये था ताकि घर की बात घर में रहे और देवरानी को भी रोज रोज की संभोग क्रिया से थोड़ा आराम मिल सके दूसरी तरफ लड़की के सास ससुर यानि निर्मला और राजशेखर अपनी रोज रोज की संभोग क्रिया से ऊब चुके थे और वो कुछ नया करना चाहते थे
राजशेखर जो कि किरदार में मेरा संबंधी होता था उसकी नज़र मुझ पर थी क्योंकि मैं अकेली महिला थी दूसरी बात ये कि निर्मला राजशेखर का संभोग में परस्पर साथ नहीं दे पाती थी
इसी वजह से निर्मला इस बात पर राजी हो गयी कि मुझे राजशेखर के साथ संभोग के लिये राजी कर ले ताकि अपनी व्यवाहिक जीवन बचा सके पर जिस तरह की कहानी हमने बनाई थी वैसा रमा और रवि से नहीं हो पाया बल्कि रवि की उत्सुकता की वजह से दोनों आपस में ही शुरू हो गये
ऊपर बिस्तर पर कमलनाथ राजेश्वरी को रौंद रहा था और नीचे रमा और रवि अपनी वासना का खेल शुरू कर रहे थे 10 मिनट के बाद कमलनाथ के लिये भी धक्के लगाना मुश्किल होने लगा था वो रह रह कर राजेश्वरी की जांघों को पकड़ ले रहा था
इस दौरान आधे मिनट तक वो थर-थराने लगती शायद वो झड़ने के क्रम में खुद पर संतुलन ना रख पाती होगी पर करीब 4-5 बार ऐसा हुआ था जब उससे धक्का लगाना असंभव सा होने लगा तो वो ऊपर से लुढ़क कर बिस्तर पर गिर गयी
कमलनाथ ने भी बहुत फुर्ती दिखाई और फौरन राजेश्वरी की टांगें फैला कर उसके बीच में आ गया कमलनाथ ने अपना लंड एक झटके में प्रवेश करा दिया और एक लय में धक्का मारना शुरू कर दिया
राजेश्वरी धक्कों के शुरू होते ही एक सुर में बकरी की भांति मिमियाने और उम्म्ह अहह हाय याह सिसकने लगी थपथप की आवाजों से पूरा कमरा गूंजने लगा और करीब 10 मिनट तक ये चला पर कुछ ही पलों में कमलनाथ की भी सांसें जवाब देने लगी थी
उसके सिर पर चरमसीमा तक पहुंचने की लालसा उसे ना ढीला होने दे रही थी ना कमज़ोर वो पूरी ताकत से राजेश्वरी को पकड़ उसके ऊपर लेट कमर उचकाते हुये संभोग किए जा रहा था
इतनी मेहनत के बाद अंततः वो समय आ ही गया आखिरकार कमलनाथ ज़ोर से गुर्रा उठा और एक ज़ोरदार झटके में अपना सम्पूर्ण लंड राजेश्वरी की चूत में अंत तक धंसा कर रुक रुक झटके खाने लगा
उसका पूरा बदन थरथराने लगा और राजेश्वरी भी उस सुखमयी दर्द से कराहने लगी उसने अपनी टांगें कमलनाथ के चूतड़ों के इर्द गिर्द लपेट लीं और उसे खुद में समा लेने की चेष्टा करने लगी
करीब एक मिनट की इस स्खलन प्रक्रिया के बाद दोनों ही ढीले होकर एक दूसरे से लिपटे रहे साँसों को थामते हुये धीरे धीरे जब वो अलग हुये तो लगा कि दोनों में किसी प्रकार की शक्ति बाकी नहीं रही
दूसरी तरफ रमा और रवि अपना खेल शुरू कर चुके थे और दोनों ही अब नंगे हो चुके थे काफी देर तक लंड चूसने के बाद रवि ने रमा को बाजू पकड़ कर उठाया और बिस्तर पर एक किनारे पीठ के बल लिटा दिया रमा की कमर के नीचे का हिस्सा बिस्तर से बाहर था
रवि ने उसकी टांगें पकड़ कर अपने कंधों पर रख लीं और घुटनों पर आकर अपना मुंह रमा की चूत से लगा दिया रवि ने जैसे ही अपनी जुबान रमा की चूत की दरार में फिराई रमा अपना समूचा बदन मरोड़ते हुये सिसक उठी
रवि का लंड इस तेज़ी से फनफना रहा था मानो वो अपना लक्ष्य पाने को अत्यंत आतुर हो अभी रवि को रमा की चूत को प्यार करते हुये थोड़ी ही देर हुयी थी कि रमा काफी उत्तेजित हो उठी
रमा ने रवि का सिर दोनों हाथों से पकड़ लिया और टांगें हवा में लहराने लगी वो बार बार सिसकती हुयी सिर उठा कर अपनी चूत का स्वाद लेते हुये उसे देखने लगी थोड़ी देर और इस मुख मैथुन के बाद रमा रवि को अपनी ओर खींचने लगी
ये इशारा था कि रमा अब पूरी तरह गर्म हो गयी है और वो संभोग के लिये पूरी तैयार हो चुकी है रवि ने भी समय को पहचाना और उठकर खड़ा हो गया उसने रमा की टांगों को चूमते हुये कंधों पर रखा और हाथ में थूक लगा कर अपने लंड के सुपाड़े में मल लिया
फिर हाथ से लंड को पकड़ कर उसने दिशा दिखाते हुये रमा की चूत की छेद में लंड को डालने लगा लंड का सुपाड़ा जैसे ही रमा की चूत में घुसा रमा ने ऐसा दिखाया जैसे उसे ना जाने कितना सुकून मिल गया हो
अब रवि ने अपने एक एक हाथों से उसकी दोनों जांघों को पकड़ा और अपनी कमर से दबाब देते हुये पूरा का पूरा लंड रमा की चूत में उतार दिया रमा उस सुकून भरे पल को मजे से झेलती हुयी अपनी आंखें बंद कर चुपचाप आने वाले सुखमयी पलों की कल्पना में खो गयी
रवि ने धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करना शुरू किया और 20-30 धक्कों के बाद उसकी रफ्तार में तेज़ी दिखने लगी जैसे जैसे धक्कों में तेज़ी आनी शुरू हुयी वैसे वैसे ही रमा की सिसकियां मादक कराहों में बदलनी शुरू हो गयी
बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में
Antarvasna Sex Stories :- काम वासना की आग- 25