आप ने antarvasna sex stories के पिछले भाग में पढ़ा मुझे डर लगने लगा कि कमरे की साफ सफाई के लिए जो भी आएगा वो समझ जाएगा तभी रमा कमरे में आ गयी और मुझे अपने गले से लगाकर बोली क्या एक्टिंग की तुमने कल आज सब चकित हो जाएंगे अब आप antarvasna sex stories में आगे पढ़े
Antarvasna Sex Stories 19
फिर उसने मुझे पूछा- रात कैसी कटी तुम्हारी?
मैंने उत्तर दिया- ठीक रही
रमा- कांति ने तुम्हें सोने दिया या नहीं?
मैं- हां सोने तो दिया पर उससे पहले मुझे निचोड़ कर रख दिया
रमा हंसती हुई कहने लगी- अरे यही तो असली मजा है जब तक थक के कोई चूर ना हो जाए सेक्स का क्या मजा वैसे कांति तुम्हें बहुत पसंद करता है इसलिए शायद कल ज्यादा ही आक्रामक हो गया होगा
मैं- जो भी हो तुम्हारा पति बहुत ताकतवर है
रमा- हां जानती हूं और मुझे बहुत पसंद है
जब मैं उसकी मर्दानगी देखती हूं तो मुझे घमंड होने लगता है कल मेरी इच्छा थी तुम दोनों को देखने की पर किस्मत में नहीं था पर आज या कल में शायद मुझे देखने का मौका मिले मुझे अपने पति की मर्दानगी पर गर्व होता है
मैं कुछ नहीं बोली
वो आगे बोली- मैं भी नहा धो लूं कल रात में हमारा भी दो राउंड चला
वो नहाने स्नानघर चली गयी और मैं शृंगार करने लगी जब वो बाहर आई तो केवल एक तौलिए में थी और बहुत मादक दिख रही थी हो भी क्यों ना इतना संजो के रखा जो था हफ्ते में 3 बार पार्लर भी तो जाती थी
ऊपर से खान पान भी अच्छा और कसरत भी करती थी कमरे में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था सो वो आईने के सामने आते ही अपने बाल सुखाने लगी और फिर अलमारी से कपड़े निकाल कर आईने के सामने तौलिया निकाल कर नंगी हो गयी
मैं भी एक औरत हूँ और कुछ भी नया नहीं था सो उसे शायद कोई असहज नहीं लगा वो नंगी हो गयी मैंने उसे देखा रमा में पहले के मुकाबले थोड़ा बदलाव आया था अब उसके मम्में पहले की तरह सुडौल नहीं थे बल्कि झूल रहे थे
उसके चूचुक भी काफी लंबे दिख रहे थे चूतड़ पहले से बड़े बड़े पर पेट सपाट था क्योंकि व्यायाम करती थी उम्र की वजह से ऐसा था पर अभी भी वो बहुत कामुक और आकर्षक थी फिर दिल से तो अभी भी वो जवान ही थी
उसने अपना शृंगार करना शुरू किया महंगा लोशन और मेकअप लगाया और जीन्स और शर्ट पहन तैयार हो गयी जीन्स और शर्ट में वो किसी 30 साल की महिला के जैसे दिख रही थी
मैं अभी भी गाउन में थी और उलझन में थी कि क्या पहनूं पर जैसे ही रमा तैयार हो गयी उसने मेरी उलझन दूर करने में सहायता तो की पर वो सब उसकी मर्जी से था ना कि मेरी मर्ज़ी से
उसने पहले तो मुझे एक टी-शर्ट और स्कर्ट पहनने को कहा पर वो मुझे जंच नहीं रहे थे तो उसने मुझे एक लेगिंग और टॉप दिया
वो वैसे तो मेरे नाप के ही थे मगर मैंने ऐसे कपड़े कभी नहीं पहने थे सो मुझे बहुत कसाव सा महसूस हो रहा था हालांकि उस परिधान में मैं ज्यादा बुरी भी नहीं लग रही थी पर उम्र के हिसाब से देखा जाए तो सही भी नहीं लग रहे थे
पर शहरों में तो मुझसे भी बूढ़ी औरतें ये सब पहनती हैं बाकी बुराई ये थी कि कपड़ों में मेरे उभार साफ दिख रहे थे मेरे चूतड़ गठीले और काफी बड़े दिख रहे थे और टॉप ऐसा था जिसकी गर्दन बहुत अधिक खुली थी और उसमें से मेरे एक तिहाई मम्में साफ़ दिख रहे थे
मुझे जहां तक पता था कि उस होटल से बाहर नहीं जाना था सो मैंने ज्यादा संकोच नहीं किया पर जब मैंने गौर से अपने पेट को देखा तो सच में बहुत लज्जा सा महसूस हुई कि मेरा पेट इतना बड़ा दिख रहा है और दूसरी के मेरी चूत उस लेगिंग में उभर कर दिख रही थी
इसलिए मैंने रमा से बोला- ये ड्रेस अच्छी नहीं लग रही मुझे अपने तरीके से तैयार होने दो
इस पर वो मुझसे नाराज़ होने लगी तब मैंने उसे समझाया कि जब सबको चौंकाना ही है तो थोड़ी मेरी भी बात मान लो
इस बार वो मान गयी और फिर मैं अपने तरीके से अपनी साड़ी पहन कर घरेलू और संस्कारी महिला की तरह तैयार हो गयी मुझे इस रूप में देख रमा खुद चकित हो गयी
मेरी सहेली रमा बोली- सच में सारिका मैं ही गलत थी आज जब भेद खुलेगा तो सच में लोग चौंक जायेंगे जब हम दोनों तैयार हो गये तो हम बिस्तर के पास आगे की योजना के बारे में बात करने के लिये चले आए
वहां पहुंच जब रमा ने बिस्तर देखा तो चकित होते हुये बहुत जोरों से हंसती हुयी बोली- सारिका ये क्या है रात की कहानी तो ये चादर बता रही है
मुझे थोड़ी शर्मिदगी सी महसूस हुयी
पर रमा ने बोला- लगता है कांति ने तुम्हें पूरी तरह निचोड़ कर रख दिया
मैं यकीन से कह सकती हूं तुम्हें बहुत मजा आया होगा खैर अभी कमरे सफाई के लिये आएंगे हम दोनों नीचे चलते हैं रमा की बात तो सही ही थी कि कांतिलाल ने मुझे निचोड़ कर रख दिया था पर आनंद भी उतना ही आया था
मैं उसके साथ शर्माती हुयी चल पड़ी दोपहर का समय तो हो ही चुका था पर अभी तक किसी का अता पता नहीं था केवल मैं और रमा ही थे हम दोनों एक केबिन वाले स्विमिंग पूल के सामने कमरे में चले गये और खाने का आर्डर दे दिया
वहां का नज़ारा ही अलग था एक पल तो मुझे लगा कि यहां आए सभी लोग हमारी तरह ही मजे करने आए हैं क्योंकि जितने भी मर्द और औरतें पूल के आसपास थे सभी आधे नंगे ही थे औरतें केवल ब्रा और पैंटी में और मर्द केवल जांघिया या हाफ पैंट में थे
पर जब ध्यान दिया तो कुछ लोग परिवार के साथ भी थे तब मुझे धीरे धीरे समझ आया कि ये लोग अच्छे खासे खुले और ऊंचे वर्ग के लोग हैं हमारी तरह रूढ़िवादी सोच के नहीं हैं खैर जो भी हो मुझे यहां अच्छा लग रहा था क्योंकि मैं जैसा जीवन चाहती थी वैसा ही सब दिख रहा था
फर्क ये था कि इस तरह की जीवन शैली हम जैसे सामान्य वर्ग के लोगों के लिये संभव नहीं होती है हम दोनों सहेलियां खाने के साथ अब आगे की योजना पर बात करने लगी
रमा ने बताया कि आज और कल यानि 31 दिसंबर और 1 जनवरी को सब लोग बहुत मजे करने वाले हैं हर कोई अपनी अपनी सोच सामने रखेगा देखा जायेगा कि किसकी तरकीब सबसे बढ़िया है
उसने बताया कि शाम तक बाकी लोगों की बीवियां भी आ जायेंगी और फिर एक अलग कमरे में हमारा नया साल मनाने का बंदोबस्त हो चुका है फिर उसने मुझसे कहा कि मैं अभी कुछ देर कमरे में आराम कर लूं फिर जब वो मुझे बुलाएगी तब बताए हुये कमरे में जाना
हम खाना खाने के बाद इधर उधर टहलने के बाद कमरे में वापस चले गये मैं रात की थकान के वजह से सोफे पे ही बैठे बैठे सो गई रमा ने मुझे परेशान नहीं किया और सोने दिया शाम करीब 6 बजे मेरी नींद खुली तो मैं कमरे में अकेली थी
मुंह हाथ धोकर मैं फिर से उसी साफ सुथरी घरेलू महिला के रूप में आ गई मुझे तो पहले से पता था कि आज की रात क्या होने वाला है सो मैं बस इंतजार में थी करीब 7 बजे मुझे रमा का फ़ोन आया उसने मुझे बताए हुये कमरे में आने को कहा
मैं उस कमरे की तरफ बढ़ने लगी पर पता नहीं क्यों मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा मुझे अंदेशा हो रहा था कि आज कुछ अलग होने को है बाकी ऐसा तो कुछ नहीं था जो कि मैं पहली बार करने जा रही थी
शायद मुझे उन 3 औरतों की फिक्र थी जिनसें मैं पहले कभी नहीं मिली थी पर अब जो होना था सो होना था यही सोच कर मैं कमरे तक पहुंच गई
दरवाजे की घंटी बजाई तो रमा ने दरवाजा खोला और मुझे पकड़ कर भीतर ले जाते हुये सभी से मुखातिब होते हुये ज़ोर से बोली फ्रेंड्स ये है आज का तोहफा मेरी तरफ से ये है मेरी सबसे खास सहेली सारिका उधर मौजूद रवि राजशेखर और कमलनाथ आंख फाड़े देखते रह गये
तभी राजशेखर बोल पड़ा- क्या यही सारिका है तुम्हारी सहेली?
रमा ने हंसते हुये जवाब दिया- जी हां चौंक गये ना मेरी इस तरकीब से सब यही है वो सहेली जिसका आप सब बेसब्री से इंतजार कर रहे थे
रमा ने बाकी के 3 औरतों को संबोधित करते हुये कहा तुम सब ये नहीं जानना चाहती हो कि तुम तीनों के पतियों के चेहरे ऐसे क्यों हो गये?
इस पर एक महिला ने कहा- हां बताओ इन सब के चेहरे देख मैं भी सोच में पड़ गई थी कि ऐसा क्या अनोखा हुआ
हम सबको पता था कि सारिका यहां आने वाली है
तब तक दूसरी महिला ने पूछा- क्या आप सब सारिका को पहले से जानते हो?
तब कांतिलाल ने उत्तर दिया- हां कल रात से तीनों सारिका को अच्छे से पहचान चुके हैं
तभी रवि ने बोला- रमा जब तुम जानती थी तो इतना नाटक क्यों किया?
रमा बोली- अरे यार थोड़ी बहुत मौज मस्ती और क्या मैं सबको चौंकाना चाहती थी
इस पर कमलनाथ ने कहा- वो तो ठीक है रमा पर तुम अपनी सहेली को उस चूतिये नेता के साथ क्यों सोने दिया?
रमा बोली- नहीं करती तो तुम सबको बेवकूफ कैसे बनाती और फिर क्या हुआ कौन सा उस गधे नेता ने कुछ लूट लिया वो तो जिस्म का भूखा था सो चला गया और फिर तुमने भी तो अपनी बीवी के साथ उसे सोने दिया था ना क्या फर्क पड़ता है ऐसे छोटे मोटे लोगों से
हम सब के मन के साथ उसने थोड़े छेड़खानी की हम सब आज भी एक दूसरे के साथ हैं और सबकी भावनाएं समझते हैं सबको सम्मान देते हैं
इस पर तीसरी महिला ने रमा का समर्थन करते हुये बोला हां रमा सही कह रही है हमारे लिये सेक्स इतनी भी बड़ी चीज नहीं सेक्स को तो हम अगले पायदान तक ले जाते हैं जरूरी हम सब का साथ है
एक समान विचार और काम काज से थोड़ा दूर अपने लिये समय निकालना उसके बाद वे सब बीती रात की घटना के बारे में पूछने लगी तब जाकर रमा ने सबको पिछली रात की घटना को बताया उन तीनों मर्दो को बेवकूफ समझ कर सभी महिलाएं हंसने लगीं
इस तरह की जीवन शैली में ढलने की वजह से किसी को अचरज इस बात से बिल्कुल भी नहीं हुआ था ना ही किसी में इस बात से नाराजगी थी कि उन लोगों ने मेरे साथ संभोग किया बल्कि इस रोचक खेल के लाने से रमा की उल्टे तारीफ ही हुयी
मेरी अभिनय की भी तारीफ़ हुयी कि अब तक उनको पता नहीं चलने दिया कि मैं एक सामान्य महिला हूं कोई वेश्या नहीं फिर हमारे एक साथ होने की बहुत देर बहस छिड़ी रही
मुझे एक हद तक उनकी बातें सही लगीं क्योंकि यहां कोई किसी के साथ ज़ोर जबरदस्ती नहीं कर रहा था सबको एक दूसरे की भावनाओं की फिक्र थी संभोग ना केवल शारीरिक संतुष्टि के मार्ग था बल्कि मानसिक तनाव से भी दूर करने का साधन था
मैं तो घरेलू महिला थी केवल घर के काम देखती थी पर वे सभी मर्दो के साथ परस्पर उनके कामों में हाथ बंटाती थीं
काम के बोझ से सच में तनाव पैदा होता ही है सो एक अलग समय निकाल अगर कुछ मौज मस्ती कर ली जाए और किसी को कोई परेशानी ना हो तो क्या गलत है
अब मैं बाकी की 3 महिलाओं का परिचय करवाती हूं जिस तरह रमा ने सबसे मेरा परिचय करवाया था
पहली महिला निर्मला थी जो कमलनाथ की पत्नी थी वो करीब 45-46 की उम्र होगी उसका कद 5 फुट का रहा होगा रंग गोरा और शरीर भारी भरकम लगभग 38 साइज़ के मम्में और कूल्हे अंदाजन 44 के रहे होंगे कुर्ती और पजामे में वो अच्छी दिख रही थी वो एक सभ्य समझदार महिला लग रही थी
वही दूसरी महिला राजेश्वरी राजशेखर की पत्नी थी और वो भी लगभग निर्मला से मिलती जुलती ही थी उसकी उम्र भी उसी के आस पास होगी वो साड़ी पहने हुयी थी और वो भी एक सभ्य महिला की भांति दिख रही थी
तीसरी महिला कविता थी जो हम सब में से सबसे कम उम्र की थी वो करीब 35-36 की थी और वो जीन्स और शर्ट पहने हुये थी उसका बदन भरा भरा था और उस शर्ट में उसके सुडौल मम्में और जीन्स में उसके चूतड़ काफी बड़े दिख रहे थे
वो भी बहुत गोरी थी और हम सबमें से वही एक ज्यादा मॉडर्न दिख रही थी यहां मैं बता दूं कि कविता रवि की दूसरी पत्नी थी और उम्र में रवि से बहुत छोटी थी दोनों ने प्रेम विवाह किया था ये शादी रवि के तलाक होने के बाद हुयी थी
उनका प्रेम प्रसंग पहले से था शादी से पहले कविता कुंवारी थी और रवि शादीशुदा था दोनों एक साथ काम करते थे फिर शादी के बाद खुद का व्यापार शुरू किया अब आगे की कहानी बताती हूं शाम 8 बजे तक हम सब एक दूसरे से अच्छे से परिचित हो चुके थे
वेटर से सभी खाने पीने और जितनी भी जरूरत की चीज़ें चाहिये थीं हमने मंगवा कर रख लीं और उन्हें कहलवा दिया कि हमें अब कोई परेशान करने ना आए हम सब नये साल के स्वागत में अपना समय बिताएंगे
वहां सभी मदिरा पीने वाले थे पर मैंने आज तक कभी मदिरा को चखा भी नहीं था मुझे कविता ने छोटी सी बोतल में कुछ दिया और कहा कि शराब नहीं पी सकती तो कम से कम फ्रूटबियर तो पियो
मैं तो जानती भी नहीं थी कि बियर क्या होती है पर फ्रूट सुनकर समझी के फल का रस होगा मुझे पीने में भी अच्छा लगा जैसे अनानास का रस पी रही हूं हम सब खाते पीते 12 बजने का इंतजार करने लगे
तभी कविता ने कहा- चलो अब सारे मर्द एक तरफ हो जायें और पार्टी के लिये अपने पसंद के कपड़े बदल लें सारे मर्द दूसरे कमरे में चले गये और कविता ने दरवाजा बंद कर दिया
वो हम सभी से कहने लगी- आप सबको मैं जो कपड़े दूंगी वही पहनना होगा आज ये सारे मर्द हमें देख कर पागल हो जायेंगे कविता ने एक बैग निकाला और उसमें से एक ही तरह के 5 जोड़े कपड़े निकाले
उन कपड़ों को देख राजेश्वरी बहुत खुश हुयी और बोली यार मैंने भी यही कपड़े आज के रात पहनने की सोची थी
कविता- तो फिर सोच क्या रही हो फटाफट पहन लो इलास्टिक वाले हैं सबको फिट हो जायेंगे कोई भी लूज़ तो नहीं होगी पक्का पर टाइट हो सकती हैं ही ही ही
राजेश्वरी- टाइट देख कर तो हमारे मर्दो का और भी टाइट हो जायेगा हा हा हा
कविता और राजेश्वरी ने फटाफट कपड़े अपने उतारे और हमारे सामने ब्रा और पैंटी में खड़ी होकर हमें कहने लगीं आप सबको क्या न्यौता भेजना होगा तब पहनोगी जल्दी करो पार्टी करनी है
बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में
Antarvasna Sex Stories :- काम वासना की आग- 20