आप ने antarvasna sex stories के पिछले भाग में पढ़ा उसका सुपाड़ा मेरी चूत के छेद में मुझे महसूस हुआ तो मेरी सांस रुकती सी महसूस हुई इसी वक्त पर उसने अपना लंड का सुपाड़ा हल्के से धकेल कर मेरी चूत में घुसा दिया अब आप antarvasna sex stories में आगे पढ़े
Antarvasna Sex Stories 18
फिर उसने मेरे हाथों को हाथों से पकड़ कर बिस्तर के दोनों तरफ फैला कर दबा दिया वो धीरे धीरे लंड सरकाता हुआ मेरी चूत में घुसाने लगा मेरी चूत पहले से इतनी गीली थी कि मुझे कोई परेशानी नहीं हो रही थी
मगर मुझे अंदेशा हो रहा था कि कुछ दर्दनाक होने वाला है उसका लंड आधा घुस चुका था कि तभी उसने वापस सुपाड़े तक लंड खींच लिया और पूरी ताकत लगा कर उसने ऐसा धक्का मारा कि मैं चीख पड़ी
मैं अपनी टांगें बिस्तर पर पटकने लगी और दर्द से छटपटाने लगी मैं सिर पटकने लगी मुझे इतनी ज़ोर दर्द हुआ कि पेट में ऐसा लगा कि मेरी बच्चेदानी फट गयी
मैं अभी संभल भी नहीं पाई थी कि उसने एक ही सांस में उसी तरह के लगातार तीन धक्के मार कर अपना लंड मेरी चूत के अंतिम छोर तक पेला और मेरे ऊपर रुक गया
मैं दर्द से छटपटाने का प्रयास भी नहीं कर पा रही थी क्योंकि उसने मुझे अपनी पूरी ताकत से पकड़ रखा था मेरी सांस जैसे रुक सी गयी थी और मुंह से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी मैं अपने पैर घुटनों से मोड़ जांघें चिपकाने जैसे करने लगी
वो मुझे तड़पता हुआ देखता रहा और बहुत समय के बाद जब मैंने अपनी आंखें खोलीं तो वो मुझे मुस्कुराते हुये देख रहा था मेरे पेट में नाभि के पास दर्द था पर अब कम हो गया था
मैंने उसे गुस्से में बोला- हटो मेरे ऊपर से आप बहुत बेरहम इंसान हो
पर उसने मेरे हाथों को और ज़ोर से दबाया और धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करता हुआ बोला- दर्द में ही तो मजा है सारिका अभी ये दर्द तुम्हें खुद मजेदार लगने लगेगा
मैं गुस्से में थी और उसे अपने ऊपर से हटाने का प्रयास करते हुये बोली कोई इतनी बेरहमी से चोदता है क्या मैंने क्या मना किया था आपको मैं आपको संभोग तो खुद मर्जी से करने दे रही थी
पर वो मुझे हिलने तक नहीं दे रहा था और बोला- अच्छा माफ कर दो अब आराम से करूंगा क्या करूं तुम हो इतनी सेक्सी कि खुद को रोक पाना मुश्किल था इतना कह कर वो धीरे धीरे मुझे धक्के देते हुये लंड अंदर बाहर करने लगा
पर मैं अभी भी उसे अपने ऊपर से हटाने का प्रयास कर रही थी वो मुझे धक्के मारे जा रहा था और मैं बिना उसे कुछ बोले अपने ऊपर से हटाने का ज़ोर लगा रही थी करीब 5 मिनट तो ऐसे ही हम दोनों में लड़ाई चलती रही
फ़िर उसने मेरे हाथ छोड़ दिए और सिर मेरे सिर के पास रख मुझे कंधों से पकड़ लिया अब तो मैं और भी उसे हटा नहीं सकती थी उसके धक्के अब मेरे मन को कमज़ोर करने लगे थे और जैसे जैसे वो मेरे गले को चूमता हुआ धक्कों की गिनती बढ़ाने लगा मैं भी उसके आनंद में खोने लगी
जैसे जैसे धक्के बढ़ते गये वैसे वैसे मेरी गर्माहट भी बढ़ती गयी और मैं उस मस्ती में उसको अपनी बांहों में जकड़ने लगी कुछ ही पलों मैं उसके लंड से मेरी चूत में हो रही रगड़ से प्यार करने लगी
मैं खुद ही अपनी पूरी जांघें खोल कर उसे भरपूर जगह देने लगी कि वो आराम से मुझे धक्के मारे कांतिलाल अब तेज़ी से सांसें लेने लगा था वो अब थकने जरूर लगा था मगर धक्कों में कोई कमी नहीं आने दे रहा था दूसरी तरफ मेरी भी उत्तेजना में कोई कमी नहीं थी
मैं भी आह आह ओह ओह करती हुई उसका साथ दे रही थी तभी मैं उसके चूतड़ों को अपनी टांगों से लपेट कर और हाथों से उसे पीठ को पकड़ अपनी ओर खींच कर बोल पड़ी कांतिलाल जी आह आह और तेज़ चोदो और तेज़ धक्के मारो रुकना मत
कांतिलाल ने मुझे इस कामुक अवस्था में पाते ही मेरे होंठों से होंठ चिपका लिया टांगें अपनी सीधी कर और हाथों को बिस्तर पर टिका कर मुझे इतने तेज तर्रार धक्के मारे कि एक पल में ही मैं सिसकते कराहते हुये उसे पकड़ कर नीचे से उछलती हुई झड़ने लगी
एक मिनट से कम समय में ही उसने अनगिनत धक्के मारे और मैं झड़ कर ढीली पड़ गयी पर उसके धक्के रुके नहीं मैं हांफ रही थी और उसकी भी सांसें फूलने लगी थी
मैंने बोला- थोड़ी देर रुक जाओ कांतिलाल जी
उसने भी मेरी बात सुनते हुये अपना लंड मेरी चूत के भीतर ही रखा और मेरे ऊपर लेटा रहा
वो बोला- अंत तक मेरा साथ दोगी ना?
मैं बोली- कोशिश करूंगी आपने तो पहले ही मेरी ताकत सारी खत्म कर दी है
उसने बोला- कुछ नहीं होगा बस कोशिश करती रहो अभी काफी देर तक करना है और अभी तो दो दिन और यहां रहना है
मैंने बोला- पता नहीं मैं अभी बिस्तर से उठ पाऊंगी या नहीं दो दिन तो बहुत दूर की बात है आपने तो पहले ही मेरी सारी ऊर्जा चूस ली है मेरी जांघें फैले फैल दर्द होने लगी हैं
तब उसने कहा- कोई बात नहीं इतनी सारी तरकीबें सीखी हैं जीवन में वो कब काम आएंगी
इतना कह कर वो मेरे ऊपर से उठ गया और घुटनों के बल बिस्तर पर बैठ गया उसका लंड बुरी तरह से तनतना रहा था और मेरे चूत के रस में भीग कर झागदार और चिपचिपी दिख रही थी
उसके उठने से मेरी जांघों को बड़ी राहत मिली और मेरी चूत जांघें चूतड़ों को भी राहत सी मिल गयी बिस्तर भी गीला हो गया था
कांतिलाल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उठाया और बोला आओ अब तुम मेरे ऊपर आ जाओ
मैंने बोला- मुझमें इतनी ताकत नहीं बची है
उसने बोला- आराम से धीरे धीरे हिलना और जांघें घुटनों से मोड़ लेना इससे आराम मिलेगा नीचे से मैं भी ज़ोर लगाऊंगा
मैं फिर भी नहीं मान रही थी मगर उसने जबरदस्ती मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया और मेरी टांगें दोनों तरफ फैला कर अपना लंड मेरी चूत में प्रवेश कराते हुये मुझे सीधा होने को बोला
मैं बिल्कुल 90 डिग्री के कोण में उसके ऊपर थी लंड तो उसने घुसा लिया था मगर मुझसे ज़ोर लग ही नहीं रहा था इसलिए उसने खुद नीचे से हल्का हल्का ज़ोर देना शुरू किया और मेरी कमर पकड़ कर अपने हाथ से मुझे हिलाना भी शुरू कर दिया
संभोग करते हुये लगभग एक घंटा होने को था और कांतिलाल उन मर्दो में से था जो अपने अनुसार अपना वीर्य रोक सकते थे संभोग के बीच में अंतराल होने का मतलब था अब कांतिलाल ने इससे पहले जित्तनी देर संभोग किया था
उतनी ही देर संभोग वो बिना झड़े फिर से कर सकता है मैं बिल्कुल उसके विपरीत थी मैं और अधिक जल्दी झड़ने वाली थी यही हुआ धीरे धीरे उसके धक्के बढ़ने लगे और संभोग की क्रिया भी आगे बढ़ने लगी
कुछ पलों के धक्कों में मैं फिर से गर्म होने लगी और मेरी कमर अपने आप चलते हुये लंड पर चूत धकेलनी लगी मैं अपने हाथ बिस्तर पर टिका कर ज़ोर लगाते हुये तेज़ धक्के मारने लगी
कांतिलाल आनंद से सिसकारियां भरने लगा और पूरी ताकत से कभी मेरे मम्में तो कभी चूतड़ों को मसलने लगा मैं उसकी उत्तेजना समझ गयी थी और संभोग की अवधि भी बहुत अधिक हो चुकी थी इसलिये अब कांतिलाल को झड़ना थोड़ा आसान सा लगने लगा था
मर्दो की कमजोरी ये होती है कि वे औरत की उत्तेजना देख कर बेकाबू हो जाते हैं अब मेरे लिए सही मौका था और जिस तरह से उसके लंड की नाड़ियां अभी चल रही थीं उससे मुझे एहसास हो रहा था कि उसका लक्ष्य समीप है
मैं भी अब खुद को ज्यादा देर नहीं रोक सकती थी इसलिए पूरे ज़ोर से धक्के देने लगी ताकि मैं झड़ जाऊं पर एक ही पल में कांतिलाल ने मुझे धक्का देकर अपने ऊपर से गिरा दिया और बहुत तेज़ी में बिस्तर से नीचे उतर गया
अपनी मर्दानी ताकत का प्रयोग करते हुये उसने मुझे भी मेरी टांगें पकड़ खींचा और बिस्तर से नीचे उतार दिया उसने मुझसे कुछ नहीं कहा बल्कि अपनी मनमानी करते हुये मेरी गर्दन पकड़ मुझे बिस्तर पर झुका दिया
मैं उसके ज़ोर के आगे कुछ समझ ही नहीं पाई और कमज़ोर महिला की भांति उसके अनुसार बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी मेरा पेट से लेकर सिर तक का हिस्सा बिस्तर पर था और टांगें जमीन पर टिकी थीं
कांतिलाल ने तेज़ी में मेरी टांगें फैलाईं और तुरंत अपना लंड में चूत में घुसा दिया ये सब इतनी जल्दी में उसने किया कि मेरे लिए ना कुछ समझ पाना आसान था ना खुद को संभाल पाना
इस तरह के जल्दबाजी से मैं इतना तो समझ गयी कि कांतिलाल हद से ज्यादा उत्तेजित था और अब उसके धक्के मेरे लिए बड़ी चुनौती थी
मुझे अंदाज़ा हो चुका था कि वो झड़ने के क्रम में जो धक्के मुझे मारेगा वो असहनीय होगा पर मैं उसके वश में थी और मेरे पास बर्दाश्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था
उसने जैसे ही अपना लंड घुसाया पल भर के भीतर ही उसने 20-25 धक्के मार दिए पर वो धक्के ज्यादा गहराई तक नहीं थे सो मुझे परेशानी की जगह आनंद मिला
इससे मुझे लगा कि कोई डर की बात नहीं है और मैं बेफिक्र हो गयी थी इन धक्कों के बाद दो पल के लिए कांतिलाल रुक गया और हांफने लगा मैं भी अपनी बेचैनी संभाले अगले पल के इंतज़ार में बिस्तर पर लेटी राह देखने लगी
हम दोनों अब तक पसीने पसीने हो चुके थे और मेरी जांघों में बहुत दर्द होने लगा था चूत के भीतर भी बहुत दुख रहा था मगर उस वक़्त चरम सुख की लालसा के आगे हर दर्द सहने को तैयार थी
कांतिलाल का लंड मेरी चूत के भीतर हिचकियां ले रहा था उसने अब अपने बाएं हाथ से मेरी कंधे को पकड़ा और दाएं हाथ से मेरी कमर को थामा फिर एक सुर में उसने धक्के मारने शुरू कर दिए
उसके इस बार के धक्के इतनी ताकत और तेज़ी से थे कि मेरी सिसकारियां कराहों में बदल गईं उसका हर धक्का इतनी गहराई तक जा रहा था जैसे मानो मेरी नाभि भेद कर निकल जाएगा
2 मिनट के भीतर ही मैं अपनी जांघें चिपकाने का प्रयास करने लगी और चूत बिस्तर के किनारों पर दबाने लगी मैंने चादर को मुठ्ठियों में भर लिया और उसके धक्कों के साथ अपनी आवाजें निकालने लगी उम्म्ह अहह हय ओह मर गयी आह ओह्ह मैं भलभला कर झड़ने लगी
मेरी टांगें काम्पने लगी थी और मैं अपनी जांघें आपस में ऐसे चिपकाना चाह रही थी जैसे मानो अपनी चूत छुपाने के प्रयास करना चाह रही होऊं
पर मेरे लिए संभव नहीं था क्योंकि कांतिलाल ने अपनी दोनों टांगों से मेरी टांगें फैला रखी थीं और धक्के मारते हुये अपने घुटनों से मेरी टांगें रोक कर उन्हें फैलाये रखा था मेरी चूत से रस की झड़ी फूट गयी थी और मैं रस को अपनी जांघों से पैर तक बहता हुआ महसूस करने लगी थी
मैं अगले 20 से 30 धक्कों में पूरी तरह झड़ चुकी थी मगर कांतिलाल रुकने का नाम नहीं ले रहा था वो मुझे उसी तेज़ी ताकत और गहराई से धक्के मारे जा रहा था मैं ढीली पड़ने लगी थी और अब विनती करने लगी छोड़ दो कांतिलाल जी मैं मर जाऊंगी अब और नहीं सह सकती
पर कांतिलाल के कानों में जूँ तक नहीं रेंगी वो निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहा लगभग 5 मिनट के बाद उसने मुझे एक बहुत ही ज़ोर का धक्का मारा और मैं चीख पड़ी ओह्ह मम ममम आह्ह्ह
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी बच्चेदानी के मुंह में उसका सुपाड़ा घुस गया उसने उस झटके के साथ एक तेज़ पिचकारी मारी फिर 1-2-3-4 धक्के मार मेरे पीठ पर निढाल होकर गिर पड़ा और तेज़ी से हांफने लगा
उसके झड़ने से मुझे बहुत राहत मिली पर उसका वजन मेरे ऊपर था उसका लंड अभी भी मुझे तना हुआ महसूस हो रहा था और रह रह कर हिचकियां ले रहा था उसके लंड की नसों में दौड़ता हुआ खून मैं अपनी चूत में महसूस कर रही थी
काफी देर तक वो मुझे पकड़ कर सुस्ताता रहा उसका लंड भी सिकुड़ कर सामान्य हो गया और फिसलता हुआ मेरी चूत से बाहर निकल गया लंड के निकलते ही उसका गाढ़ा वीर्य धीरे धीरे मेरी चूत की अंतिम छोर से रिसता हुआ चूत द्वार से बाहर निकलने लगा
मैं बहुत कमज़ोर महसूस करने लगी थी बाकी के समय तो बदन में इतनी ताकत रहती है कि अपनी चूत की मांसपेशियों को अपने मन मुताबिक सिकोड़ और ढीली कर सकूं पर मेरे बदन में अब इतनी ताकत नहीं बची थी और ना ही मैं ज़ोर लगा पा रही थी
स्खलन के बाद का समय तो चूत सिकोड़ने और ढीली करने से वीर्य बाहर निकलने लगता था पर अब तो मुझसे कुछ भी नहीं हो पा रहा था मेरी चूत का छेद जैसा का तैसा खुला महसूस हो रहा था जिससे मैं ठंडी हवा का बहाव महसूस कर रही थी
कांतिलाल का वीर्य इतना गाढ़ा था कि वो बहकर चूत द्वार तक आ तो गया था पर एक बड़े से बूंदा की तरह मेरी चूत के बाहर चिपक कर झूलता रहा थोड़ी देर में कांतिलाल मेरे ऊपर से उठकर बिस्तर पर लेट गया और मैं वैसी ही पड़ी रही
मुझसे हिला भी नहीं जा रहा था सो कांतिलाल ने मुझे पकड़ कर बिस्तर पर चढ़ा लिया पूरा बिस्तर पानी से गीला हो ही चुका था और अब वीर्य के दाग भी लग गये थे मैं बुरी तरह थक चुकी थी और ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत की नसें सुन्न हो गयी हैं
मेरी टांगों को मानो लकवा सा मार गया था पूरे बदन में खून रुक सा गया था कांतिलाल के मित्रों ने तो अभी तक मेरे साथ केवल संभोग किया था पर कांतिलाल ने तो मुझे पूरी तरह से निचोड़ लिया था
पता नहीं अगले सुबह क्या होने वाला था पर अब मैं सोचना छोड़ आंखें बंद करके सो गयी रात के तीन बज चुके थे और कांतिलाल ने करीब डेढ़ घंटे तक मेरे पूरे बदन को रौंदा था
अगली सुबह मैं 10 बजे उठी तो कमरे में कांतिलाल नहीं था मैं अभी भी पूरी तरह से नंगी पड़ी थी मैंने सामने पड़ा गाउन पहना और स्नानघर चली गयी वहां मैंने शौच किया और गाउन उतार खुद को आईने में देखा
वहां बड़ा सा आइना लगा था सो मैं उसमें ऊपर से नीचे तक अपने आपको देख सकती थी अपनी हालात देख कर रात की कहानी पल पल मेरे आंखों के सामने आ गयी वो जो रात नहीं दुखा था मुझे वो भी दुख रहा था
कांतिलाल का वीर्य सूखकर पापड़ की तरह मेरी चूत के आस पास और बालों में चिपका हुआ था मम्मों पर हल्के दांतों के निशान थे और छूने से दर्द भी हो रहा था
मैं कुछ देर में नहा धो कर साफ़ हो गयी और बाहर आ गयी बाहर बिस्तर की तरफ गयी तो दंग रह गयी
मुझे डर लगने लगा कि कमरे की साफ सफाई के लिए जो भी आएगा वो समझ जाएगा तभी रमा कमरे में आ गयी और मुझे अपने गले से लगाकर बोली क्या एक्टिंग की तुमने कल आज सब चकित हो जाएंगे
बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में
Antarvasna Sex Stories :- काम वासना की आग- 19