काम वासना की आग- 15

आप ने antarvasna sex stories के पिछले भाग में पढ़ा इधर कमलनाथ और रवि की नजर मुझ पर पड़ी तो उन्होंने कहा कि आज की रात हम तुम्हारे साथ बिताएंगे अब यहां से मुझे खेल शुरू करना था और रमा ने मुझे सिखा दिया था कि अब क्या क्या करना है अब आप antarvasna sex stories में आगे पढ़े

Antarvasna Sex Stories 15

जैसे ही कमलनाथ मेरे पास आकर बैठा तो सबसे पहले तो उसने मेरी पल्लू गिरा दिया पर मैंने वापस पल्लू ऊपर किया और बोली कुछ भी मुफ्त में नहीं मिलता साहब

इस पर कमलनाथ ने कहा- पैसे तो रमा ने दे दिये थे ना तुझे

मैंने बोला- एक का मिला था और इतने मर्दों के बारे में मुझे नहीं बोला था

कमलनाथ बोला- अच्छा ठीक है पैसे ले लेना कितने लेगी बोल?

मैंने रमा के सिखाए अंदाज में बोला- एक शॉट का 5000 बिना कंडोम 7000 और चूसने का 1000 अलग से लगेगा मेरी बातें सुन कर रमा भी एक तरह से बहुत खुश थी मगर वो अपनी खुशी बाहर नहीं दिखने दे रही थी

रवि और कमलनाथ ने बोला- ये तो बहुत ज्यादा है कुछ कम करो

मैंने बोला- मुझे अब जाना है और ज्यादा रात हो गयी तो मैं जा भी नहीं पाऊंगी करना है तो बोलो

तब दोनों मान गये उधर कांतिलाल भी मन ही मन मेरा नाटक देख मुस्कुरा रहा था कमलनाथ ने तुरंत अपने बैग से 8000 निकाले और कहा हां चल ये ले

फिर रमा से कमलनाथ ने कहा- भाभी जी आपको कोई परेशानी नहीं तो क्या मैं इसे यहीं चोद सकता हूं?

रमा यही तो चाहती थी वो झट से बोली- प्लीज आप लोग मुझे भाभी कहना बंद कीजिये केवल रमा कहिए और किसे कहां चोदना है मुझसे ना पूछें मैं भी तो देखना चाहती हूं कि आखिर ये कैसी सर्विस देती है

कमलनाथ ने मुझे उठा कर पहले तो खड़ा किया फिर बड़े ही इत्मीनान से मेरे पूरे बदन को लिपट लिपट कर मुझे टटोला फिर मेरे आगे खड़े होकर उसने मेरा पल्लू हटा दिया मेरे स्तनों को दबाने लगा और मसलते हुये मेरा ब्लाउज खोल दिया

मेरे स्तन अब खुल के आजाद हो गये उसने बारी बारी से मेरे स्तनों को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया

वो बोला- वाह रमा भाभी ये तो दुधारू गाय है

ये सुन रमा हंसने लगी और रवि और कांतिलाल भी खुश हो गये कमलनाथ मेरा दूध चूस चूस कर पीने लगा फिर थोड़ी देर के बाद उसने अपना पेंट खोल दिया और लंड बाहर निकाल मुझे चूसने को कहा

मैं उसके आदेश के अनुसार नीचे घुटनों के बल हो गयी और उसके लंड को देखते हुये उसे हाथों में लेकर हिलाने लगी उसका लंड सच में बहुत मस्त आकार में था और लंबाई और मोटाई एकदम सही थी

उसका लंड किसी भी स्त्री को चरम सीमा तक पहुंचाने के लिये बड़ा मजबूत दिख रहा था अभी से ही उसके लंड ने हल्के हल्के से सख्त होना शुरू कर दिया था

थोड़ा और हिलाने से वो और थोड़ा सख्त हुआ और फिर मैंने उसके सुपारे को खोल उसके सुपारे पर अपनी जुबान फिरानी शुरू कर दी उसे वाकयी बहुत आनंद आने लगा और उसके चेहरे पर वासना की आग बढ़ती हुयी दिखने लगी

थोड़ी देर और चूसते हुये उसका लंड अब पूरी तरह से कड़क हो गया मैंने उसे पूरा मुंह में भर उसे चूसते हुये जीभ से सुपारे को भी सहलाने लगी

मैंने अपने किरदार के मुताबिक उसे खुश करने का प्रयत्न करना शुरू कर दिया था मैंने पूरी तरह से उसके लंड को थूक में डुबाकर गीला कर दिया था

उसके अण्डकोषों में नसें सिकुड़ और फूलने लगी थीं ऐसा लग रहा था मानो जैसे अभी ये पिचाकरी छोड़ देगा इसी वजह से मैं थोड़ा सतर्क होकर उसके लंड को चूस रही थी ताकि कहीं अगर वो वीर्य छोड़े

तो मेरे मुंह में ना चला जाये मुझे उस व्यक्ति के बारे में कोई ज्ञान नहीं था इस वजह से और अधिक सतर्क रहना जरूरी था

तभी उसने बोला- अब चल सोफे पे बैठ

मैं सोफे की तरफ गयी तो रमा बोली- अरे साड़ी वाड़ी तो उतार ही दे तू अभी और ग्राहक दे रही हूं आज तुझे

मैंने भी जी मैडम कह कर अपनी साड़ी खोल दी कमलनाथ भी मुझे नंगा करने में मदद करते हुये मेरी पेटीकोट का नाड़ा खोलते हुये मेरी पैंटी निकालने लगा वो बोला बहुत फैंसी पैंटी पहनती है तू तो और तेरी गांड कितनी मस्त है

मैं मुस्कुराती हुयी सोफे पर चित लेट गयी और अपनी एक टांग को सोफे के नीचे झुला दिया कमलनाथ भी सोफे पे मेरे सामने आ गया और अपनी कमीज निकाल कर मेरी जांघों के बीच चला आया

उसका लंड फुंफकार मार रहा था एक सामान्य मर्द के हिसाब से उसके लंड का आकार बहुत सही था मोटाई और लंबाई भी काफी अच्छी थी काले काले बालों से घिरा हुआ लंड था

वो मेरे ऊपर झुकते हुये अपने लंड को पकड़ मेरी चूत की दिशा में ले जाने लगा चूत तक लंड पहुंचते ही उसने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत की छेद में टिका दिया

अब वो अपने दोनों हाथ मेरे सिरहाने रख कर संभोग के आसन में आ गया उसने अच्छे से जगह बनाने के बाद धीरे धीरे लंड मेरी चूत में धकेलना शुरू किया

कुछ हल्के फुल्के धक्कों में उसका लंड मेरी चूत में सरकते हुये मेरी चूत के भीतर जाने लगा मुझे उसके लंड के आकार से आनंद सा महसूस होने लगा उधर सभी लोग हमारी तरफ ही देख रहे थे और उनके भीतर भी मस्ती भरी वासना जागृत होने लगी थी

मैंने ध्यान दिया तो कांतिलाल रवि और राजशेखर तीनों बीच बीच में मदिरा पीते हुये अपने अपने लंड पर हाथ फेर रहे थे उसने हाथ पैंट के ऊपर से ऐसे लग रहे थे मानो वे अपने कड़क होते लंड को अपनी अपनी जांघियों के भीतर ठीक कर रहे हों

इधर कमलनाथ ने मुझे धक्के मारने शुरू कर दिये धीरे धीरे मुझे अच्छा लग रहा था कि ये आदमी अपनी कुशलता के अनुसार किसी प्रकार की हड़बड़ी में नहीं था बल्कि मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मेरे बदन का आनंद लेने के साथ मुझे भी तृप्त करना चाहता है

वो धक्के मारते हुये मेरी आंखों में देखने लगा और मैं कभी उसकी नजरों से नजर मिला लेती तो कभी उन पांचों की तरफ देखने लगती

कोई 5 मिनट होते होते तो अब मेरी चूत के भीतर भी रस रिसने लगा और मेरी चूत गीली होने लगी अब मुझे आनंद आने लगा था और मैं उसे कभी पकड़ कर कभी अपने चूतड़ उठा कर मजे आने के संकेत देने लगी थी मैं कराहने भी लगी थी

10 मिनट होते होते तो कमलनाथ चरम पर पहुंचने की स्थिति में आने लगा था अब उसके आव भाव भी बता रहे थे कि उसे बहुत आनंद आ रहा था

उसकी संभोग की कला से इतना तो मुझे अंदाज लग चुका था कि ये बहुत अनुभवी है और जल्दी नहीं झड़ेगा उसकी संभोग क्रिया की तकनीक और चेहरे के आव भाव से लग रहा था कि उसे बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था

मुझे धक्के देने में साथ ही ऐसा लग रहा था मानो वो स्वयं को जल्द पतन होने से रोक रहा था मैं अब अपने भीतर काम वासना की आग में जलन महसूस करने लगी थी मुझे इस तरह वेश्या का किरदार करने से खुद निर्लज्ज स्त्री की भांति जिज्ञासा जागने लगी थी

मैं बोल तो नहीं पा रही थी पर मेरी सिसकियों कराहों और हाथों पैरों की छटपटाहट से शायद उसे भी अब अंदाजा हो गया था कि मुझे आनंद आ रहा था

जहां इतनी देर जांघें फैलाये हुये अब मुझे मेरी जांघों में अकड़न होने लगी थी वहीं कमलनाथ भी धक्के मारते हुये थकान महसूस करने लगा था

पर मैं कुछ नहीं बोल सकती थी क्योंकि मेरे किरदार के हिसाब से मालिक कमलनाथ था और मुझे हर कष्ट बर्दाश्त करना था क्योंकि उसने पैसे चुकाए थे

कमलनाथ कोई नौजवान तो था नहीं कि इतनी देर तक धक्के मार सके हालांकि वो इतना अनुभवी तो था कि संभोग को लंबे समय तक खींच सके उधर रमा और राजशेखर भी उत्तेजित होते दिख रहे थे

राजशेखर ने रमा के ब्लाउज के ऊपर से उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया था वहीं रमा भी उसके पैंट के ऊपर से उसके लंड को टटोल रही थी बाकी कांतिलाल और रवि का तो जैसे सब्र का बांध टूटने को था

कमलनाथ धक्के मारते हुये थक चुका था सो उसने मुझे आसान बदलने को कहा वो सोफे पर बैठ गया अपनी टांगें जमीन पर रख कर और मुझे अपनी गोद में बैठने को बोला

अब तक के संभोग में मेरे भीतर भी वासना की चिंगारी आग बन चुकी थी और मन में चरम सुख पाने की तीव्र इच्छा होने लगी थी मैं जल्दी से उसकी गोद में बैठ कर लंड को चूत में प्रवेश कराते हुये उसकी गोद में उछल उछल कर संभोग को आगे बढ़ाने लगी

मैंने खुद को उसके कंधों को पकड़ कर खुद को सहारा दिया और अपने घुटने मोड़ कर ऐसे धक्के देने लगी कि उसका लंड ज्यादा भीतर जाये

कमलनाथ ने मेरे चूतड़ों को पकड़ लिया और मुझे धक्के लगाने में सहायता करने लगा साथ ही बारी बारी मेरे मम्मों का दूध भी पीने लगा उसे बहुत ज्यादा आनंद आ रहा था और मुझे भी और मैं भूल ही गयी थी कि कोई और भी हमें देख रहा है

मुझे धक्के लगाते हुये अब 5 मिनट होने को चले थे कमलनाथ के भी आव भाव बता रहे थे कि अब वो जल्द ही झड़ने वाला है

जैसे जैसे धक्के बढ़ते जा रहे थे हम दोनों सिसकारी भरते हुये तेज़ सांस लेने लगे थे मैं इतनी तेज धक्के मारने लगी कि कमलनाथ समझ गया कि मैं भी झड़ने वाली हूं

एक औरत को झड़ते देख कर किसी भी मर्द को अपनी मर्दानगी पर गर्व होता है यही सोच शायद उसकी उत्तेजना दुगुनी हो गयी

मैं बस और धक्के मारते हुये कमलनाथ से पूरी ताकत से चिपक गयी और अपने चूतड़ उछाल उछाल कर उम्म्ह अहह हय याह करते हुये झड़ने लगी मुझे झड़ती देख कमलनाथ भी अपने पर काबू ना रख सका और वो भी गुर्राते हुये मेरे चूतड़ पकड़ कर नीचे से झटके मारने लगा

कुछ ही पल में हम दोनों एक साथ झड़ने लगे एक तरफ जहां मैं पूरी ताकत लगा कर उसे धक्के मारते हुये अपनी चूत का रस उसके लंड पर छोड़ने लगी वहीं कमलनाथ भी नीचे से झटके देता हुआ मेरी चूत के भीतर अपने वीर्य की पिचकरी मारने लगा

मैं झड़कर उसकी गोद में ढीली होने लगी और कमलनाथ भी अपने हाथ छोड़ सोफे पे हांफता रहा हम दोनों एक बार के संभोग के बाद शांत पड़े थे तभी पीछे से रवि ने हाथ डालकर मुझे उठाना चाहा जबकि मैं थक चुकी थी

पर रवि हमारा संभोग देख इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि अब उससे सब्र नहीं हो रहा था उसने मुझे जबरदस्ती विनती करते हुये उठाकर सोफे पर झुका दिया और खुद मेरे पीछे आ गया

मेरी चूत अभी भी वीर्य से लबालब भरी थी तो रवि ने जल्दी से एक कपड़े से मेरी चूत से टपकते वीर्य को साफ किया और अपनी हवस मिटाने को तैयार हो गया वो इतना अधिक उत्तेजित था कि उसने एक बार भी मुझे लंड चूसने को नहीं कहा

तभी राजशेखर बोला- रमा अब बर्दाश्त नहीं होता चलो हम भी बढ़ चलें

इस पर रमा बोली- अभी तो मुझे मेरे पति का भी प्रदर्शन देखना है हम बाद में रात भर एन्जॉय करेंगे

रमा की बात खत्म होते होते रवि ने अपना लंड एक झटके में मेरी चूत में घुसा दिया उसके लंड का जोर इतना तेज था कि मैं अपनी कराह रोक नहीं पाई

रवि का लंड मैंने देखा भी नहीं था पर झटके के अंदाज से ये साफ हो गया था कि उसका आकार क्या है और ताकत कितनी अधिक है मैं अभी भी थकान महसूस कर रही थी मगर रवि ने मुझे पूरी ताकत से कमर से पकड़ लिया था

मैं अपने हाथ और सिर सोफे पर टिका कर अपना वजन संतुलित करने की कोशिश करने लगी रवि का लंड मुझे थोड़ा मोटा तो लग रहा था और जिस प्रकार से उसने झटका मारा था मुझे उसका सुपाड़ा मेरी चूत को भरपूर खोलते हुये भीतर घुस गया था

रवि इतना अधिक उत्तेजित था कि उस झटके के पल भर बाद ही वो तेज़ी से धक्के मारते हुये आगे बढ़ने लगा मुझे ऐसा लग रहा था मानो ये कुछ ही पलों में झड़ जायेगा पर मेरा अंदाज गलत था

वो भी कम अनुभवी नहीं था और कई सालों से संभोग क्रियायों में था इसलिए इतनी जल्दी उसका भी स्खलन स्वभाविक नहीं था ये तो उसकी उत्तेजना थी जिसकी वजह से वो पूरे जोश से धक्के मार रहा था

उसके दमदार धक्कों के कारण मैं खुद में इतनी कमजोरी महसूस करने लगी कि मेरे मुंह से रोने जैसी कराह निकलने लगी और जिस्म ढीला पड़ने लगा

रवि एक खूंखार जानवर की तरह मुझमें धक्के मारे जा रहा था और बेरहमी से कभी मेरे चूतड़ों को तो कभी नीचे से मम्मों को मसलता

उसके धक्के लगातार एक सांस में चल रहे थे और जब कभी उसे थकान लगती तो लंड मेरी चूत के भीतर दबा कर मेरे मम्मों चूतड़ों और जांघों को सहलाकर मेरे बदन का आनंद लेते हुये थोड़ा सुस्ता लेता

उसकी इस तरह के संभोग क्रिया से मुझे लगने लगा कि रवि के आगे मैं देर तक नहीं टिक पाऊंगी उधर रमा ने ये भी बोल दिया था कि उसके पति का प्रदर्शन भी बाकी है

मतलब साफ था कि रवि के बाद कांतिलाल की बारी थी और क्या पता कहीं राजशेखर भी उठ खड़ा हुआ तो मैं तो मर ही जाऊंगी मैं कमजोरी महसूस करने लगी थी और लड़खड़ाने भी लगी थी

रवि भी पिछले बीस मिनट से एक ही आसान में संभोग करते हुये थकने लगा था इस वजह उसमें जोश तो भरपूर दिख रहा था मगर पहले की तरह वो ताकत नहीं लगा पा रहा था रवि इस हाल में भी जबरदस्ती मुझे धक्के मारे जा रहा था

मैं धक्कों की वजह से इधर उधर लड़खड़ाते हुये गिरने जैसी हो रही थी मेरे गले से रोने जैसी आवाजें निकलने लगी थीं पर उन लोगों में से किसी ने दया जैसी चीज नहीं दिखाई

शायद वो जानते थे कि औरत हर तकलीफ झेल लेती है और शायद इसी वजह से मैं भी अपना उपयोग होने दे रही थी अब झुके झुके मेरी थकान इतनी अधिक हो गयी थी कि कमर में दर्द होने लगा था और मेरी टांगें सुन्न सी होने लगी थीं

फिर अचानक मैं लड़खड़ाते हुये सोफे पर गिर पड़ी मेरा भारी भरकम शरीर रवि नहीं संभाल पाया और मैं उसके चंगुल से निकल गयी सोफे पर गिरते ही मैं हांफते हुये ऊंहहहहह कर रही थी

तभी रवि ने मुझे पकड़ कर जमीन पर सीधा पीठ के बल लिटा दिया और मेरी टांगें फैलाता हुआ बीच में आने लगा मेरे पास अब उससे विनती करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था सो मैंने उससे कुछ देर सुस्ताने के नाम पर थोड़ा समय मांग लिया

मुझे इस बात की खुशी हुयी कि उसके भीतर इंसानों वाली थोड़ी बात तो थी वो वैसे ही मेरे जांघों के बीच अपने घुटनों पर खड़े होकर लंड हाथ से हिलाता हुआ इंतजार करने लगा शायद वो भी थक चुका था इसी वजह से उसने थोड़ी रहम दिखाई

बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में

Antarvasna Sex stories :- काम वासना की आग- 16

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