हैलो दोस्तों मैं अपनी सास दामाद की अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी लेकर आया हूं आप इस antarvasna saas ko choda kahani में पढ़ेंगे मैं होली वाले दिन मैं ससुराल में था और मेरी सास ने मुझे भांग पिला दी और मैंने सास की चुदाई कर दी
Antarvasna Saas Ko Choda Kahani
मैं अब आपका ज्यादा समय नहीं लेना चाहता और अपनी antarvasna saas ko choda kahani शुरू करता हूं ससुराल में एक बेडरूम जिसमें डबल बेड पर एक 28-29 साल का जवान मर्द हाफपैन्ट में सो रहा है बाहर से अचानक होली है होली है की आवाजें आने लगीं
वो मर्द उठकर बाहर देखने के लिये उठ गया
उसके घर के आंगन में एक लंबी और गोरी लगभग 48 साल की औरत सफेद साड़ी और ब्लाउज में खड़ी थी वो सुंदर स्त्री अपनी उम्र के हिसाब से बहुत फिट थी उसके साथ ही लगभग उसी की उम्र की एक और औरत भी थी
ये वाली महिला पहली वाली से कुछ कम सुंदर और सांवली सी थी और घाघरा चोली में खड़ी थी इन दोनों के पीछे शायद मोहल्ले की दो और नीचे तबके की औरतें खड़ी थीं
मोहल्ले की एक औरत ने उस मर्द को देखा और बोल उठी- लो वो देखो दामाद बाबू भी उठ गये
जवान मर्द अलसाई सी आवाज में अपनी नंगी छाती को फैलाता हुआ एक मस्त अंगड़ाई लेते हुये बोला- ये क्या हो रहा है यार आप लोग तो मुझे सोने भी नहीं दे रहे हो
सफेद साड़ी वाली औरत मुस्कुरा कर बोली- आज होली है राकेश साल में एक बार ही ये त्यौहार आता है ये लोग अपना शगुन लेने आई हैं अब आप ही अपने हाथों से इन्हें इनका शगुन दे दीजिए
घाघरा चोली वाली औरत चहक कर बोली- हां विमला दीदी यही सही रहेगा दामाद बाबू इधर से इनका शगुन उठा कर इन सबको देते जाइये
एक तरफ रखे कुछ पैकेट रखे दिख रहे थे वो घाघरे वाली महिला उन पैकेटस की तरफ इशारा करते हुये कह रही थी
विमला उर्फ सफेद साड़ी वाली औरत- ये तुमने ठीक कहा इंदिरा अब जब मेरा दामाद राकेश यहीं है तो ये शुभ काम उसी के हाथ से होना चाहिए राकेश तुम इधर से ये शगुन उठा कर इन्हें देते जाओ
जवान मर्द उर्फ दामाद बाबू उर्फ राकेश एक तरफ रखे पैकेटों के पास आ गया सफेद साड़ी वाली उसकी सास विमला ने उसे एक पैकेट उठा कर दे दिया
घाघरा चोली वाली औरत इंदिरा राकेश के दूसरी तरफ खड़ी हो गयी
राकेश ने अपनी सास के हाथ से वो पैकैट लेकर एक औरत को दे दिया फिर इसी तरह से दूसरी को भी दे दिया
वो दोनों औरतें अपनी गांड मटकाते हुये वापस जाने लगी थीं
तभी राकेश ने उन्हें रोका- रूको
दोनों औरतें राकेश की आवाज पर रूक गयी
राकेश ने अपने पजामे की जेब से पांच पांच सौ के नोट निकाल कर उन्हें दे दिए
एक औरत ने पांच सौ का नोट देखा तो उसकी बांछें खिल उठीं और वो दुआएं देने लगी- जुग जुग जियो दामाद जी हमेशा हंसते खेलते रहो तुम्हारा परिवार खुश बना रहे
दूसरी औरत ने नोट को अपने ब्लाउज में खौंसा और बोली- मालकिन आपका दामाद हीरा है हीरा इनका आप जरा स्पेशल ख्याल रखिएगा वैसे नीलम बिटिया है कहां वो तो यहां दिख नहीं रही है?
रीमा- अरे रन्नो नीलम गयी है लंदन उसे सरकार ने भेजा है पूरे इंडिया से केवल 10 टीचर्स गये हैं उसका भी नाम आ गया था वो कम्प्यूटर हैकिंग से बचने का कोर्स सिखाएंगे कुछ दिन पहले ही तो गयी है
अब वो 15 दिन बाद आयेगी तभी तो दामाद बाबू को यहां बुला लिया है बेचारे उधर त्यौहार में अकेले पड़ जाते
दूसरी औरत बोली- तो दामाद बाबू यहीं आपके साथ होली मनाये जुग जुग जीवें
इंदिरा- ऐसे नहीं तुम्हें शगुन मिला है तो कुछ गा बजा कर तो जाओ कोई फाग वगैरह हो जाये
इंदिरा की बात सुनकर वे दोनों औरतें ठठा कर हंसने लगीं
पहली औरत- दामाद बाबू शहर के हैं फाग झेल पाएंगे क्या?
विमला- गाओ ना तुम रन्नो शन्नो सब झेल लेंगे
गाना बजाना शुरू हो गया
दामाद बाबू ससुराल में पड़े
इनकी बहन के चूचे बड़े
पूरा मोहल्ला इनकी बहन तड़े
चुद जाती वो खड़े खड़े
इतनी खुली भाषा में गाना सुनकर राकेश शरमा के इधर उधर देखने लगा होली की मस्ती में विमला और इंदिरा राकेश को देख कर हंसने लगीं
दामाद बाबू की बिल्डिंग ऊंची
इनकी बहन की बड़ी बड़ी चूंची
राकेश- बस बस बस हो गया अब जाओ तुम लोग
विमला और इंदिरा खिलखिला कर हंस पड़ीं
विमला- ठीक है जाओ तुम लोग और राकेश तुम नहा-धो कर फ्रेश हो जाओ तब तक इंदिरा कुछ खाने को लगा देगी कहीं बाहर घूमने जाना हो तो चले जाना
फिर विमला ने कुछ सोचा और दुबारा से कहा- वैसे जाओगे कहां इधर किसको जानते होगे फिर भी अगर मन हो तो घूम आना वैसे भी होली की धूम में कहां ज्यादा घूम पाओगे
अब तक वे गाना बजाने करने वाली दोनों औरतें बाहर चली गयी थीं राकेश फिर से अंदर चला गया
इंदिरा- दीदी जी आज बहुत दिनों बाद होली खेलने का मन हो रहा है आप भी खेल ही लो अगर फागुन में बाबा भी देवर लागे तो सासू भी साली लागे याद है ना
दोनों एक दूसरे को देख कर हंसने लगीं और आंखों में मस्ती का खुमार दिखने लगा
कुछ देर बाद बाहर होली का माहौल छा गया था हर तरफ होली के हुडदंग में रंगे लोग दिख रहे थे
तभी विमला के घर की घंटी बज उठी इंदिरा ने दरवाजा खोला राकेश लोअर और कुर्ता पहने हुये बाहर खड़ा था उसके माथे पर गुलाल लगा था इंदिरा ने पूरा दरवाजा खोल दिया उसके बदन पर अब भी वही घाघरा चोली था
राकेश उसे देखते हुये अंदर आ गया सामने विमला सफेद साड़ी ब्लाउज में दिख रही थी वो आंगन में एक टेबल के पास खड़ी थी उस टेबल पर गुझिया गुलाल और रंग रखा हुआ था और साथ ही ठंडाई के कुछ गिलास और जग रखा हुआ था
विमला ने राकेश को देख कर हाथ में एक थाली उठा ली और उसमें ठंडाई के गिलास सजा लिये
विमला- राकेश आओ लो ये ठंडाई पियो जो इंदिरा ने खास तुम्हारे लिये बनाई है तुम्हें आज नीलम की बहुत याद आ रही होगी ना?
राकेश ने गिलास उठाते हुये पूछा- इसमें भांग मिली है क्या?
इंदिरा- होली पर तो पी ही जाती है पी लो दामाद बाबू मजा आ जाएगा
विमला- राकेश तुमने बताया नहीं तुमको आज नीलम की याद नहीं आ रही क्या?
राकेश- हां ये हमारी पहली ही होली थी शादी के बाद पर उसे बाहर जाना पड़ा कल उससे बात हुई थी आज तो उससे सम्पर्क ही नहीं हो पा रहा है वो होती तो मैं होली पर खूब मजे करता
इंदिरा- नीलम बेटी के बराबर तो नहीं पर उससे थोड़े कम मजे तो फिर भी आज आप कर सकते हो
विमला- हमने भी बहुत साल से होली नहीं खेली आज मेरा भी होली खेलने का मन है
इंदिरा- और आप भी दूसरे शहर में हैं जहां हमें छोड़कर आपका कोई अपना नहीं है जिसके साथ आप होली खेल सकें आज हमारी होली खेलने की पूरी तैयारी है बस आपकी इजाजत का इंतजार है
राकेश- इसमें इजाजत क्या मांगना
उसने थाली से थोड़ा गुलाल उठा कर उन दोनों पर मार दिया
ये देख कर विमला और इंदिरा ने भी राकेश पर गुलाल मारना शुरू कर दिया आंगन में भागते हुये होली का खेल शुरू हो गया
इस भागादौड़ी में विमला की साड़ी का पल्लू ढलक गया और उसके पल्लू पर राकेश का पैर पड़ गया विमला की साड़ी सीने अलग खिंच गयी और विमला के मस्त मम्मे उभर कर दिखने लगे
राकेश विमला के सेक्सी फिगर को देखने लगा उस पर ठंडाई के नशे ने एक मस्ती का सुरूर ला दिया था
तभी इंदिरा ने पीछे से आकर राकेश के गालों पर अपने हाथ रख दिए और राकेश के गालों को अपने लाल रंग से रंगे हाथों से रंगने लगी उसकी हथेलियों ने मर्द के गालों का अहसास पाते ही उसकी मस्ती को भी बढ़ा दिया
उधर राकेश भी अपने गालों पर एक महिला के मुलायम हाथों के स्पर्श को पाकर उन्मुक्त होने लगा
इंदिरा मजे से हाथ फेरते हुये राकेश के गालों पर रंग लगा रही थी पीछे से उसकी चूचियां राकेश के बदन से रगड़ सुख दे और ले रही थीं
तभी इंदिरा राकेश के कान में फुसफुसाते हुये- दामाद बाबू देखो अपनी सासू मां को क्या कातिल जवानी है
उधर विमला ने शर्माते हुये कहा- राकेश प्लीज मेरा पल्लू छोड़ो
राकेश विमला की साड़ी पर पैर रखे हुये ही आगे बढ़ गया और विमला के गालों पर रंग लगाने लगा राकेश ने अपने हाथों में अपनी सासू के गालों को भर रखा था वो पूरी मस्ती से अपने बदन को अपनी सास के जिस्म से रगड़ता हुआ बोला- हैप्पी होली सासू मां
एक बार रंग लगा कर राकेश ने हाथ हटाने की कोशिश की तो इंदिरा ने राकेश के हाथों को थामा और फिर से विमला के गालों पर लगवा कर रंग लगाने के बहाने से गालों को मसलने का प्रयास करवाने लगी
इंदिरा- क्या दामाद बाबू ऐसे गोरे गालों को इतनी जल्दी थोड़े ही ना छोड़ा जाता है जरा कस कर मसल कर रंग लगाओ
विमला आंख बंद करके कामुक सिसकारियां भरने लगी थी
अब तक भांग की ठंडाई का असर तीनों पर चढ़ चुका था
राकेश विमला के गालों पर पूरी मस्ती से रंग लगाने लगा अब शायद राकेश ने अपनी सास के जिस्म को पूरी तरह से रगड़ने का मन बना लिया था वो अपनी सास के गालों से नीचे उनकी गरदन पर रंग लगाने लगा
फिर वो अपनी सासू की नंगी कमर पर आ गया फिर अचानक से राकेश ने अपनी सास को पलटा और उसकी पीठ पर रंग लगाने लगा वहीं धीमे से राकेश ने अपनी सास विमला की साड़ी भी खोल दी
विमला अब पेटीकोट ब्लाउज में रह गयी थी राकेश अपनी सास के गोरे पेट को देखने में मस्त हो गया
तभी इंदिरा मस्ती करने लगी और बोली- क्यों हीरो नीचे रंग नहीं लगाएगा बस ऊपर ऊपर से ही मजा लेना है क्या?
राकेश विमला के पैरों के पास बैठ कर धीरे से उसका पेटीकोट उठाने लगा और वो अपनी सास की पिंडलियों पर अपने हाथ फिराते हुये रंग लगाने लगा विमला की मादक सीत्कारें निकलने लगी थीं और वो अपने दामाद को रोक भी नहीं रही थी
अपनी सास के किसी भी विरोध को ना पाकर राकेश के हाथ पिंडलियों से ऊपर को बढ़ चले वो घुटनों पर आ गया फिर पेटीकोट को ऊपर करते हुये राकेश ने विमला की जांघों पर अपने कामुक होते हुये हाथों को फिराना शुरू कर दिया था
इधर इंदिरा पीछे से आकर विमला का ब्लाउज खोल दिया और विमला के चूचे दबाने लगी दोनों ने एक दूसरे को चूमना शुरू कर दिया
ये देख कर राकेश का लंड फूलना शुरू हो गया और उसने उठकर अपनी सास विमला के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया पेटीकोट ने जिद छोड़ दी और वो धरती पर गिर कर माफ़ी मांगने लगा
अब सासू मां विमला पैंटी और ब्रा में सामने खड़ी थीं राकेश अपनी सास के मदमस्त जिस्म को निहारने लगा उसका लंड भीमकाय होता जा रहा था होली की मस्ती अब वास्तविक रूप से उन तीनों पर चढ़ने लगी थी
राकेश ने आगे बढ़ कर अपनी सास के चूचे ब्रा के ऊपर से एक बार जोर से दबाए और अगले ही पल अपनी सास को अपनी बांहों में भर कर पीछे हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया
ब्रा ने भी विमला के मम्मों का साथ छोड़ दिया था और विमला के रसीले मम्मे खुली हवा में उछलने लगे थे उसके मम्मे एकदम टाईट थे उसके चुचे कहीं से किसी लौंडिया के चूचों से कम नहीं लग रहे थे
राकेश का नशा अब तीन गुना हो गया था उसने चूचों में से एक को अपने होंठों से चूमा और दूसरे को हाथ में भर कर दबाना शुरू कर दिया
विमला भी अपने दामाद राकेश से चिपक गयी और उनसे अगले ही पल अपने दामाद के लोअर के अंदर हाथ डाल दिया
उधर इंदिरा ने भी राकेश के पीछे आकर मोर्चा सम्भाल लिया था इंदिरा ने राकेश का लोअर खिसका दिया और हाथ आगे लाकर उसका खड़ा लंड पकड़ लिया
राकेश का कड़क लम्बा और मोटा लंड अपने हाथ में लेते ही इंदिरा की सिसकारी निकल गयी
इंदिरा- उफ इतना मस्तराम लंड आह आज इतने दिनों बाद एक मूसल लंड मिला है मुझे इसको प्यार करना है
विमला ने भी लंड को देखा और नशीली आवाज में बोली- हां मुझे भी
दोनों औरतें राकेश के आगे आ गयी और उसके घुटनों के बल नीचे बैठ कर लंड चूसने लगीं
राकेश की आंखें मस्ती से बंद हो गयी उसके लंड को आज दो मस्त औरतें चूस रही थीं
कुछ पल बाद राकेश ने अपनी सास विमला को अपनी गोद में उठा लिया और उसकी चूचियों को चूसता हुआ कमरे में ले जाने लगा इसी बीचे राकेश ने विमला की पैंटी नीचे सरका दी और उसकी गीली चूत पर अपनी नाक लगा कर सूंघने लगा
फिर उसे बिस्तर पर लिटाते ही आधी लटकी पैंटी को खींच कर टांगों से बाहर निकाल कर दूर फेंक दी राकेश अपनी सास विमला की दोनों टांगों को फैलाते हुये उसकी चूत पर झुक गया और अब वो अपनी सास की चूत चाटने लगा
कुछ ही देर मामला एकदम गरम हो गया और राकेश ने अपनी सास को अपने ऊपर लेकर उसकी चूत में अपना पूरा लंड एक बार में ही ठांस दिया
विमला की चीख निकल गयी मगर राकेश ने इसकी कोई परवाह नहीं की वो बस धकापेल चोदने में लगा रहा वो अपनी गांड उठाते हुये अपनी सास की चूत में अपना पूरा लंड पेले जा रहा था
वहीं पास में खड़ी इंदिरा ये सीन देख कर अपनी चूत में उंगली करने लगी थी
विमला की ताबड़तोड़ चूत चुदाई के बाद उसने अपना लंड निकाला और इंदिरा के मुंह में दे दिया
फिर राकेश ने दुबारा से अपनी सास विमला को कुतिया बनाया और पीछे से लंड पेल कर धकापेल चूत चुदाई शुरू कर दी
विमला अब तक दो बार झड़ चुकी थी
फिर राकेश ने भी लंड खाली करना शुरू कर दिया वो अपनी सास की चूत में ही झड़ गया
झड़ने के बाद दोनों निढाल हो गये थे इसलिये राकेश बिस्तर पर चित लेट गया और विमला लंड से चुदने के बाद मुस्कुराते इंदिरा की देखने लगी
सास दामाद की चूत चुदाई की antarvasna saas ko choda kahani आपको कैसी लगी मुझे जरूर बताना और antarvasna sex stories पढ़ने के लिये आप maa beta sex story com पर आते रहे यहां पर आपको बहुत सारी antarvasna sex stories पढ़ने को मिलेगी
Antarvasna Sex Stories :- सास की दामाद ने चुदाई कर दी
Mera naam Arjun hai Male hun Delhi mein mujhe dost chahie kisi ne mujhe message Karen [email protected]