काम वासना की आग- 14

आप ने antarvasna sex stories के पिछले भाग में पढ़ा मैंने भगवान का नाम लिया और फिर इंतजार में बैठ गयी मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था पर मुझे खुद को काबू में रखना था और उसके सामने ऐसे दिखावा करना था अब आप antarvasna sex stories में आगे पढ़े

Antarvasna Sex Stories 14

जैसे मैं सच में कोई वेश्या हूं और संभोग करना मेरा रोज का काम है सारी तैयारियां हो चुकी थीं तभी रमा ने मुझे एक क्रीम दी और कहा इसे अपनी चूत के भीतर तक इसे लगा लो

मैंने उससे पूछा- ये क्या है?

तो उसने बताया- ये एक तरह की क्रीम है जो चिकनाई के साथ गर्भधारण से भी बचाता है

उसने आगे बताया कि क्या पता वो आदमी कैसा हो सीधा संभोग करने चाहे और हो सकता है कंडोम भी ना लगाए

सब लोग हमारी तरह साफ सुथरे लोग नहीं होते उसने मुझसे कहा इस क्रीम की वजह से तुम सुरक्षित रहोगी और तुम गीली नहीं भी होगी तो संभोग के समय परेशानी नहीं होगी

उसकी बात सुन कर मैंने अपनी साड़ी ऊपर उठाई और पैंटी नीचे सरका कर अच्छे से दो बार क्रीम को चूत के भीतर से बाहर पंखुड़ियों तक मल लिया

रमा ने पूरी तैयारी कर ली थी मेज पर मदिरा से लेकर खाने पीने की सभी वस्तुएं तैयार थीं अब 7 बजने को थे तभी कमरे की घंटी बजी और मैं चौक पड़ी तब रमा ने मुझे समझाया और खुद पर काबू रखने को कहा

मैंने खुद को संभाला और फिर सामान्य होकर बैठ गयी दरवाजा खुलते ही 5 मर्द भीतर आये और रमा के साथ अपनी पहचान बताते हुये सोफे पर बैठ बातें करने लगे मुझे लगा था कि केवल दो मर्द होंगे एक रमा का पति दूसरा वो नेता पर यहां 5 लोग थे

मैंने रमा की तरफ देखा तो रमा ने इशारे में मुझे शांत रहने को कहा एक व्यक्ति तो नेता था उसके हाव भाव से मैं समझ गयी थी दूसरा रमा का पति कांतिलाल था जिसे मैं पहचानती थी वो मेरे साथ संभोग कर चुका था

बाकी के 3 मर्द जो 50-55 के बीच के थे वे सब कौन थे ये मुझे समझ नहीं आ रहा था पर वो सभी मेरी तरफ ध्यान दे कर अपने व्यापार की बातें कर रहे थे

कुछ देर के बाद रमा बोली- सारिका नेताजी के लिए पैग बनाओ

ये सब करना और बातें करना रमा ने मुझे पहले ही सिखा दिया था मैं उठी और मुस्कुराते हुये मादक अंदाज में नेताजी के पास जाकर उनके लिए पैग बनाने लगी सभी पांचों मर्द मुझे ऐसे देख रहे थे मानो पहले कभी कोई औरत ना देखी हो

नेताजी करीब 60 साल के होंगे पर उनकी आंखों में वासना का खुमार भरा था और उसकी नजर मेरे मम्मों और नाभि पर घूम रही थी मैंने झुक कर जैसे ही बोतल से गिलास में मदिरा भरनी शुरू की नेताजी ने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरते हुये कमर को छुआ

तभी उन 3 मर्दो में से एक ने बोला- वाह रमा भाभी कहां से लाई हो ऐसी माल?

रमा ने जवाब दिया- ये औरत बहुत खास है और खास कामों पर खास लोगों के लिए ही आती है

उसकी इस बात पर सब लोग हंसने लगे मैं भी अपने किरदार के मुताबिक गर्व भरे भाव दिखाते हुये मुस्कुराने लगी और नेताजी को लुभावनी अंदाज में मदिरा का गिलास दिया

नेता जी ने मेरे हाथ से गिलास लिया और फिर एक हाथ से पकड़ कर मुझे अपनी जांघों पर खींचकर बिठा लिया मैं भी किसी वेश्या की भांति नखरे दिखाते हुये नेताजी के गले में हाथ डाल बैठ उनके मनोरंजन के लिए तैयार हो गयी

नेताजी जब मदिरा मुंह से लगा कर पीने लगे तब मैंने चोर नजरों से रमा को देखा रमा ने भी इशारे में मुझे मेरे अभिनय अच्छा होने का संकेत दिया

वो लोग अपनी अपनी बातें जारी रखते हुये मदिरा पीने लगे और इधर नेताजी मेरे बदन को सहलाते और टटोलते हुये आनंद लेने लगे

अब तक 3 पैग हो चुके थे और जब मैंने चौथा पैग बना कर दिया तो नेताजी बोले रमा जी कोई एकांत कमरा नहीं है क्या? काम की बातें कर बहुत थक गया हूं मुझे थोड़ा आराम से लेटने की इच्छा हो रही है

रमा ने उत्तर दिया- हां आप भीतर बिस्तर पर लेट जाइए

तब नेताजी मुझसे बोले- ये पैग भीतर ही ले आओ

इतना कह कर वो नेता भीतर चला गया और इधर रमा ने मुझे पैग भीतर ले जाने को कहा और इशारों इशारों में मुझसे हाथ जोड़ विनती करते हुये सब संभाल लेने को कहा

मुझे पता था कि वेश्या के साथ लोग किस प्रकार से बात करते हैं इस वजह से मैंने खुद को तैयार कर लिया था मतलब गंदी लज्जित बातें सुनने को मैं रेडी हो गयी थी

मैं भीतर गयी तो नेताजी बिस्तर पर लेटे हुये थे

मुझे आते देख बोले- आ जा इधर बैठ बगल में

मैं उसकी बेइज्जती भरी बातें दरकिनार करती हुयी मुख पर बनावटी हंसी दिखाते हुये उसके बगल बैठ गयी उसने मेरे हाथ से पैग लेते हुये बोला मस्त है तू तो कभी पहले नहीं दिखी बाहर से आयी है क्या?

मैंने भी हां कहते हुये बोला- उत्तरप्रदेश से आयी हूं

इतना सुनने के बाद वो अपने पजामे के ऊपर लंड को हाथ से सहलाते हुये बोला चल थोड़ा तैयार कर बहुत दिन हो गये है मुझे

मैंने मुस्कुराते हुये उसके पजामे का नाड़ा खोल कर उसके जांघिये को नीचे सरका दिया उसका लंड किसी मांस के लोथड़े सा बिल्कुल ढीला ढाला बेजान सा पड़ा था

नेता 60 साल से ऊपर का ही होगा पर लंड सामान्य मर्दों की ही तरह बालों से भरा पड़ा था मैंने उसके लंड को हाथ से हिलाना डुलाना शुरू किया तो थोड़ा थोड़ा सख्त होने लगा

नेताजी लगभग आधा गिलास खाली करने के बाद बोले मुंह से चूसती नहीं है क्या थोड़ा मुंह तो लगा उसकी बात सुन अपने किरदार के हिसाब से हंसती हुयी मैं उसके लंड को मुंह में भर चूसने लगी

मुझे उस आदमी को ये भी जताना था कि ये सब मेरे लिये रोज का काम है मैं उसके लंड के सुपाड़े को खोल चूसने लगी और एक हाथ से उसके अण्डकोषों को दबाने ओर सहलाने लगी

कुछ ही पलों में उसका लंड सख्त हो गया और गिलास भी खाली हो गया फिर नेता गिलास बगल में रखते हुये बोला चल अब चोदने दे मस्त माल है तू तो मजा देगी ना अच्छे से?

मैं भी बोली- हां साहब आपके लिये ही तो आयी हूं ऐसा मजा दूंगी कि दोबारा किसी औरत को नहीं देखोगे बताओ कैसे करोगे?

उसने बोला- चल साड़ी खोलकर लेट जा मुझे औरतें अपने नीचे अच्छी लगती हैं

मैंने बिना ज्यादा सवाल किए अपनी साड़ी उठा दी पैंटी उतार दी और पल्लू सीने से हटा कर टांगें फैला कर चित लेट गयी

नेताजी ने मेरे स्तनों को देखा और बोला- मस्त बड़े बड़े है अपनी चुचियां दिखा तो जरा

मेरे ब्लाउज का हुक आगे की तरफ का था तो मैंने उन्हें खोल दिया ब्लाउज खोलते ही मुझे भी थोड़ी राहत मिली क्योंकि ब्लाउज थोड़ा ज्यादा ही कसा हुआ था

उसने दोनों हाथों से मेरे दोनों स्तनों को बेरहमी से मसलना शुरू कर दिया तो मैं दर्द से कराह उठी उम्म्ह अहह हाय ओह फिर वो मेरी जांघों के बीच झुकने लगा और एक हाथ से अपना कुर्ता ऊपर करके लंड पकड़ मेरी चूत की ओर ले जाने लगा

मैंने बोला- साहब कंडोम तो लगा लो

उसने सख्ती से मुझसे बोला- साली अब तू मुझे बताएगी कि मुझे कैसे चोदना है ऐसे ही पड़ी रह

मैं उसकी इतनी लज्जित करने वाली भाषा सुन कर सन्न रह गयी मुझे बहुत बुरा लगने लगा पर मैं अपनी भावनाएं दबाए मुस्कुराती रही

उसने अपना लंड ज़ोर से एक बार आगे पीछे किया और फिर उसे मेरी चूत की छेद पर सटा कर आसन ले लिया लंड का सुपाड़ा अब तक मेरी चूत में प्रवेश कर चुका था और अपना संतुलन बनाने के बाद उसने धक्का मारा

उसका लंड मेरी चूत में आराम से चला गया उसके लंड में उतना कड़कपन नहीं था जैसे आम मर्दों में होता है और ना ही उसके धक्के में इतनी ताकत थी

मुझे कोई परेशानी भी नहीं हुयी क्योंकि पहले से मैंने क्रीम भी लगा रखा था और ये भी उतना तकलीफ देने लायक नहीं था वो अपनी ताकत के हिसाब से पूरा ज़ोर देकर कमर आगे पीछे करके लंड मेरी चूत में अंदर बाहर करते हुये संभोग करने लगा

2 मिनट बाद बोला- मजा आ रहा यार मस्त चुत है तेरी ऐसी औरत को चोदने का मजा ही कुछ और होता है कंडोम में थोड़े इतना मजा आता है और तू कंडोम लगाने को बोलती है

उसकी बातें सुनती हुयी मैं अपने किरदार में ही रमी रही और मुझे कुछ खास परेशानी नहीं हो रही थी कोई 5 से 7 मिनट होने को थे कि नेता झटके खाने लगा और ज़ोर ज़ोर से गुर्राते हुये पूरी ताकत से धक्के मारने लगा

भले वो अपनी पूरी ताकत लगा रहा था मगर मुझे उसकी ताकत में दम नहीं दिख रहा था बाकी उसके गुर्राने की आवाज बाहर कमरे तक तो जरूर जा रही होगी

फिर उसने एक बार अंतिम धक्का मार दिया और हांफने लगा वो लंड मेरी चूत में फंसा कर घुटनों के बल खड़े होकर अपनी कमर में हाथ रख बोला मजा आ गया

2 पल ऐसे ही घुटनों के बल खड़ा रहा और फिर बिस्तर पर गिर पड़ा और मुझे तौलिया से लंड साफ करने को कहा मैंने उसका लंड साफ किया फिर अपनी चूत भी पौंछ ली मैं अपनी साड़ी पहले की तरह पहन बैठ गयी

जैसे कि मुझे उम्मीद थी वैसा तो हुआ नहीं बल्कि जल्दी जान छूट गयी पर अभी और क्या होना था उसके बारे में सोच कर मन विचलित था

कुछ देर बाद वो उठा अपने कपड़े सही किए और मुझे अपनी एक बांह के बगल पकड़ बाहर निकल गया रमा मेरी तरफ देखने लगी और उसके चेहरे पर चिंता थी

पर मैंने नजरों से इशारा कर दिया कि सब ठीक रहा तब उसके चेहरे पर सुकून की रेखाएं दिखने लगीं मुझे एक बगल बिठा कर नेता जी फिर से उनके साथ व्यापार की बातों में लग गये और मदिरा भी अब अधिक हो चली थी

इस वजह अब वो जाने की सोचने लगा रमा के पति को जब भरोसा हो गया कि अब उसका काम हो जायेगा तो वो नेता जी को नीचे उनकी गाड़ी तक छोड़ने चले गये साथ ही वो तीनों मर्द भी चले गये

मुझे अकेले में पाते ही रमा मेरे काम की तारीफ करने लगी और वो इस बात से काफी खुश थी कि किसी को शक नहीं हुआ

अब रमा ने कहा- अभी और अधिक मजा आने वाला है

रमा की तारीफ सुन मैं पिछली बातें भूल चुकी थी और अब रमा के दिमाग में एक और बात आयी उसने मुझे बताया कि वो 3 मर्द भी वही लोग हैं जो नए साल के उत्सव के लिये आये हैं

पर उन्हें रमा ने ये नहीं बताया था कि जो सारिका धनबाद से आने वाली थी वो मैं ही हूं मैं उसकी बात को कुछ समझी नहीं तब उसने मुझे समझाना शुरू किया

रमा चाहती थी कि आज की रात उन 3 मर्दों को बिल्कुल ना पता चले कि मैं कोई वेश्या नहीं बल्कि वो मुझे वेश्या ही समझें और जब अगले दिन उन सबकी पत्नियां आएंगी तब वो इस बात का खुलासा करेगी

पर मैंने जब पूछा कि अगर कांतिलाल ने बता दिया होगा इस पर उसने बताया कि मैं कांतिलाल को पहले ही समझा चुकी हूं शायद इसी वजह से मुझे देख कांतिलाल बिल्कुल भी चकित नहीं हुआ था

रमा अब ये मौहाल बने रहने देने के लिये मुझे ज़ोर देने लगी जब मैंने उससे कहा कि अगर वो लोग मेरे साथ संभोग करने चाहेंगे तब क्या होगा?

उसने बोला- कोई बात नहीं वैसे भी हम सब यहां मजे करने आये हैं और संभोग हम सबके बीच सामान्य बात है किसी को भी कोई आपत्ति नहीं होगी चाहे जिसके साथ कोई भी संभोग करे

मेरे लिये ये सब बहुत अनोखा था पर रमा के जिद के आगे मुझे झुकना ही पड़ा उसने मुझे सिखा दिया कि कैसे किसी मर्द के साथ अधिकांश उच्च वेश्याएं मोल भाव करती हैं मोल भाव के अंतर्गत वेश्याएं क्या क्या करेंगी और क्या क्या करने देंगी ये सब तय होता है

उसकी बातों से ये तो ज्ञात हुआ कि रमा पहले भी किसी वेश्या की मदद ले चुकी होगी इसी वजह से मैंने उससे पूछ भी लिया तब उसने बताया कि उनके व्यापार में कभी कभी ऐसा भी करना पड़ता है जहां अच्छे खासे उच्च वर्ग की वेश्याओं का सहारा लेना पड़ता है

इसी वजह से वो खुद कई बार वेश्याओं से मिल मोल भाव कर चुकी है उसने ये भी बताया कि शुरुआती समय में इस तरह के वातावरण में आने से पहले उन्होंने मजे के लिये पुरुष तथा महिला वेश्याओं का सहारा भी लिया था

उसने पहली बार खुलासा किया कि उसने और कांतिलाल शुरुआत में कभी दो मर्द और कभी 2 औरत वाली संभोग क्रिया करते थे पहले वो किसी को जानते नहीं थे इसी वजह से वेश्याओं का सहारा लेते थे

पर अब उनके कई सारे देसी और विदेशी मित्र हैं जो इस तरह की जीवन शैली पसंद करते हैं हमारी बातें अभी खत्म भी नहीं हुयी थीं कि 4 मर्द कमरे में आ गये और हम चुप हो गये

उन चारों ने फिर से मदिरा पीनी शुरू की और अपनी अपनी पत्नियों के अगले दिन आने की बात कही इसी बीच मुझे उनके नाम पता चले और वे कहां कहां से आये थे ये भी मालूम हुआ

मैं आपको रमा और कांतिलाल के बारे में बता चुकी हूं अब बाकियों के बारे में बता दूं पहला आदमी रवि था जो दिल्ली से था दूसरा राजशेखर जो गुजरात से और तीसरा कमलनाथ जो मुम्बई से आया था

सभी के बात व्यवहार और कपड़ों के पहनावे से लग रहा था कि वे सब काफी उच्च घराने से थे और काफी अमीर थे उन्होंने अब कल की योजनाओं के बारे में बात करनी शुरू की

फिर कमलनाथ ने रमा से पूछा- भाभी जी आज तो आपने कमाल कर दिया ऐसी कामुक महिला आपको कहां से मिली?

तभी रवि बोला- भाभी जी आपकी कोई सहेली आने वाली थी उसका क्या हुआ?

रमा ने उत्तर दिया- कल वो भी यहीं आ जाएगी

तभी राजशेखर ने कहा- यार कांतिलाल तुम तो रोज भाभी जी के साथ मजे करते हो अगर बुरा ना मानो तो आज भाभी जी को मैं अपने बिस्तर पर न्यौता देना चाहता हूं

इस पर कांतिलाल ने कहा- भाई देखो रमा और मुझमें कोई ऊंचा नीचा नहीं है अगर रमा को अच्छा लगे तो साथ समय बिताने में क्या बुराई है

उधर कमलनाथ ने कहा- यार आज की रात तो मैं भाभी जी को न्यौता देने वाला था पर तूने पहले बोल दिया

इस पर रमा बोली- सबकी बातों को बराबर ध्यान दिया जायेगा पर आज जिसने पहले न्यौता दिया पहला हक़ उसका बनता है

ये कहते हुये रमा सोफे से उठकर राजशेखर के पास बैठ गयी और दोनों एक दूसरे के होंठों से होंठ मिला कर चूमने लगे इसके बाद सब हंसने लगे

इधर कमलनाथ और रवि की नजर मुझ पर पड़ी तो उन्होंने कहा कि आज की रात हम तुम्हारे साथ बिताएंगे अब यहां से मुझे खेल शुरू करना था और रमा ने मुझे सिखा दिया था कि अब क्या क्या करना है

बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में

Antarvasna Sex stories :- काम वासना की आग- 15

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