काम वासना की आग- 10

आप ने antarvasna sex stories के पिछले भाग में पढ़ा मैंने कुछ ज्यादा सोचने से खुद को रोका और अन्य दिनों की भांति ही उससे अगले दिन मिली बातें की और दूध लेकर चली आयी इसी बीच मैं प्रीति से उसके संबंधों के बारे में पूछा तो वो कहने लगी कि अभी भी वैसी ही स्थिति है अब आप antarvasna sex stories में आगे पढ़े

Antarvasna Sex Stories 10

मैंने उसे प्रयास करते रहने को कहा और इधर सुखबीर ने मेरे वॉट्सएप्प पर संदेश भेजने अधिक कर दिये पहले एक दो दिन तो केवल सुबह संदेश भेजता था

पर देखा तो अब रात सोने से पहले भी आने लगे एक हफ्ता बीतने के बाद एक दिन मैंने भी उसे उत्तर दे दिया इसके बाद तो जैसे वो शुभचिंतक ही बन गया

रोज मुझे कोई ना कोई संदेश भेजता धीरे धीरे पति आये कि नहीं आये पूछने के बहाने उसने वॉट्सएप्प पर बातें शुरू कर दीं करीब करीब एक महीने के बाद हम दोनों में काफी बातें होने लगी

पर सुखबीर कहीं ना कहीं से बात शुरू कर अपनी पारिवारिक जीवन की बातें करने लगता कभी कभी मैं भी उसे अपने पारिवारिक जीवन के बारे में बता देती

पर मैं हमेशा यही प्रयास करती कि उसे किसी प्रकार प्रीति की भावनाएं समझाऊं पर उससे खुल कर कह भी नहीं सकती थी धीरे धीरे हम दोनों खुलने लगे थे और मुझे प्रीति की चिंता होती थी

इसलिये जहां एक तरफ प्रीति को सुझाव देती वहीं दूसरी तरफ खुद से भी प्रयास करती कि सुखबीर प्रीति की भावनाएं समझ जाए

एक दिन प्रीति ने झल्लाकर मुझसे कह दिया कि सब प्रयास करना बेकार है

जब मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ?

तो उसने बताया के कल रात हम दोनों ने संभोग किया पर मैं असंतुष्ट रह गयी

जब मैंने पूरी बात पूछी तो पता चला कि शुरुआत तो लगभग ठीक की दोनों ने आलिंगन और चुम्बनों के साथ और काफी देर तक ये सब किया फिर सुखबीर ने मुख मैथुन की इच्छा प्रकट की

पर प्रीति को इन सब में घिन आती थी तो सुखबीर ने ज्यादा दबाव नहीं दिया संभोग में सुखबीर पहले झड़ गया और प्रीति असंतुष्ट रह गयी

दोबारा भी प्रीति ने संभोग की इच्छा जताई और सुखबीर को उत्तेजित करने का प्रयास किया पर वो यहीं असफल हो गयी

मैंने उससे कहा- यदि मुख मैथुन करना चाहता था तो उसमें क्या बुराई है?

पर प्रीति ने कहा- मुझे ये सब अजीब लगता है और घिन आती है

तब मैंने उसे समझाया कि तेरे पति में कोई कमी नहीं है बल्कि कमी तुम्हीं में है यदि उसे संभोग की चरम सीमा तक पहुंचाना है तो खुद सब करना होगा

उसने मेरी बात मान ली और जैसा मैंने उसे सिखाया वैसा ही करने का निश्चय किया अगले दिन मैं दूध लेने गयी तो सुखबीर के चेहरे पर ताजगी सी दिख रही थी और अन्य दिनों के बराबर उसका व्यवहार बदला बदला दिख रहा था

पर आज भी उसकी नजर से मेरे ढके हुये मम्में कमर और चूतड़ बच नहीं पाए चोर नजर से उसने आखिर मेरा सब देख ही लिया

मैं धीरे धीरे समझने लगी थी कि उसके मन में क्या है और इसलिये अब चाहती थी कि किसी तरह प्रीति के साथ इसके संबंध अच्छे हो जाएं घर आकर मैंने प्रीति को फोन कर पूछा कि कुछ हुआ या नहीं?

प्रीति पहले तो शरमाई सी बातें करने लगी फिर जब मैं बेशर्म की तरह बातें करने लगी तो खुल कर उसने बताया कि रात दोनों ने काफी देर संभोग किया और जो सुखबीर चाहता था वैसा ही उसने किया

प्रीति ने ये भी बताया कि उसने लंड चूसने में कोई अच्छा काम नहीं किया क्योंकि उसे सही तरीके से लंड चूसना आता ही नहीं था पर प्रयास किया

दूसरा काम उसने ये किया कि पति की हर बात मानी पहली बार प्रीति ने भी उसे अपनी चूत चाटने दी और प्रीति को भी ये अनुभव बहुत पसंद आया

तीसरी बात उसने ये अच्छी की कि सुखबीर के झड़ने के बाद उसे फिर से उत्तेजित किया और पारंपरिक तरीके से बदल कर खुल कर संभोग में भागदारी निभाई

ये सब सुन कर मैंने उससे कहा कि शायद इसी वजह से उसके पति आज खुश दिख रहे थे और तुम्हें आगे भी इसी प्रकार से प्रयत्न करते रहना होगा

मुझे भी अब ऐसा लगने लगा था कि अब उनकी समस्या सुलझ गयी होगी एक हफ्ते तक दोनों की अच्छी बनी और मुझसे जितना हो सका मैंने अपने अनुभवों से प्रीति का मार्गदर्शन किया

पर इन सबमें मैंने ये पाया कि सुखबीर की अभिलाषाएं और अधिक हैं पर प्रीति उसे पूरा करने में असमर्थ थी दूसरी तरफ सुखबीर भी प्रीति से अपनी बात का जोर डालने में असमर्थ था

मैंने उसे फिर लंड चूसने सहलाने और मर्द को जल्दी उत्तेजित करने के जितने तरीके थे सब बताए अगले दिन प्रीति ने खुशी से झूमते हुये मुझे फोन कर सारी बात बताई और कहा कि उसके जीवन में जैसे फिर से जवानी लौट आयी है

मुझे ये सुनकर अच्छा लगा कि उन दोनों ने रात में काफी देर तक संभोग किया खुल के बातें की और दोनों पूरी तरह से एक दूसरे को संतुष्ट कर दिया

मुझे और अधिक खुशी तब हुयी कि सुबह उठकर भी दोनों ने पूरी कामुकता और उत्सुकता के साथ संभोग किया मुझे उस दिन पता नहीं क्यों सुखबीर ने ढेर सारे संदेश भेजे और मैंने भी खुशी से उत्तर दिये

अगले दिन दूध लेने गयी तो दुकान बंद थी घर पर भी ताला लगा था मैंने प्रीति को फोन लगाया तो फोन नहीं लग रहा था

काफी देर तक प्रयास करने पर दोपहर तक फोन लगा तो प्रीति ने बताया कि वो अपनी बेटी के यहां जा रही है क्योंकि 2 महीने के बाद उसे बच्चा होने वाला था

उसकी देखभाल के लिये वो लोग उसके ससुराल जा रहे थे मैंने भी ज्यादा नहीं सोचा और अपने काम में लग गयी मैं अपनी उसी साइट पर फिर से व्यस्त हो गयी और फिर इसी बीच मेरी गुजरात की सहेली जिसका वर्णन मैंने अपनी पिछली कहानी में किया था

उससे दोबारा बात शुरू हो गयी हम दोनों एक दूसरे के संभोग संबंधित बातें साझा करने लगे उसने बताया कि वो और उसका पति दोबारा मुझसे मिलना चाहते हैं

मैंने उसे बताया कि फिलहाल अभी कुछ भी संभव नहीं है उसने मुझसे कहा कि कुछ नया करने की इच्छा हो रही है इन्हीं बातों के साथ हमारी बातें खत्म हो गयी

इन चार महीनों में मेरा केवल 3 बार पति के साथ संभोग हुआ पर हर बार मेरी कामाग्नि अधूरी ही रही पति से ज्यादा सवाल भी नहीं कर सकती थी और साइट पर दूसरों को देखने सुनने की बीमारी सी जैसे लग गयी थी

जिसकी वजह से मन में काम भावना तीव्र उठती और मेरे पास हसमैथुन के सिवाय कोई विकल्प नहीं होता चार दिन के बाद मैंने दुकान खुली देखी तो दूध वहीं लेने चली गयी क्योंकि बगल से लेती तो शायद सुखबीर बुरा मान जाता

दूध लेने के क्रम में उसने सारी बात बताई कि प्रीति फिलहाल 2-3 महीने नहीं आयेगी मैंने उन्हें अपने पड़ोसी होने के नाते खाने पीने के लिये अपने ही घर में बोल दिया उन्होंने कहा कि उसकी जरूरत नहीं है उसके भाई का घर पास में ही है वहीं उसकी व्यवस्था है

शाम को प्रीति को फोन किया तो उसने कहा कि संबंधी के घर है इसलिये वो यहां खुल कर ज्यादा बात नहीं कर सकती और उसने मुझे सुखबीर का थोड़ा ख्याल रखने बोला

अगले दिन मेरे पति दो दिन के लिये रामगढ़ चले गये सुखबीर को पता था कि मेरे पति सुबह ही चले गये इसलिये जब मैं दुकान पर पहुंची तो सुखबीर ने तरह तरह से बात करने के बहाने निकाले और करीब आधे घंटे तक मुझसे बातें की

बातें तो बस बहाने थे उसकी नजर तो मेरे कपड़ों में छुपे मेरे बदन को टटोल रही थी मैं उसकी भावना समझ गयी थी पर पता नहीं क्यों जहां मुझे नाराजगी दिखानी चाहिए थी वहां मैं कोई भी विरोध नहीं कर पा रही थी

मैं जल्दी में उससे बात खत्म करके घर चली आयी क्योंकि ज्यादा देर बात करने पर पता नहीं लोग क्या सोचने लगते इस जगह पर पुरुष से इतनी देर बातें करने का कोई गलत अर्थ भी निकाला जा सकता था

उससे कैसे बचूं मैं दिनभर कभी ये सोचती रही कभी ये सोचती कि अपने शरीर की प्यास मिटाने का साधन मिल गया पर मन ऐसे ख्यालों से ये सोच कर कांप जाता क्योंकि प्रीति मेरी अच्छी सहेली बन चुकी थी और उसकी पीठ पीछे ऐसा करना सही नहीं था

उस रात को मैं फिर अपने मित्रों और सहेलियों से ऑनलाइन बातें कर रही थी कि करीब 10 बजे सुखबीर का फोन आया मैं पहले तो चौंक गयी कि क्यों मुझे फोन कर रहा

फिर सोचा कि कहीं कोई आपदा तो नहीं आयी इसी वजह मैंने फोन उठा लिया फोन उठाने पर उसने तो पहले मेरा हाल चाल पूछा फिर बहाने से यह कहकर बात आगे बढ़ाने लगा कि मैं अकेली हूं सब ठीक ठाक है वही सब पूछने को फोन किया था

मैंने सब उत्तर देने के बाद फोन रखने की बात कही पर उसने और बातें बनानी शुरू कर दीं वो कहता रहा मैं सुनती रही करीब एक घंटे तक उसने उस दिन बात की और मुझे सुबह दुकान पर दूध लेने आने का पूछा

मैंने उससे साफ कह दिया कि दुकान पर मुझे ना टोकना पता नहीं लोग क्या क्या सोचेंगे इस पर उसने मेरी बात को समझा और अगले दिन बस हाल चाल पूछ कर दूध देकर मुझे जाने दिया

दोपहर उसने फिर फोन किया और फिर से उसने इधर की बातों के साथ मेरे बारे में पूछताछ शुरू कर दी उसके साथ काफी देर बातें करते करते मुझे भी वो अच्छा लगने लगा और करीब डेढ़ घंटे बातें हुयी

रात में फिर से बात हुयी और समय के बीतने के साथ साथ हम दोनों खुलने लगे ठंड का दिन था तो थोड़ी बहुत उसने हंसी मजाक भी किया जो मुझे बुरा नहीं लगा इसी के साथ दोनों ने अपने अपने शादीशुदा संबंधों की बातें शुरू कर दीं

उससे बातें करते करते लगभग 2 बज गये पर संभोग सम्बन्धी बातें नहीं हुयी क्योंकि ना मैं करना चाहती थी ना उसकी हिम्मत हुयी

फिर जब मेरे घर पति आ गये तो उसने फोन करना बंद कर दिया और केवल वॉट्सएप्प पर संदेश भेजता रहा अगले हफ्ते फिर पति चले गये तो उस रात भी बहुत सी बातें हुयी और फोन रखने से पहले उसने मेरे और मेरे पति के बीच संबंधों के बारे में पूछने चाहा

पर मैंने जान कर अनजान बनते हुये बात काट दी अगले दिन पति आये लेकिन दूसरे ही दिन फिर से चले गये सुखबीर हमेशा इस बात पर नजर रख रहा था दोपहर को उसने फिर फोन किया और कुछ देर बातें की

इस बार मैं पूरी तरह समझ गयी कि क्यों ये मुझसे इतनी नजदीकियां बढ़ा रहा है इधर मेरी काम वासना भी इतनी बढ़ती जा रही थी कि मैं सुखबीर के आगे झुकती जा रही थी रात में फिर से हमने बातें शुरू की और इस बार उसने अपने और प्रीति की बातें करनी शुरू कर दीं

जैसा मेरा अनुमान था उनके बारे में वही सब सुखबीर ने बताया पर उसने ये नहीं बताया कि प्रीति के साथ संबंध ठीक हो रहे हैं और मैंने भी नहीं कुछ पूछा वरना उसे शक हो जाता

धीरे धीरे उसने मेरे जीवन के राज जानने चाहे और फिर मैंने भी उसे अपने पति के साथ संबंधों की बात बता दी इससे उसका रास्ता साफ हो गया और उसने मेरी सुंदरता के गुण गाने शुरू कर दिये

मैं तो समझ ही गयी थी कि सुखबीर अब मुझे अपनी वासना की जाल में फांसने की चाल चल रहा था पर मैंने सोचा कि इसे भांप कर देखती हूं कि ये कितनी दूर तक जाता है

मेरे पास अपनी वासना को शांत करने के विकल्प बहुत हैं पर समय और स्थान का अभाव था दूसरी तरफ प्रीति मेरी सहेली थी इस वजह से मेरा सुखबीर के साथ कोई विचार अभी तक नहीं बन सका था

जबकि सुखबीर ने मुझे ऐसे सुझाव देने शुरू कर दिये थे जैसे मैं कोई अबला नारी हूं उसने नारी के प्रति अपने सामान्य भाव प्रकट करने शुरू कर दिये

उसने मुझे सुझाया के यदि मुझे पति से सुख नहीं मिल रहा तो तुम किसी अन्य से ये सुख प्राप्त कर सकती हो इसमें कोई बुराई नहीं है क्योंकि यदि मर्द अगर एक या एक से अधिक औरतों के साथ संभोग कर सकते हैं तो स्त्री का भी सामान्य अधिकार है

उसे क्या पता था कि मैं जिन व्यक्तियों के बीच रह कर आयी हूं वो उससे भी कहीं ज्यादा खुले विचारों के हैं मैं तो उसके स्वार्थ को जान गयी थी पर मुझे केवल प्रीति की चिंता थी सुखबीर वैसे भी बहुत आकर्षक मर्द था

मुझे उसके साथ कोई आपत्ति नहीं थी पर केवल प्रीति के लिये मैं उससे दूर रहती थी उस रात सुखबीर से बातें करते हुये सुबह के 4 बज गये और हमने लगभग एक दूसरे की पसंद नापसन्द सब जान लिये

मुझे नींद आने लगी थी और मैंने उससे फोन रखने को कहा तब उसने खुल कर अपनी बात रख दी उसने मुझसे कहा कि क्यों ना हम एक दूसरे के काम आएं

इस पर मैंने बिना कुछ कहे फोन रख दिया और सो गयी अगले दिन पति का फोन आया और उन्होंने कह दिया कि वो आज भी नहीं आने वाले हैं

फिर मैंने अपना फोन देखा तो सुखबीर का माफी मांगने का संदेश था मैंने उसे कोई उत्तर नहीं दिया फिर दिन भर अपनी उसी व्यस्क साइट पर लगी रही और शाम 7 बजे माइक और मुनीर का कैमरा मेरे सामने था

दोनों की कामक्रीड़ा ने मेरी वासना की आग फिर से भड़का दी मुझे बेचैनी सी होने लगी और फिर सोने से पूर्व फिर सुखबीर का संदेश आया

पहले तो मैंने सोचा कि अब सुखबीर से दूरी रखूंगी पर आधे घंटे तक दिमाग की माथापच्ची के बाद आखिर मैंने उसे फोन किया वो मेरे ही फोन की प्रतीक्षा कर रहा था

फोन उठाते ही उसने मुझसे अपने कथन के लिये माफी मांगी मैंने थोड़ा बनते हुये उसे कुछ देर और गिड़गिड़ाने दिया और फिर माफ कर दिया

फिर हमारी बातें शुरू हुयी और कुछ समय बात करने के लिये वो मुझे फिर से मेरी शारीरिक इच्छाएं पूरी करने पर जोर देने लगा

उसने मुझे अपने साथ नहीं बल्कि किसी भी अन्य पुरुष जो मुझे पसंद हो उसके साथ संबंध बनाने का सुझाव देने लगा मैं उसकी बातें सुनती रही और विचार करती रही

मेरे पास अपनी कामाग्नि को शांत करने का ये एक अच्छा अवसर था केवल अब मैं विचार में डूबी थी कि यदि मैं उसे हां कह देती हूं तो गोपनीयता कैसे बनी रहेगी

यदि गोपनीयता बनी भी रही तो सेक्स किस स्थान पर करेंगे क्योंकि इस शहर में पता नहीं कौन मेरे पति को जानता हो क्या पता था भले अभी कोई मुझे ना जानता हो पर अगर बाद में उसी ने मुझे पति के साथ देख लिया तो शायद पहचान ले

हम दोनों के घर भी थे पर आस पास के लोगों को शक हो सकता था कि कोई स्त्री अथवा पुरुष इतनी देर घर के भीतर क्या कर रहा था किसी की भी नजर पड़ सकती थी इसलिये मैं उसकी बातें सुनती रही और सोचती रही कि आगे वो क्या कहेगा

बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में

Antarvasna Sex Stories :- काम वासना की आग- 11

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