आप ने antarvasna sex stories के पिछले भाग में पढ़ा रमा कुर्सी पर हाथ रख कर आगे की ओर झुकी हुई थी और रामावतार जी उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपने लंड को रमा जी की चूत में घुसाए हुये जोर जोर से प्रहार किए जा रहे थे अब आप antarvasna sex stories में आगे पढ़े
Antarvasna Sex Stories 7
वहीं बबिता बार बार रामावतार जी के पीछे खड़ी होकर उनके बदन को चूम रही थी साथ ही वो नीचे हाथ लगा कर उनके अन्डकोषों को भी सहला रही थी
रमा जी पूरी मस्ती में लग रही थी और रामावतार जी के हर धक्के पर कामुक भरी सिसकारी ले रही थी तभी मैंने अपनी बायीं ओर देखा कांतिलाल जी के बगल में एक और उत्तेजक नजारा था
शालू नीचे बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी एक टांग विनोद के कंधे पर थी दूसरी टांग को विनोद ने नीचे बिस्तर पर अपनी बाएं हाथ से दबा रखा था जिससे शालू की दोनों टांगें फैल गयी थीं
विनोद ने अपनी दोनों टांगें सीधी कर रखी थीं और उसका लंड शालू की चूत के भीतर था शालू बहुत ही जोश में लग रही थी शायद इसी वजह से इस पीड़ादायक अवस्था में भी वो विनोद का साथ दे रही थी
उसने एक हाथ से विनोद का हाथ पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से उसके सिर के बालों को पकड़ा हुआ था विनोद पूरी ताकत लगा कर शालू को धक्के मार रहा था और शालू मस्ती में कराह रही थी और मजे ले रही थी
उन दोनों की स्थिति ऐसी थी कि मैं विनोद का लंड शालू की चूत में अंदर बाहर होता देख रही थी उसकी दोनों टांगें खुली किताब की तरह फैली हुई थीं और उनके बीच विनोद का लंड तेज़ी से अंदर बाहर होता हुआ दिख रहा था
विनोद के हर धक्के पर शालू की चूत खुलती बंद सी लगती थी और उसकी चूत के ऊपरी हिस्से पर सफेद झाग सा जम गया था
मुझे यकीन था कि वो पहले एक दो बार झड़ गयी होगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ा था तभी तो विनोद का लंड भी चिपचिपा और चमकीला सा दिख रहा था जो शालू के चूत से निकले रस की गवाही दे रहा था वो दोनों एक दूसरे में घुल से गये थे
विनोद जोर जोर से और भयंकर तेज़ी से धक्के मार रहा था शालू उम्म्ह आह्ह हाय याह करते हुये आवाजें निकाल रही थी फिर जब विनोद धीमा होता तो शालू उसे बालों से पकड़ कर खींचती और अपने होंठों से होंठ लगा कर चूमने और चूसने लगती
इस बीच विनोद धीमे धीमे अपनी कमर को घुमाता और शालू की चूत में लंड पूरा घुसा कर दबाता जाता मैं भी इस तरीके से काफी वाकिफ थी क्योंकि इस तरह लंड का सुपारा बच्चेदानी में बड़े प्यार से रगड़ खाता है और मीठे दर्द के साथ गुदगुदी सा मजा देता है
फिर मैंने रमा की तरफ ध्यान दिया रामावतार जी अभी भी उसे पीछे से धक्के मारे जा रहे थे और बबिता उनके पीछे थी फिर मेरा वो पुराने मित्र ने बबिता के पीछे जाकर उसके मम्मों को पकड़ा और उसकी गर्दन को चूमने लगा
उसने बबिता को खींचा तो वो रामावतार जी से अलग हो गयी और पीछे मुड़ कर मेरे मित्र के सामने होकर उसके होंठों से होंठ लगा कर चूमने लगी
मित्र ने उसे चूमते हुये उसके चूतड़ों को दबोचते हुये इशारा किया और बबिता वहीं नीचे झुक गयी वो घुटनों के बल खड़ी होकर मेरे मित्र का लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी इससे उनका लंड और भी तनतना उठा
बबिता मेरे ख्याल से पहले से गीली थी क्योंकि मेरे संभोग से पहले रामावतार जी उसकी चूत को चूस रहे थे कुछ मिनट चूसने के बाद बबिता जमीन पर पीठ के बल लेट गयी और अपनी टांगें घुटनों से मोड़ कर अपनी जांघें फैला दीं
इस तरीके से ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे मित्र को आने का न्यौता दे रही हो मेरे मित्र तनिक भी देरी किए बिना बबिता के ऊपर ठीक उनकी जांघों के बीच लेट गये
फिर अपनी जुबान से दाहिने हाथ में थूक लगा के अपने लंड के सुपारे पर मलते हुये बबिता के ऊपर झुके ओर लंड को चूत के छेद पर टिका दिया बबिता ने भी उनको गले से पकड़ते हुये सहारा दिया
मेरे मित्र ने धीरे धीरे अपनी कमर बबिता की चूत के ऊपर दबाया और लंड धीरे धीरे चूत में घुसता चला गया करीब आधा घुसने पर उन्होंने एक जोर का धक्का मारा बबिता जी के मुंह से आह्ह्ह की आवाज निकली और लंड बबिता जी की चूत की तह में समा सा गया
उसके बाद बबिता जी ने एक लम्बी सांस लेते हुये मित्र को अपनी बांहों में जकड़ते हुये अपने ऊपर पूरी तरह गिरा लिया अब मेरे मित्र ने भी बबिता जी को उनको बांहों के नीचे से ले जाकर हाथ से उनके कंधों को पकड़ा
बबिता जी ने भी अपनी टांगें थोड़ी और फैला दीं अब मेरे मित्र ने एक दो धक्के बबिता की चूत में आराम से मारे और फिर लगातार तेज़ धक्कों की बरसात सी शुरू कर दी बबिता जी मीठी सिसकारियां लेने लगीं
करीब दो मिनट तक मेरे मित्र के तेज़ धक्के चलते रहे फिर वे थोड़े धीरे हुये और लम्बी लम्बी सांसें लेते हुये उनके धक्के धीमी गति से चलने लगे थे
उन्हें देख कर मुझे एक ख्याल सा आने लगा मेरे दिमाग में लगने लगा कि ऐसा ही सीन होगा जब मैं और मित्र संभोग कर रहे होंगे इस बात को सोचते हुये मैं मन ही मन में मुस्कुराने लगी
शायद किसी ने अगर हमें संभोग करते देखा होता तो यही कहता कि बिल्कुल हमारी तरह का नजारा दोबारा चल रहा है तभी अमृता कहीं से आयी मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो अब तक कहां थीं
उन्होंने आते ही मेरे बगल में लेटे कांतिलाल जी को उठाया और बोलीं क्या इतने में ही दम निकल गया?
इस पर कांतिलाल जी ने जवाब दिया- अभी तो आपका दम निकालना है अभी मुझ में बहुत दम बाकी है
अमृता ने उन्हें जवाब देते हुये कहा- चलो देखते हैं कौन किसका दम निकालता है
यह कहते हुये वो उनसे लिपट गयी वो वहीं बिस्तर पर उनके ऊपर गिर गयी और उन्हें चूमने लगीं उनके बगल में शालू और विनोद अपनी अपनी चरम सीमा को पाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे थे
विनोद जिस ताकत और जोश से शालू को धक्के मार रहा था उससे तो यही ज्ञात हो रहा था
थोड़ी ही देर में शालू का बदन कांपने सा लगा और वो विनोद की छाती को मसलते हुये अपनी कमर दबा कर गोल गोल घुमाने के साथ लम्बी लम्बी सांसें लेती हुई उम्म्ह आह्ह हाय याह करने लगी
मैं समझ गयी कि शालू झड़ गयी शालू के शांत होते ही विनोद ने उसे अपने ऊपर से हटाया और उसे बिस्तर पर गिरा दिया और खुद घुटनों के बल होकर अपना लंड शालू के मुंह में डाल दिया
शालू विनोद के लंड को अपने हाथ से हिलाते हुये अपने मुंह से चूसने लगी थोड़ी देर लंड चूसने के बाद विनोद ने अपना लंड उसके मुंह से खींच लिया और शालू के मम्मों के ऊपर अपने हाथ से जोरों से हिलाने लगी
तभी अचानक अमृता ने कांतिलाल जी को चूमना छोड़ कर विनोद का लंड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी विनोद ने अपनी आंखें बंद कर लीं और सिर ऊपर उठा अपने पूरे बदन को एकदम से सख्त कर लिया
अमृता ने पूरी तेजी से उसका लंड हिलाना जारी रखा और अब विनोद हुम्म्म अह्ह्ह्ह करने लगा तभी विनोद ने एक हाथ से अमृता के हाथ को पकड़ा और उसे और तेज़ गति दे दी
साथ ही विनोद ने दूसरे हाथ से शालू के बालों को जोर से पकड़ा और बस एक और जोर लगा कर विनोद के लंड से तेज़ धार निकल पड़ी उसके लंड का सफेद गाढ़ा वीर्य शालू के दोनों मम्मों पर फैल गया
विनोद झड़ते हुये धीरे धीरे कमजोर सा पड़ता हुआ झुकता चला गया उसका माल टपकता रहा जब तक कि उसके लंड से आखिरी बूंद अमृता ने ना निकाल दी
विनोद के झड़ते ही अमृता ने उसे छोड़ दिया और वो शालू के बगल गिर कर सुसताने लगा अमृता फिर से कांतिलाल जी के साथ व्यस्त हो गयी
उधर बबिता के साथ मेरे मित्र और रमा के साथ रामावतार जी पूरे वेग से जोर लगाए जा रहे थे बबिता और रमा जी की गीली चूतयां दोनों के लिंगों को आसानी से अंदर बाहर होने में बहुत मदद कर रही थीं
दोनों के जोड़ों के धक्कों में थप थप की आवाजें आने लगी थीं बबिता और रमा जी की कराहें और सिसकारियां गवाही दे रही थीं कि वो दोनों कितने मजे में हैं
वहीं उन दोनों मर्दो के धक्कों की रफ़्तार और उनके हांफने की दशा बता रही थी कि दोनों कितने जोश में हैं दोनों बिना रुके जोर जोर से धक्के मार रहे थे
सच में उन्हें देख कर तो अब मेरा भी मन उत्तेजित होने लगा था तभी रामावतार जी के झटके 3-4 धक्कों के साथ धीमे पड़े और उन्होंने रमा जी के मम्मों को दबाते हुये उनके चेहरे को अपनी तरफ खींच लिया और वे रमा जी को चूमने लगे
रमा जी ने भी अपने हाथ पीछे कर रामावतार जी के चूतड़ों को पकड़ कर अपने चूतड़ों पर दबाती हुई उन्हें चूमती हुई अपनी कमर को इस अंदाज में घुमा रही थीं
जैसे वो और भी धक्कों के लगने का इन्तजार कर रही हैं मुझे दूर से ऐसा लग रहा था जैसे रामावतार जी का लंड रमा जी के बड़े और मांसल चूतड़ों के बीच फंस गया हो
उन्होंने कुछ पल तो यूं ही प्यार किया फिर वो अलग हो गये मुझे लगा कि वो दोनों अपनी अवस्था बदलना चाह रहे हों
रमा जी ने नीचे लेटी हुई संभोग में लीन बबिता को झुक कर कहा बस भी करो बबिता जी क्या पूरा मजा अकेले ही ले लोगी?
तभी बबिता और मेरे मित्र जैसे नींद से जागे हों वे दोनों एक दूसरे से अलग होते हुये उठे
बबिता जी ने जवाब दिया- अकेले मजा लेने सब थोड़े इकट्ठे हुये हैं आ जाओ तुम भी इस तगड़े लंड का मजे ले लो
रमा ने जवाब दिया- ऐसा नहीं है बबिता यहां सबके लंड तगड़े हैं बस मजे लेने के तरीके होने चाहिए
तभी रामावतार जी ने कहा- आ जाओ बबिता मेरे लंड को भी अपनी चूत का पानी चखा दो
उनके कहने की देरी थी कि बबिता जी मेरे मित्र से अलग हुई और खड़ी हो गयी रामावतार जी ने उनके खड़े होते ही उन्हें कमर से जकड़ते हुये उठा लिया अब रामावतार जी ने बबिता जी को वहीं मेज पर बिठा दिया और चूमने लगे
वे दोनों एक दूसरे को चूमते हुये संभोग की स्थिति बनाने लगे रामावतार जी खड़े थे और बबिता मेज पर बैठी थीं और दोनों एक दूसरे को चूमते हुये संभोग का आसन बनाने लगे धीरे धीरे बबिता जी अपनी जांघें फैलाती गयी और रामावतार जी उनके बीच आते गये
अब उन दोनों के लंड और चूत आपस में छूने लगे थे पर अभी शायद रामावतार जी अपना लंड घुसाना नहीं चाहते थे सो वे उसी स्थिति में चूमते चूसते मजे लेने लगे
उधर रमा जी ने मेरे मित्र को नीचे लिटा दिया और उनके बगल में बैठ कर उनके लंड को पहले तो कपड़े से साफ किया फिर मुंह में लेकर चूसने लगीं मेरे मित्र भी उनके मम्मों को दबाते हुये मम्मों को चूसने लगे
मुझे उन्हें यूं मम्में चूसते देख कर सच में बहुत मजा आ रहा था मैं धीरे धीरे फिर से उत्तेजित हो रही थी और मेरा हाथ खुद मेरी चूत की तरफ चला गया थोड़ी देर के बाद रमा ने मित्र को सीधा लिटा दिया और उनके मुंह के ऊपर दोनों टांगें फैला कर बैठ गयी
मैंने सोचा ये क्या कर रही हैं तभी समझ में आया कि वो अपनी चूत चटवाने के लिये ऐसा कर रही थीं मेरे मित्र भी बड़े चाव से रमा जी की चूत को चाटने लगे
उधर रामावतार जी ने बबिता जी को मेज पर लिटा दिया और उनकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर चढ़ा लिया उनकी स्थिति 90 डिग्री के कोण में थी
तभी रामावतार जी ने अपने मुंह से गाढ़ा थूक निकाला और उसे बबिता की चूत की दरार गिरा दिया बबिता ने उनका लंड पकड़ा और लंड के सुपारे को थूक में सानते हुये अपनी चूत को मलने लगीं और फिर लंड के सुपारे को अपनी चूत में घुसा लिया
अब लंड घुसने को तैयार दिख रहा था तो बबिता जी ने लंड को सही दिशा दिखा कर अंदर घुस जाने के लिये अपने हाथों को सिर की तरफ ऊपर उठा मेज को पकड़ते हुये जोर लगाया
बबिता के सही स्थिति में होते ही रामावतार जी ने उनकी जांघों को कस के पकड़ा और जोरों से अपनी कमर को बबिता की तरफ धक्का दे दिया इस धक्के के साथ ही उनका लंड बबिता की चूत के भीतर समाता चला गया
लंड के चूत में पेवस्त होते ही बबिता जी ने उसी वक्त एक लम्बी सांस लेते हुये अपनी कमर उठा दी इस क्रिया से करीब आधा लंड बबिता जी की चूत के अंदर चला गया था
अब रामावतार जी ने दोबारा से अपने लंड को बाहर खींचा और एक और जोरदार धक्का मार दिया इस बार तो बबिता जी की चीख सी निकल गयी
बबिता जब तक शांत होतीं रामावतार जी ने फिर से अपना आधा लंड बाहर निकाल कर दोबारा धक्का दे मारा
उसके बाद तो तेज़ और जोरदार धक्के शुरू हो गये और बबिता चीखते और सिसकी लेते हुये मजे में कमर उचका कर रामावतार जी के लंड का जवाब अपनी चूत के झटकों से देने लगीं
उधर रमा जी की चूत भी बुरी तरह तैयार हो चुकी थी और उनके मम्मों के निपल सख्त होकर खड़े हो गये थे मेरे मित्र का भी लंड भी जोर मार रहा था वो बार बार घड़ी की सुई की तरह तन रहा था और चूत में घुसने को ललचा रहा था
रमा के मोटे चूतड़ चूत चटवाते समय जिस तरह घूम रहे थे उससे मुझे भी इस बात की लालसा हो रही थी कि जब वो मेरे मित्र के लंड के ऊपर चढ़ाई करेंगी तो कैसा लगेगा हुआ भी वैसा ही
रमा जी में मेरे मित्र के मुंह से अपने चूतड़ों को हटाया और उनकी कमर के पास अपनी कमर को भिड़ाते हुये अपनी दोनों टांगें फैला कर उनके ऊपर चढ़ गयी
अभी लंड रमा जी की चूत के बाहर ही था तो उन्होंने हाथ नीचे ले जाकर मेरे मित्र का लंड पकड़ कर अपनी चूत की छेद पर टिका दिया
फिर दोनों हाथों से मेरे मित्र को पकड़ा और बहुत ही कामुक अंदाज में अपने चूतड़ों को लंड पर दबाने लगीं लंड कुछ ही पलों में चूत के भीतर समा गया और अब रमा जी के विशाल चूतड़ों के नीचे सिर्फ अंडकोष ही बाहर चूत का पहरा देते हुये दिख रहे थे
जैसे ही मेरे मित्र का सख्त लंड रमा जी की चूत में घुसा मित्र को जरूर सुकून मिला होगा तभी उन्होंने भी बहुत ही जोर से रमा के चूतड़ों को दबाते हुये नीचे से अपनी कमर उठाना आरम्भ कर दिया था
बाकी कहानी hindi sex story के अगले भाग में
Antarvasna Sex Stories :- काम वासना की आग- 8